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Health Insurance: आइए जानते हैं कि 1 अक्टूबर से स्वास्थ्य बीमा के कौन-से नियम बदलने जा रहे हैं.
1 अक्टूबर से आपकी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी से जुड़े नियमों में बदलाव आने जा रहा है. इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (IRDAI) द्वारा जारी गाइडलाइंस के मुताबिक ये बदलाव आएंगे. इससे बीमाधारकों को कई फायदे होंगे. अब बीमाधारक किस्तों में प्रीमियम का भुगतान कर सकेंगे. इसके साथ कई नई बीमारियां अब पॉलिसी में कवर होंगी. आइए जानते हैं कि 1 अक्टूबर से स्वास्थ्य बीमा के कौन-से नियम बदलने जा रहे हैं.
किस्तों में प्रीमियम का भुगतान
प्रीमियम का भुगतान किस्तों में किया जा सकता है- हाफ-ईयरली, क्वाटरली या मंथली. अगर आपको 12 हजार का सालाना प्रीमियम देना है, तो आप अब इसे साल में नियमि अंतराल पर किस्तों में कर सकते हैं.
आठ साल बाद क्लेम को रिजेक्ट नहीं
IRDAI के मुताबिक, आठ लगातार साल पूरे होने के बाद, हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम को नकारा नहीं जा सकता है, सिवाए अगर कोई फ्रॉड सिद्ध हो और कोई परमानेंट अपवाद पॉलिसी कॉन्ट्रैक्ट में बताया गया हो. हालांकि, पॉलिसी को सभी लिमिट, सब लिमिट, को-पेमेंट, डिडक्टेबिलिटी के मुताबिक देखा जाएगा, जो पॉलिसी कॉन्टैक्ट के मुताबिक हैं.
क्लेम सेटलमेंट
बीमा कंपनी को किसी क्लेम को आखिरी जरूरी दस्तावेज की रसीद की तारीख से 30 दिन में क्लेम का सेटलमेंट या रिजेक्शन करना होगा. अगर क्लेम के भुगतान में देरी की स्थिति में, बीमा कंपनी को पॉलिसी धारक को आखिरी जरूरी दस्तावेज की रसीद की तारीख से ब्याज देना होगा. यह बैंक रेट से दो फीसदी ज्यादा होगा. अगर क्लेम के लिए पड़ताल करनी है, तो कंपनी को उसे 30 दिन के भीतर ही पूरा करना होगा. अगर किसी के पास एक से ज्यादा पॉलिसी हैं, तो उसे पॉ़लिसी के नियम और शर्तों के मुताबिक क्लेम सेटलमेंट करना होगा.
नई बीमारियों के लिए कवर
रेगुलेटरी बॉडी ने गाइडलाइंस जारी की हैं जो कई बाहर रखी गई बीमारियों पर एक रेगुलर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत कवर देंगी. इनमें उम्र से संबंधित डिजनरेशन, मानसिक बीमारियां, इंटरनल congenital, जेनेटिक बीमारियों को अब कवर किया जाएगा. इसके अलावा उम्र से संबंधित बीमारियां शामिल हैं जिनमें मोतिया बिंद की सर्जरी और घुटने की कैप की रिप्लेसमेंट या त्वचा से संबंधित बीमारियां जो काम की जगह की स्थिति की वजह से हुई है, उस पर भी कवर मिलेगा.
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टेलीमेडिसिन पर कवर
IRDAI ने स्वास्थ्य और साधारण बीमा कंपनियों को टेलीमेडिसिन को भी दावा निपटान की नीति में शामिल करने का निर्देश दिया है. भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) ने 25 मार्च को ‘टेलीमेडिसिन’ को लेकर दिशानिर्देश जारी किया था ताकि पंजीकृत डॉक्टर टेलीमेडिसिन का इस्तेमाल कर स्वास्थ्य सेवाएं दे सके.
बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) ने सभी स्वास्थ्य और साधारण बीमा कंपनियों को सर्कुलर जारी कर कहा कि टेलीमेडिसिन की अनुमति का प्रावधान बीमा कंपनियों की दावा निपटान नीति का हिस्सा होगा. इसके लिए किसी तरह के सुधार को लेकर अलग से प्राधिकरण के पास कुछ भी देने की जरूरत नहीं है. हालांकि उत्पाद की मासिक/सालाना सीमा आदि के नियम बिना किसी छूट के लागू होंगे.
प्रपोशनेट डिडक्शन पर नियम
बीमा कंपनियों को अब कुछ मेडिकल खर्चों को शामिल करने की इजाजत नहीं होगी जिसमें फार्मेसी और कंज्यूमेबल, इंप्लांट्स, मेडिकल डिवाइस और डाइग्नोस्टिक्स शामिल हैं. तो अब स्वास्थ्य बीमा कंपनियां प्रपोशनेट डिडक्शन के लिए कोई खर्च रिकवर नहीं कर सकती हैं. रेगुलेटर ने बीमा कंपनियों को निर्देश दिया है कि यह ICU चार्जेज के लिए लागू नहीं हो.