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Higher EPS pension: हायर पेंशन का विकल्प किसके लिए है बेहतर, चुनते हैं तो कितनी बनेगी पेंशन

EPS Higher Pension: ऐसे कर्मचारी जो 1 सितंबर, 2014 से पहले EPF के मेंबर थे और इसके बाद भी वे मेंबर बने रहे, वे हायर पेंशन विकल्‍प के लिए योग्य हैं.

EPS Higher Pension: ऐसे कर्मचारी जो 1 सितंबर, 2014 से पहले EPF के मेंबर थे और इसके बाद भी वे मेंबर बने रहे, वे हायर पेंशन विकल्‍प के लिए योग्य हैं.

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Sushil Tripathi
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Pension Scheme

Higher Pension: आपके पास रिटायरमेंट के बाद हायर पेंशन पाने का विकल्‍प अभी भी मौजूद है.

Why and Who Should Choose Higher Pension Option: 1 सितंबर, 2014 से पहले से EPFO के मेंबर थे और इसके बाद भी वे मेंबर बने रहे, तो आपके पास रिटायरमेंट के बाद हायर पेंशन पाने का विकल्‍प अभी भी मौजूद है. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने हायर पेंशन पाने के लिए आवेदन करने की समय सीमा को 3 मई से बढ़ाकर 26 जून कर दिया है. EPFO ने कहा कि कर्मचारियों, नियोक्ताओं एवं उनके संगठनों से आई मांगों पर विधिवत विचार करने के बाद समयसीमा बढ़ाई गई है. इससे पेंशनधारकों एवं मौजूदा अंशधारकों को आवेदन करने के लिए पर्याप्त समय मिल पाएगा. असल में अगर आप प्राइवेट नौकरी में हैं, प्रोविडेंट फंड (PF) में आपका पैसा कटता है और 10 साल तक नौकरी कर ली है तो आप पेंशन के हकदार हैं. आपके PF खाते में जमा रकम का एक हिस्सा पेंशन फंड के लिए कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) में जाता है.

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क्या है हायर पेंशन का विकल्प?

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केंद्र सरकार ने नॉर्मल पेंशन स्कीम के अलावा अब हायर पेंशन का भी विकल्प दिया है. ऐसे कर्मचारी जो 1 सितंबर, 2014 से पहले EPF के मेंबर थे और इसके बाद भी वे मेंबर बने रहे, वे हायर पेंशन विकल्‍प के लिए योग्य हैं. इसके तहत आपको कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) के लिए अपनी बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता (अगर लागू हो) का 8.33 फीसदी योगदान करने का विकल्प होगा. यहां एक बात ध्यान देने वाली है कि अगर आपने हायर पेंशन का विकल्‍प चुना है तो EPFO आपके PF खाते से EPS की राशि को काट लेगा. यह आपकी ज्‍वॉइनिंग डेट या 1 नवंबर, 1995, जो भी बाद में हो, इसके आधार पर होगा.

मौजूदा समय की बात करें तो हर महीने PF खाते में कर्मचारी की बेसिक सैलरी + डीए का 12 फीसदी जमा होता है. एम्प्लॉयर का योगदान भी 12 फीसदी ही होता है. कंपनी द्वारा किए जाने वाले योगदान में से 8.33 फीसदी राशि कर्मचारी के पेंशन फंड (EPS) में जाती है और बाकी 3.67 फीसदी राशि ही पीएफ खाते में जाती है. मौजूदा नियमों के अनुसार पेंशन योग्य सैलरी की अधिकतम सीमा 15 हजार रुपए है. ऐसे में 15000 X 8.33 /100 = 1250 रुपए हर महीने उसके पेंशन खाते में जाएंगे.

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क्‍या आपको चुनना चाहिए विकल्‍प?

