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Financial Planning: कम उम्र में फाइनेंशियल प्लानिंग शुरू करना क्यों है जरूरी? क्या होनी चाहिए इसकी स्ट्रैटेजी?

वोटिंग राइट मिलने के बाद से ही युवाओं को फाइनेंशियल प्लानिंग शुरू कर कर देना चाहिए. जितनी जल्दी आप इक्विटी से जुड़े मार्केट में निवेश शुरू कर देंगे, आगे चलकर उतना ही बेहतर होगा.

वोटिंग राइट मिलने के बाद से ही युवाओं को फाइनेंशियल प्लानिंग शुरू कर कर देना चाहिए. जितनी जल्दी आप इक्विटी से जुड़े मार्केट में निवेश शुरू कर देंगे, आगे चलकर उतना ही बेहतर होगा.

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FE Hindi Desk
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वोट करने का अधिकार मिल जाने के बाद से ही फाइनेंशियल प्लानिंग शुरू कर देनी चाहिए.

Financial Planning: वोटिंग राइट 18 साल की उम्र में मिल जाती है साथ ही कई विशेषाधिकार भी. उम्र के इस पड़ाव पर आप PAN कार्ड के लिए अप्लाई कर पाते हैं. ड्राइविंग लाइसेंस, क्रेडिट या डेबिट कार्ड समेत लाइफ से जुड़े तमाम फैसले खुद लेने के काबिल हो जाते हैं. बावजूद इसके जो फैसला सबसे पहले करना चाहिए उसे ले पाने में ज्यादातर युवा चूक जाते हैं. दरअसल वोटिंग राइट मिलने के बाद से ही युवाओं को फाइनेंशियल प्लानिंग कर लेनी चाहिए. याद रखिए जितनी जल्दी आप इक्विटी से जुड़े मार्केट में निवेश शुरू कर देंगे, आगे चलकर उतना ही बेहतर होगा. दरअसल ऐसा करते आप लंबी अवधि के बाद मार्केट से बढ़िया रिटर्न हासिल कर पाते हैं.

यहां 18 साल की उम्र में फाइनेंशियल प्लानिंग के फायदे रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप हेड विकास माथुर एक उदाहरण से समझा रहे हैं. वह कहते हैं कि अगर आप रेगुलर मंथली बेसिस पर अभी से 3000 म्युचुअल फंड SIP (Mutual Fund SIPs) में इनवेस्ट करते हैं तो सालाना 12% अनुमानित इंटरेस्ट रेट के हिसाब से 30 साल बाद आप 1 करोड़ 5 लाख रुपये रिटर्न के तौर पर जोड़ सकते हैं. यही इनवेस्टमेंट अगर आप 5 साल बाद करना शुरू करते हैं तो 25 साल बाद समान सालाना ब्याज दर पर लगभग 56 लाख 37 हजार रुपये रिटर्न हासिल कर पाएंगे. दरअसल पॉवर ऑफ कंपाउंडिंग की बदौलत ऐसा संभव हो पाता है. विकास माथुर बताते हैं कि म्युचुअल फंड में इनवेस्टमेंट करने में देरी नहीं करना चाहिए. हालांकि इस पर रिटर्न मार्केट से तय होता है. और रही बात 12 फीसदी सलाना रिटर्न रेट की तो यह इक्विटी स्कीम से जुड़े पिछले कुछ आकड़ो के हिसाब से बताया गया है.

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निवेश की कैसे करें शुरुआत ?

यंग इनवेस्टर को हमेशा लंबी अवधि वाले रिटर्न स्कीम में निवेश करना चाहिए. दरअसल उम्र के इस पड़ाव पर मार्केट रिस्क और उससे उबरने की क्षमता अधिक होती है. माथुर कहते हैं कि इक्विटी मार्केट को समझने के लिए आप स्माल अमाउंट के निवेश से शुरूआत कर सकते हैं. और अपनी एक यूनिक इनवेस्टमेंट प्रोफाइल तैयार कर सकते हैं. 5 से 6 साल में इक्विटी मार्केट की अच्छी समझ बन जाने के बाद आप इसमें अधिक अपनी सेविंग इनवेस्ट कर सकते हैं. अगर आप फाइनेंशियल एजुकेशन के मामले में कमजोर हैं तो आपकी प्राथमिकता पैसे की सेफ्टी को लेकर बहुत जरुरी है. सट्टेबाजी से बचना चाहिए. कैपिटल मार्केट में इनवेस्टमेंट अपनी कैटेगरी का महज एक पहलू है. विकास माथुर सुझाव देते हैं कि इक्विटी मार्केट को समझने के लिए 18 साल की उम्र में कम से कम 3 साल म्यूचुअल फंड और ब्लू चिप स्टॉक में निवेश करना चाहिए. साथ ही हर साल अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करते रहना चाहिए. वह कहते हैं कि ट्रेडिंग मार्केट में उतरने से पहले उसकी बारिकियों को भी समझना चाहिए.

किस स्कीम में निवेश करें

इस उम्र में अगर आप सुरक्षित निवेश का विकल्प चुनना चाहते हैं तो आपके लिए म्युचुअल फंड एसआईपी, स्माल टिकट साइज वेल्थ और ब्लू चिप स्टॉक में एसआईपी बेहतर हो सकता है. ये तीनों 3-5 साल के भीतर बढ़िया रिटर्न देते हैं. मार्केट में उतार-चढ़ाव और लंबी अवधि वाले ऊचित रिटर्न देने वाले स्कीम के इतर इन तीनों पर कंपाउंडिंग द्वारा अधिकतम रिटर्न मिलती है. विकास माथुर कहते हैं कि छोटे अमाउंट के निवेशकों के लिए बैंक का रिकरिंग डिपॉजिट (RDs) स्कीम सबसे अच्छा है. यहां ऐसे निवेशकों को रिटर्न की गारंटी भी मिल जाती है.

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पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन

मार्केट के जोखिम से बचने के लिए अपना पोर्टफोलियो डायवर्सिफाई करें. यानी अपनी सभी सेविंग किसी एक स्कीम में लगाने के बजाय उसे थोड़ा-थोड़ा करके कई स्कीम में निवेश करें. ताकि जब आपकी एक स्कीम से बढ़िया रिटर्न न मिले तो दूसरी स्कीम आपके टार्गेट को पूरा करने में मददगार साबित हो. ऐसा करके आप मार्केट के रिस्क से आसानी से बच सकते हैं.

क्रिप्टो करेंसी में इनवेस्ट करें या नहीं?

क्रिप्टो करेंसी में निवेश करने से पहले रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और सरकार के गाइडलाइन का इंतजार करें. 18 साल की आयु पूरी कर लेते ही आपको वोट का अधिकार मिल जाता है. इसका जरूर इसका जरूर इस्तेमाल करें और उम्र के इस पड़ाव से ही आने वाली लाइफ में आर्थिक आजादी के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग जरूर करें.

(नोट : फाइनेंशियल प्लानिंग के मामले में रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप हेड विकास माथुर का यह निजी विचार है.)

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