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हिंडाल्को के शेयरों में मुनाफे का मौका
हाइड्रो के एल्यूमीनियम निकालने के बिजनेस को हिंडाल्को (Hindalco) की ओर से खरीदने का फैसला इसके डाउनस्ट्रीमिंग की स्ट्रेटजी को दोगुना रफ्तार देने की रणनीति का हिस्सा है. यह प्लांट आंध्रप्रदेश के कप्पम में है. यह प्लांट सिलवासा के एल्यूमीनियम निकालने के प्लांट के पूरक के तौर पर काम कर सकेगा.कप्पम और सिलवाासा की यूनिटों के शुरू होने पर हिंडाल्को की कुल एल्यूमीनियम निकालने की क्षमता बढ़ कर 60 हजार टन सालाना से बढ़ कर एक लाख नौ हजार टन सालाना हो जाएगी.
ग्लोबल एल्यूमीनियम सप्लाई में चीन का बड़ा हिस्सा
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के मुताबिक एल्यूमीनियम Extrusions की ग्लोबल सप्लाई 3 लाख टन सालाना है. इसमें से 1 लाख 90 हजार टन की भागीदारी अकेले चीन की है. चीन एल्यूमीनियम का सबसे बड़ा निर्यातक है. एल्यूमीनियम Extrusions का इंडियन मार्केट साल 2030 तक बढ़ कर एक दस लाख टन सालाना तक हो सकता है. जिंदल एल्यूमीनियम इस वक्त भारत में एल्यूमीनियम निकालने वाली सबसे बड़ी कंपनी है. जिंदल के डीलरों का नेटवर्क भी सबसे बड़ा है.
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हिंडाल्को के लिए क्या है टारगेट प्राइस
जहां तक हिंडाल्को का सवाल है तो अगर यह अपनी फाउंड्री में निवेश करती है और स्क्रैप का इस्तेमाल करती है तो लागत घटा सकती है. भारत में एल्यूमीनियम की ज्यादा डिमांड बिल्डिंग बनाने में होती है. इसलिए कंस्ट्रक्शन सेक्टर में तेजी आते ही एल्यूमीनियम की मांग बढ़ेगी और हिंडाल्को को इसका फायदा मिलेगा. इसे देखते हुए हिंडाल्को का फाउंड्री में निवेश का फैसला सही साबित हो सकता है. आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज का कहना है कि हिंडाल्को की मौजूदा रणनीति को देखते हुए इसे BUY की रेटिंग दी जा सकती है और इसका टारगेट प्राइस 550 रुपये प्रति शेयर रखा जा सकता है.
(स्टोरी में दिए गए स्टॉक रिकमंडेशन संबंधित रिसर्च एनालिस्ट व ब्रोकरेज फर्म के हैं. फाइनेंशियल एक्सप्रेस ऑनलाइन इनकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. पूंजी बाजार में निवेश जोखिमों के अधीन हैं. निवेश से पहले अपने सलाहकार से जरूर परामर्श कर लें.)