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Gratuity: 25 हजार की सैलरी पर मिलेगी 2,88,461 की ग्रेच्युटी, जाने कैलकुलेशन और उसे जुड़े नियम

भारत में ग्रेच्युटी के लिए न्यूनतन समय सीमा 5 साल है. अगर किसी कर्मचारी ने कंपनी में 4 साल और 8 महीने काम किया है, तो इसे पांच साल ही माना जाएगा.

भारत में ग्रेच्युटी के लिए न्यूनतन समय सीमा 5 साल है. अगर किसी कर्मचारी ने कंपनी में 4 साल और 8 महीने काम किया है, तो इसे पांच साल ही माना जाएगा.

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FE Hindi Desk
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ग्रेच्‍युटी कंपनी की ओर से कर्मचारियों को दिये जाने वाला रिवॉर्ड है.

Gratuity: ग्रेच्युटी कर्मचारी को मिलने वाला एक रिवॉर्ड है, जो कंपनी द्वारा उसके पांच या उससे ज्यादा समय तक किये गए काम के बदले में दिया जाता है. जब एक कर्मचारी लंबे समय तक किसी एक कंपनी में अपनी सेवाएं देता है या काम करता है, तो उसे एक तय समय सीमा के बाद नौकरी छोड़ने पर कंपनी की ओर से एक निश्चित राशि का भुगतान किया जाता है. इस राशि को ग्रेच्युटी कहा जाता है. भारत में ग्रेच्युटी के लिए पांच साल की मिनिमम समय सीमा तय की गई है यानी अगर कोई कर्मचारी किसी कंपनी में पांच साल तक काम करता है, तो उसे जॉब छोड़ने पर कंपनी की ओर से रिवॉर्ड के तौर पर ग्रेच्युटी दी जाती है. आज हम आपको देश के मौजूदा ग्रेच्‍युटी नियमों के बारे में बता रहे हैं. 

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कर्मचारियों की संख्या से जुड़ा नियम

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अगर किसी कंपनी में 10 या इससे ज्यादा कर्मचारी काम कर रहे हैं, तो ऐसे में कंपनी को आपने कर्मचारियों को ग्रेच्युटी के तौर पर राशि का भुगतान करना अनिवार्य है. इसमें सरकारी और प्राइवेट दोनो ही कंपनियां आती हैं. इसके साथ ही दुकानें, फैक्ट्री भी इसके दायरे में शामिल हैं.

ग्रेच्युटी एक्ट के तहत कंपनी रजिस्टर होनी चाहिए.

ग्रेच्युटी के लिए अप्लाई करने से पहले आपको ये जांच जरूर करनी चाहिए कि आपकी कंपनी ग्रेच्युटी एक्ट के तहत रजिस्टर है या नहीं. क्योंकि अगर आपकी कंपनी रजिस्टर है तो उसे नियमों के अनुसार आपको ग्रेच्युटी का भुगतान करना होगा, लेकिन अगर कंपनी रजिस्टर नहीं है तो ग्रेच्युटी का भुगतान करना या नहीं करना कंपनी की इच्छा पर निर्भर करता है.

समय सीमा

भारत में ग्रेच्युटी के लिए न्यूनतन समय सीमा 5 साल है. यदि किसी कर्मचारी ने कंपनी में 4 साल और 8 महीने काम किया है, तो इसे पांच साल ही माना जाएगा. लेकिन अगर कर्मचारी ने 4 साल और 7 महीने कंपनी में काम किया है तो इसे 4 साल माना जाएगा. ऐसे में कर्मचारी ग्रेच्युटी नहीं ले सकता है. इसमें नोटिस पीरियड को नौकरी के दिनों में गिना जाएगा.

नौकरी पर रहते कर्मचारी की मृत्यु हो जाने पर

अगर किस कर्मचारी की रिटायरमेंट या जॉब छोड़ने से पहले ही मृत्यु हो जाती है, तो ऐसे में कंपनी को कर्मचारी के नॉमनी को ग्रेच्युटी का भुगतान करना होगा. यहां पर न्यूनतम समय सीमा वाला नियम लागू नहीं होगा.

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ग्रेच्‍युटी कैलकुलेट करने का ये है नियम

ग्रेच्‍युटी को कैलकुलेट करने का एक नियम है - (अंतिम सैलरी) x (कंपनी में कितने साल काम किया) x (15/26). महीने में रविवार के 4 दिनों को वीक ऑफ मानते हुए नहीं गिना जाता, जिसकी वजह से एक महीने में सिर्फ 26 दिनों को गिना जाता है और 15 दिन के आधार पर ग्रेच्यु​टी का कैलकुलेशन होता है. उदाहरण के तौर पर एक व्यक्ति ने कंपनी में 20 साल तक काम किया और उसकी लास्‍ट सैलरी करीब 25,000 रुपये है, तो उसकी ग्रेच्युटी की रकम का पता लगाने के लिए हम इस फॉर्मूले को लगाएंगे. इस फॉर्मूले के हिसाब से व्यक्ति की ग्रेच्युटी की राशि 20x25000x15/26 = 2,88,461.54 रुपये होगी.

देश में नया लेबर कोड़ बिल ला सकती है सरकार

केन्द्र सरकार जल्द ही देश में नया लेबर कोड लागू करने की तैयारी कर रही है. इन नए लेबर कोड के लागू होने के बाद निजी और सरकारी विभागों और कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों के सैलरी, छुट्टियों, प्रोविडेंट फंड, ग्रैच्‍युटी से जुड़े नियमों में बड़े बदलाव आ जाएंगे. इसका सबसे ज्यादा फायदा रिटायर होने वाले या फिर नौकरी बदलने वाले कर्मचारियों को होगा, क्योंकि ग्रैच्‍युटी के नियमों में तय 5 साल की समय सीमा को घटाकर एक साल किया जा सकता है. यानी अब एक साल के बाद जॉब बदलने वाले कर्मचारी भी ग्रेच्युटी हासिल कर सकते हैं.

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