अगर आप रिटायरमेंट के बाद रेगुलर मंथली इनकम का जरिया खोज रहे हैं तो ईपीएफओ के तहत हायर पेंशन का विकल्प चुनना एक बेहतर स्ट्रैटेजी है. क्योंकि ईपीएफओ आपको एफडी या दूसरे स्माल सेविंग्स स्कीम के मुकाबले बेहतर और गारंटीड रिटर्न देता है. हायर पेंशन विकल्प का मतलब है कि रिटायरमेंट के बाद आपको हर महीने ज्यादा और गारंटीड इनकम होगी. हालांकि आपको पीएफ के रूप में मिलने वाला एकमुश्त मिलने वाली रकम घट जाएगी. उनका कहना है कि वैसे भी फाइनेंशियल प्लानिंग करते समय पूरा निवेश एक ही बास्केट में नहीं करना चाहिए. अगर आप रिटायरमेंट के बाद एकमुश्त फंड चाह रहे हें तो समय रहते ही बेहतर म्यूचुअल फंड योजनाओं में एसआईपी शुरू कर दें. इसके जरिए आज से 20 सा 30 साल बाद बड़ा फंड तैयार कर सकते हैं. यानी यह विकल्प उन लोगों के लिए बेहतर है जो रिटायरमेंट के बाद रेगुलर मंथली इनकम चाहते हैं. साथ ही एकमुश्त फंड के लिए किसी लॉन्ग टर्म स्कीम में निवेश करने में भी सक्षम हैं.

हायर पेंशन स्कीम: कितनी बनेगी पेंशन

वैसे तो अभी EPFO ने हायर पेंशन विकल्‍प के लिए कोई नया कैलकुलेटर नहीं दिया है; लेकिन अगर पुराने कैलकेलुटर के आधार पर देखें तो इसका फॉर्मूला ये है-

कर्मचारी की मंथली पेंशन = पेंशन योग्य वेतन X पेंशन योग्य सेवा /70.

मान लिया कि आपने 25 साल में नौकरी शुरू की है और 58 साल की उम्र में आप रिटायर हो रहे हैं. यानी आपके नौकरी की अवधि 33 साल रही. मान लिया की EPS से बाहर निकलने से पहले पिछले 60 महीनों में आपकी बेसिक सैलरी 50,000 रुपये है. किसी भी कर्मचारी का EPS से बाहर निकलने से पहले पिछले 60 महीनों का पेंशन योग्य वेतन उसका औसत मासिक वेतन होता है. नए नियम में एक्चुअल बेसिक सैलरी के आधार पर पेंशन के लिए कैलकुलेशन होगा.

मंथली पेंशन: 50,000X 33/70 = 23571 रुपए

बता दें कि मौजूदा पेंशन स्‍कीम में अधिकतम पेंशन योग्‍य सैलरी पर कैपिंग है और 15000 रुपये तक ही बेसिक सैलरी के आधार पर पेंशन बनती है. लेकिन नए नियम में एक्‍चुअल बेसिक सैलरी को आधार माना जाएगा.

ये हैं जरूरी नियम

कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) एक पेंशन स्कीम है, जिसको मैनेज करने का काम EPFO का होता है. EPS को वर्ष 1995 में लॉन्च किया गया था और इस योजना में मौजूदा और नए EPS मेंबर शामिल हो सकते थे. कर्मचारी अगर EPFO में योगदान करता है तो 10 साल नौकरी करने के बाद पेंशन पाने का हकदार हो जाता है. हालांकि यह पेंशन उसे 58 साल की उम्र पूरी होने के बाद मिलता है. 50 साल बाद भी पेंशन लिया जा सकता है, लेकिन तक कटौती के साथ पेंशन मिलेगी. 50 साल से कम उम्र में नौकरी छोड़ दी तो पेंशन के लिए 58 साल की उम्र पूरा होने का इंतजार करना होगा, जिसके बाद पेंशन मिलेगी. होने पर उसे पेंशन का लाभ नहीं मिलेगा. अगर नौकरी करते 10 साल पूरे नहीं हुए तो पूरा पेंशन फंड निकाला जा सकता है.

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