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हर सीजन में हिट है ये कारोबार, शुरू करें तो सरकार देगी 70% मदद; लाखों में हो सकती है कमाई

कोरोना जैसे संकट की स्थिति में जहां ज्यादातर कारोबार धंधे पर उल्टा असर हुआ है. दूध दही जैसे प्रोडक्ट का बिजनेस इस सीजन में भी मुनाफे वाला रहा.

कोरोना जैसे संकट की स्थिति में जहां ज्यादातर कारोबार धंधे पर उल्टा असर हुआ है. दूध दही जैसे प्रोडक्ट का बिजनेस इस सीजन में भी मुनाफे वाला रहा.

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Sushil Tripathi
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दूध-दही जैसे प्रोडक्ट का बिजनेस हर सीजन में हिट रहता है. (प्रतीकात्मक फोटो)

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Mudra Yojana: कोरोना जैसे संकट की स्थिति में जहां ज्यादातर कारोबार धंधे पर उल्टा असर हुआ है. दूध दही जैसे प्रोडक्ट का बिजनेस इस सीजन में भी मुनाफे वाला रहा. खाने पीने की जरूरी चाजों में शामिल दूध, दही या अन्य डेयरी प्रोडक्ट को बेचने पर किसी तरह की रोक नहीं रही. वहीं देखें तो नॉर्मल कंडीशन में भी हर सीजन में इन प्रोडक्ट की डिमांड रहती है. ऐसे में आप भी लॉकडाउन के बाद अगर कोई खुद का बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो सरकार की मुद्रा स्कीम के तहत डेयरी प्रोडक्ट की मैन्युुैक्चरिंग यूनिट लगा सकते हैं. मुद्रा स्कीम के तहत सरकार ने इस बिजनेस के लिए एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट भी बनाई है, जिसे पढ़कर आप अपनी लागत और मुनाफे का अंदाजा लगा सकते हैं.

मुद्रा योजना के तहत 70% सपोर्ट

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केंद्र सरकार मुद्रा योजना के तहत उन लोगों की मदद कर रही है, जो खुद का छोटा मोटा कारोबार शुरू करना चा​हते हैं. इस योजना के तहत जिन कारोबार को शुरू करने में बैंक आसानी से लोन दे रहे हैं, उनमें डेयरी प्रोडक्ट का भी बिजनेस शामिल है. सरकार की प्रोजेक्ट रिपोर्ट के अनुसार यह कारोबार शुरू करने में कुल 16 लाख रुपये की लागत आ सकती है. लेकिन कारोबार शुरू करने वाले को खुद के पास से 4.93 लाख रुपये ही लगाना होगा. बाकी की 70 फीसदी रकम मुद्रा के तहत बैंक लोन मिल जाएगा.

स्पेस और लाइसेंस

इसके लिए कुल 1000 वर्गफुट एरिया होना जरूरी है. (500 वर्ग फुट में आपको प्रोसेसिंग एरिया, 150 वर्ग फुट में रेफ्रिजरेशन रूम, 150 वर्ग फुट में वाशिंग एरिया, 100 वर्ग फुट में ऑफिस स्‍पेस और 100 वर्ग फुट में टॉयलेट जैसी सुविधाएं देनी होंगी.)

वहीं, पैकेज्ड फूड बनाने के लिए पहले हेल्थ अथॉरिटी से लाइसेंस जरूरी है.

बनने वाले प्रोडक्ट: पैकेट बंद दूध, पैकेट बंद दही, फ्लेवर्ड मिल्‍क, बटर, बटर मिल्‍क, घी और छाछ आदि.

कुल खर्च: 16 लाख रुपए

मशीन लगाने पर खर्च: 5.5 लाख रुपए (इसमें क्रीम सेपरेटर, पैकिंग मशीन, बॉटल कैपिंग मशीन, फ्रीज, कूलर, वेट करने वाली मशीन, ट्रे के अलावा कुछ और छोटी मशीनें होंगी.)

रॉ मैटेरियल पर खर्च: 4 लाख रुपये सालाना (दूध, चीनी, फ्लेवर और सॉल्ट आदि)

सैलरी देने पर खर्च: शुरूआत में 50 हजार मंथली

अन्य खर्च: 6 लाख रुपए (ट्रांसपोर्ट व्हीकल, बिजली का बिल, टैक्स, टेलिफोन आदि का खर्च।)

(प्रोजेक्ट रिपोर्ट के अनुसार इस खर्च में रोजाना 500 लीटर कच्चे दूध की प्रॉसेसिंग की जा सकेगी, जिससे पैकेट वाला दूध, घी, दही, बटर और फ्लेवर्ड मिल्क तैयार होगा.)

खर्च का ब्रेक-अप

खुद के पास से निवेश: 4.93 लाख रुपये

टर्म लोन: 7.35 लाख रुपये

वर्किंग कैपिटल लोन: 4.16 लाख रुपये

6 लाख सालाना नेट प्रॉफिट

अगर उपर लिखे गए योजना और रॉ मटेरियल के साथ मैन्युुैक्चरिंग स्टार्ट हो तो रोज 500 लीटर दूध की प्रॉसेसिंग हो सकेगी. इससे जितना प्रोडक्ट तैयार होगा, उससे सालाना टर्न ओवर 82 लाख रुपए तक हो सकता है.इसकी कुल प्रोडक्शन कास्ट 74 लाख रुपए होगी, इस लिहाज से सालाना 8.36 लाख रुपए आय होगी. इसमें से टैक्स आदि का खर्च (25%) काटने के बाद 6.27 लाख रुपए सालाना नेट प्रॉफिट होगा. इस लिहाज से हर महीने 50 हजार रुपए से ज्यादा इनकम हो सकती है.

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