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अब आप प्रोविडेंट फंड (PF) के जरिए बड़ा टैक्स फ्री फंड नहीं तैयार कर पाएंगे.
PF Taxation: अब आप प्रोविडेंट फंड (PF) के जरिए बड़ा टैक्स फ्री फंड नहीं तैयार कर पाएंगे. दरअसल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपनी बजट स्पीच में प्रस्ताव रखा था कि विभिन्न पीएफ में कर्मचारी अंशदान पर होने वाली ब्याज आय के मामले में टैक्स छूट को 2.5 लाख रुपये सालाना अंशदान तक सीमित किए जाए. यह नया प्रस्ताव 1 अप्रैल 2021 को या उसके बाद होने वाले पीएफ अंशदानों पर लागू होगा.
इस प्रस्ताव के अमल में आने के बाद पीएफ में 2.5 लाख रुपये सालाना तक के अंशदान से होने वाली ब्याज आय ही टैक्स फ्री होगी. इस लिमिट से अधिक के अंशदान पर ब्याज आय टैक्स के दायरे में आ जाएगी. इससे वे कर्मचारी सीधे तौर पर प्रभावित होंगे, जिनकी आय उच्च है और वे वॉलंटरी प्रोविडेंट फंड के जरिए मोटी टैक्स फ्री ब्याज आय प्राप्त कर लेते हैं.
कैसे काम करेगा नया नियम ?
वर्तमान में, EPF या VPF में पूरे पीएफ योगदान पर टैक्स फ्री रिटर्न मिलता है और पीएफ राशि पर EEE स्टेटस है. अगर आपकी मंथली बेसिक सैलरी 1.75 लाख रुपये से ज्यादा है (केवल बेसिक सैलरी, कुल मंथली इनकम नहीं), तो आपका मासिक योगदान 20,835 रुपये से ज्यादा होगा, जो साल में 2.5 लाख रुपये है, फिर उसके बाद की बढ़ी हुई राशि पर कमाई गई ब्याज आय पर टैक्स लगेगा.
उदाहरण के लिए, अगर किसी व्यक्ति की बेसिक सैलरी 1 लाख रुपये है, तो मासिक योगदान 12 हजार रुपये होगा, जो एक साल में करीब 1.44 लाख रुपये है. कर्मचारी VPF में अतिरिक्त 12 फीसदी का योगदान करता है, जिससे साल में कुल योगदान 2.88 लाख रुपये हो जाता है. ऐसे मामले में, 38 हजार रुपये (2.5 लाख रुपये के बाद की राशि) पर कमाए गए ब्याज पर अब टैक्स लगेगा.
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निवेश करते समय टैक्स का रखें ध्यान
नए पीएम नियम का असर उस कर्मचारी पर नहीं होगा, जिसका मासिक योगदान 20,833 रुपये से कम है. हालांकि, अगर आपकी बेसिक सैलरी 1.75 लाख रुपये से ज्यादा है, तो ब्याज आय पर टैक्स लगेगा. इससे बचने का एक तरीका केवल यही है, कि अगर आपका एंप्लॉयर योगदान को NPS में डायवर्ट करने का ऑप्शन देता है.
इसलिए, निवेशकों को VPF में सालाना 2.5 लाख रुपये से ज्यादा की सेविंग्स करते हुए ध्यान रखना चाहिए. रिटर्न के अलावा, इनकम टैक्स लंबी अवधि में फंड तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. सभी निवेशों से टैक्स फ्री आय नहीं मिलती और कमाई गई आय पर व्यक्ति के टैक्स रेट के आधार पर इनकम टैक्स देखना चाहिए. किसी भी निवेश के विकल्प को चुनने से पहले निवेशकों को टैक्स लगने के बाद रिटर्न को देखना चाहिए.