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Retirement Planning: आरामदायक ज़िंदगी के लिए क्यों जरूरी है रेगुलर इनकम, कैसे करें इसकी प्लानिंग, जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

ऐसे कई लोग हैं जो रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली एकमुश्त रकम को दूसरी जरूरतों में खर्च कर देते हैं. नतीजतन, वे या तो पैसे के लिए दूसरों पर निर्भर हो जाते हैं या फिर से काम करने के लिए मजबूर हो जाते हैं.

ऐसे कई लोग हैं जो रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली एकमुश्त रकम को दूसरी जरूरतों में खर्च कर देते हैं. नतीजतन, वे या तो पैसे के लिए दूसरों पर निर्भर हो जाते हैं या फिर से काम करने के लिए मजबूर हो जाते हैं.

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Here is why getting regular income post-retirement is important

रिटायरमेंट के बाद भी रेगुलर इनकम का विकल्प चुनना काफी अहम है.

Retirement Planning: जब भी रिटायरमेंट प्लानिंग की बात आती है तो पहला सवाल जो मन में आता है वह यह है कि कितना अमाउंट पर्याप्त होगा? असल में यह आपकी वर्तमान आय, आपके लाइफस्टाइल आदि पर निर्भर करता है. रिटायरमेंट के बाद अक्सर यह होता है कि आप पूरी रकम अन्य चीजों पर खर्च कर देते हैं और इसके बाद आपको अपनी जरूरतों के लिए या तो किसी पर निर्भर रहना पड़ता है या फिर से नौकरी करनी पड़ती है.

इसे ऐसे समझें कि मान लीजिए, अमित को रिटायरमेंट बेनिफिट के एक हिस्से के रूप में 50 लाख रुपये की एकमुश्त राशि मिलती है. लेकिन, रिटायरमेंट के 8-10 साल बाद उन्होंने अपने बच्चे की उच्च शिक्षा, कार और संपत्ति खरीदने सहित अन्य चीजों के लिए अपनी सारी बचत खर्च कर दी. इसके चलते, उनके पास अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए बुढ़ापे में फिर से काम शुरू करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

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बोनान्ज़ा इंश्योरेंस ब्रोकर के सीईओ और प्रिंसिपल ऑफिसर अभिषेक मिश्रा कहते हैं, "ऐसे कई लोग हैं जो रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली एकमुश्त राशि का इस्तेमाल अन्य चीजों में खर्च कर देते हैं. नतीजतन, वे या तो पैसे के लिए दूसरों पर निर्भर हो जाते हैं या फिर से काम करने के लिए मजबूर हो जाते हैं.” वे आगे कहते हैं, "इसलिए, रिटायरमेंट के बाद भी रेगुलर इनकम का विकल्प चुनना अहम है." हमने यहां बताया है कि रिटायरमेंट के बाद भी रेगुलर इनकम क्यों अहम है.

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फाइनेंशियली इंडिपेंडेंट रहने के लिए

रेगुलर इनकम नहीं होने पर व्यक्ति को दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है या अपनी बेसिक जरूरतों से समझौता करना पड़ता है. इसलिए, आय का एक नियमित स्रोत होने से वित्तीय स्वतंत्रता और अपनी शर्तों पर जीने की स्वतंत्रता सुनिश्चित हो सकती है.

हेल्थ से जुड़ी समस्याओं का ध्यान रखने के लिए

बढ़ती उम्र के साथ हेल्थ से जुड़ी समस्याएं बढ़ती जाती हैं. इसका पहला सॉल्यूशन हेल्थ इंश्योरेंस है. लेकिन ज्यादातर लोग इसे नहीं चुनते हैं. फिर रिटायरमेंट के बाद, उनके पास कोई इंश्योरेंस कवर नहीं होता है. मिश्रा कहते हैं, "रिटायरमेंट के बाद भी आय का एक नियमित स्रोत यह सुनिश्चित कर सकता है कि कोई अन्य जरूरतों से समझौता किए बिना हेल्थ का ठीक से ध्यान रखा जाए और सही इलाज मिल सके.”

हर महीने होने वाले सामान्य खर्च के लिए

इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का कहना है कि पिछले कुछ दशकों में इंसानों की औसत उम्र बढ़ी है. इसका मतलब यह है कि जब तक आप जीवित हैं, आपके मासिक खर्चों का ध्यान रखने के लिए नियमित आय का स्रोत होना अहम है.

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वित्तीय और मानसिक तनाव से बचने के लिए

मिश्रा कहते हैं, "परिवार की भावनात्मक जुड़ाव के चलते बहुत से लोग उच्च शिक्षा या विवाह जैसी चीजों में अपने रिटायरमेंट फंड का इस्तेमाल करते हैं." इसलिए, रिटायरमेंट के बाद रेगुलर इनकम नहीं होने पर इस स्थिति में आपको बहुत ज्यादा वित्तीय और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है.

रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए कहां करें निवेश

रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए निवेश के कई विकल्प मौजूद हैं जैसे - डायरेक्ट इक्विटी, म्यूचुअल फंड और इंश्योरेंस कंपनियों द्वारा दी जाने वाली पेंशन प्लान्स. हालांकि, मिश्रा कहते हैं, "यह ध्यान रखना अहम है कि हर निवेश के अपने फायदे और नुकसान होते हैं. उदाहरण के लिए, जहां डायरेक्ट इक्विटी और म्यूचुअल फंड निवेश में ज्यादा रिटर्न जनरेट करने की क्षमता है, लेकिन इनके साथ जोखिम भी जुड़े होते हैं. लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों द्वारा पेश की जाने वाली पेंशन प्लान्स थोड़े कम लेकिन बिना रिस्क के रिटर्न प्रदान करती हैं.

किसी भी फाइनेंशियल इन्स्ट्रुमेंट में निवेश करने से पहले, अपनी जोखिम उठाने की क्षमता का ध्यान रखना अहम है. रिटायरमेंट के बाद आरामदायक जीवन के लिए प्लानिंग करना हर किसी के लिए जरूरी है, इसलिए व्यक्ति को अलग-अलग फाइनेंशियल इन्स्ट्रुमेंट के बीच निवेश करना चाहिए. मिश्रा कहते हैं, "लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों द्वारा पेश की जाने वाली पेंशन स्कीम्स में रिटर्न की गारंटी होती है, इसलिए इसे आपके इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो में जरूर होना चाहिए.”

(Article: Priyadarshini Maji)

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