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माता-पिता बच्चों के पहले शिक्षक होते हैं, इसलिए यह अहम है कि वे कम उम्र में ही बच्चों को पैसे बचाने की अहमियत समझाएं.
Happy Parents Day: हर माता-पिता अपने बच्चों के लिए अच्छा चाहते हैं. चूंकि माता-पिता बच्चों के पहले शिक्षक होते हैं, इसलिए यह अहम है कि वे कम उम्र में ही बच्चों को पैसे बचाने की अहमियत समझाएं. आर्थिक फैसले लेने के छोटे अनुभव लंबे समय में जाकर आदत बनते हैं. अगर उन्हें पैसों को मैनेज करने के बारे में नहीं सिखाया जाए, तो उनके व्यस्क होने पर उन्हें परेशानी हो सकती है. इसलिए बेहतर भविष्य के लिए बच्चों को बचपन में ही बचत की सीख देना जरूरी है. माता-पिता अक्सर बच्चों को वीकली या मंथली भत्ता (जिसे पॉकेट मनी के रूप में भी जाना जाता है) देते हैं, जो कि बच्चों की आर्थिक शिक्षा का पहला कदम है. इससे बच्चों को बजट बनाने और खर्च करते हुए बचत करने की सीख मिलती है. हाल के एक स्टडी के अनुसार, भारतीय बच्चों की पॉकेट मनी औसतन 52 देशों की जीडीपी के बराबर थी.
पैसा कैसे खर्च किया जाए, इसकी समझ नहीं होने पर बच्चों को भविष्य में कई वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है. बुनियादी खर्चों जैसे भोजन, कपड़े या रहने की व्यवस्था के लिए भी पैसा जरूरी है. यहां हमने बताया है कि आप अपने बच्चों को पैसे बचाना कैसे सिखा सकते हैं.
बच्चों को पैसे कमाने का दें मौका
सबसे पहले बच्चे को बचत शुरू करने के लिए पैसे कमाने का अवसर होना चाहिए. इसके लिए आप अपने बच्चे को घर पर कोई काम दें और उस काम के बदले उन्हें पैसे दे सकते हैं. इसके आपके बच्चे को पैसे की अहमियत समझ आएगी. कमाए गए धन और घर पर पॉकेट मनी के रूप में मिले धन के बीच के अंतर को समझना जरूरी है. हालांकि, बच्चों को सभी काम के लिए पैसे देने की जरूरत नहीं है. कुछ काम जिम्मेदारियों के रूप में भी किए जाते हैं. लगभग 22,000 करोड़ भारतीय बच्चों को पॉकेट मनी के रूप में पैसे दिए जाते हैं, और इसमें से सभी अपना पैसा खर्च नहीं करते हैं. लगभग 50 प्रतिशत बच्चे अपनी पॉकेट मनी बचाते हैं.
समझदारी से खर्च के लिए उन्हें गाइड करें
जब आप अपने बच्चें को पॉकेट मनी देते हैं तो उन्हें इसे स्मार्ट तरीके से खर्च करने को लेकर भी गाइड करना जरूरी है. बच्चे को उनके डिमांड के हिसाब से पैसे न दें. उनके पॉकेट मनी के रूप में एक निश्चित अमाउंट दें और स्पष्ट करें कि उससे अधिक पैसा उन्हें नहीं मिलेगा. ऐसा करने पर बच्चें को यह बात समझ आएगी कि उन्हें उस निश्चित अमाउंट को किस तरह जरूरी चीजों में खर्च करना है. आप एक और काम कर सकते हैं. अगर बच्चा कोई काम पूरा नहीं करता है और उसके बदले में वह काम पेरेंट्स को करना पड़ता है तो इसके बदले में पेरेंट्स बच्चे से पैसे ले सकते हैं.
50/30/20 नियम का पालन करें
पैसे बचाने का एक आसान तरीका 50/30/20 नियम का पालन करना हो सकता है. पैसा बचाना एक बड़ी आदत है. बहुत कम उम्र से पैसे बचाने की आदत डालने से उन्हें यह समझने में मदद मिलेगी कि पैसा केवल कमाकर नहीं पाया जा सकता. आप नियमित रूप से पैसे बचाकर भी बड़ा अमाउंट बचा सकते हैं. नियमित रूप से पैसा बचाना जरूरी है. आप इसके लिए 50/30/20 नियम का पालन कर सकते हैं. इसके ज़रिए आप अपने पैसों को तीन बकेट में अलग कर सकते हैं.
- अर्जित धन का पचास प्रतिशत 'जरूरतों' को पूरा करने में चला जाता है, जिसके लिए बच्चों को अंत में खर्च करना चाहिए.
- कमाई का 30 फीसदी हिस्सा फोन और गेम जैसी 'इच्छाओं' को पूरा करने में जाता है. इन चीजों पर खर्च के बजाय, उन्हें किसी वयस्क होने पर किसी बड़े गोल के लिए बचाया जा सकता है.
- इसके बाद, बीस प्रतिशत हिस्सा सेविंग के रूप में बचाया जाना चाहिए. अपने बच्चे को बचत करना सिखाना बहुत जरूरी है.
माता-पिता के मार्गदर्शन में बच्चों को पैसे की अहमियत सिखाने से बच्चों में वही समझ पैदा होंगी जो पेरेंट्स में हैं. बच्चे सबसे ज्यादा अपने पेरेंट्स से सीखते हैं, इसलिए पेरेंट्स जिस तरह से पैसों से जुड़े फैसले लेते हैं उसी तरह बच्चे भी लेंगे. बच्चों को पर्सनल फाइनेंस के बारे में शिक्षित करना एक लंबी प्रक्रिया है, और यह समय के साथ और धीरे-धीरे होगा और इसका सकारात्मक परिणाम निकलेगा.
(The author is Co-Founder of Junio. Views expressed are his own)