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Investment Diversification : निवेश में डाइवर्सिफिकेशन - मुनाफा कमाने का रामबाण नुस्खा, आजमा कर तो देखिये

डाइवर्सिफिकेशन की प्रक्रिया तार्किक होनी चाहिए. बगैर सोचे-समझे डाइवर्सिफिकेशन का कोई फायदा नहीं होता. डाइवर्सिफिकेशन का असर आपके निवेश में बढ़िया परफॉरमेंस और अड़चन रहित रिटर्न के तौर पर दिखना चाहिए.

डाइवर्सिफिकेशन की प्रक्रिया तार्किक होनी चाहिए. बगैर सोचे-समझे डाइवर्सिफिकेशन का कोई फायदा नहीं होता. डाइवर्सिफिकेशन का असर आपके निवेश में बढ़िया परफॉरमेंस और अड़चन रहित रिटर्न के तौर पर दिखना चाहिए.

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Investment Diversification : निवेश में डाइवर्सिफिकेशन - मुनाफा कमाने का रामबाण नुस्खा, आजमा कर तो देखिये

Investment Diversification Strategy : एक पुरानी कहावत है- सारे अंडे एक ही टोकरी में नहीं रखना चाहिए. इसी तरह सारा इन्वेस्टमेंट एक ही एसेट क्लास में नहीं कर देना चाहिए. कई निवेशक शेयर या म्यूचुअल फंड्स में ही अपना सारा पैसा लगा देते हैं. लेकिन डाइवर्सिफिकेशन मोटे तौर पर आपके इनवेस्टमेंट में रिस्क को कम कर देता है. साथ ही यह एक लंबी अवधि में आपके रिटर्न को भी बढ़ाता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हर एसेट क्लास की खासियत अलग होती है. इसलिए रिटर्न का पैटर्न भी अलग होता है. एक निवेशक को अपने पोर्टफोलियो में इक्विटी, फिक्स्ड इनकम, रियल एस्टेट, गोल्ड और दूसरी कमोडिटीज का सही संतुलन बनाना चाहिए.

डाइवर्सिफिकेशन की प्रक्रिया तार्किक होनी चाहिए. बगैर सोचे-समझे डाइवर्सिफिकेशन का कोई फायदा नहीं होता. डाइवर्सिफिकेशन का असर आपके निवेश में बढ़िया परफॉरमेंस और अड़चन रहित रिटर्न के तौर पर दिखना चाहिए. रिटर्न में बहुत ज्यादा उछाल और बहुत ज्यादा गिरावट नहीं होनी चाहिए. रिटर्न में वोलेटिलिटी कम रहना चाहिए जो निवेशक को अच्छी स्थिति में रख सके.

डाइवर्सिफिकेशन के लिए प्रमुख एसेट क्लास

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डाइवर्सिफिकेशन के लिए इक्विटी, फिक्स्ड इनकम, रियल एस्टेट और वैकल्पिक इनवेस्टमेंट प्रमुख एसेट क्लास हो सकते हैं. डाइवर्सिफिकेशन का एक अच्छा तरीका म्यूचुअल फंड्स में निवेश हो सकता है . इसमें काफी पारदर्शिता होती है और यह लागत के हिसाब से सस्ता भी ही सकता है. म्यूचुअल फंड्स में काफी विकल्प मौजूद हैं, लिहाजा इसका इस्तेमाल कर एक मजबूत पोर्टफोलियो बनाया जा सकता है. शेयर और बॉन्ड में नकारात्मक संबंध होता है.

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अलग-अलग सेक्टर में डाइवर्सिफिकेशन की स्ट्रेटजी

डाइवर्सिफिकेशन के लिए अलग-अलग सेक्टर में निवेश की रणनीति भी कारगर स्ट्रेटजी है. लेकिन आर्थिक झटकों और पोर्टफोलियो की री-बैलेंसिंग की लचीली रणनीति की वजह से डाइवर्सिफिकेशन स्ट्रेटजी मजबूत की जा सकती है. डाइवर्सिफिकेशन के लिए साइकिलिक ( फाइनेंशियल सर्विस और रियल एस्टेट) डिफेंसिव ( हेल्थकेयर, यूटिलिटीज) और सेंसिटिव (एनर्जी, इंडस्ट्रियल) सेक्टर में निवेश किया जा सकता है. एक ही इंडस्ट्री या मार्केट की कंपनियों में सारा निवेश झोंक देने से आप डाइवर्सिफिकेशन का लाभ कभी नहीं ले पाएंगे.हालांकि यह बात भी सही है कि आपका पोर्टफोलियो चाहे कितना भी डाइवर्सिफाई हो, निवेश में जोखिम बना रहता है. पोर्टफोलियो को निवेशक के फाइनेंशियल लक्ष्यों और रिस्क प्रोफाइल के मुताबिक बेहतर साधनों में वितरित करके निवेश डायवर्सिफिकेशन को सुरक्षित किया जा सकता है लेकिन ओवर-डायवर्सिफाई कर देने से नुकसान भी हो सकता है.

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