/financial-express-hindi/media/post_banners/GdGfAJ7DOZtPCFSwo9H0.jpg)
एफडी में 7 दिन से लेकर 10 साल तक के लिए निवेश किया जा सकता है.
सुरक्षित निवेश के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट (FDs) बहुत आकर्षक विकल्प माना जाता है क्योंकि इसमें फिक्स्ड रिटर्न मिलता है और बाजार के उतार-चढ़ाव का इस पर फर्क नहीं पड़ता है. एफडी में 7 दिन से लेकर 10 साल तक के लिए निवेश किया जा सकता है. इसमें किए गए निवेश पर जमाकर्ताओं को ब्याज मिलता है. सुरक्षित विकल्प होने के बावजूद एफडी के साथ सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि इसे तय समय से पहले विदड्रॉल करने पर पेनाल्टी देनी होती है. इसके अलावा निकासी के बाद अगर फिर पैसे जुटने पर उसकी FDs कराई जाए तो जरूरी नहीं कि उस पर बेहतर ब्याज मिले और उस पर कम दर से ब्याज मिल सकता है. ऐसे में इस प्रकार की किसी स्थिति से बचने के लिए एफडी राशि को कई हिस्से में बांटकर अलग-अलग अवधि की एफडी कराई जा सकती है. इसके अलावा लिक्विडिटी के लिए एफडी के अगेंस्ट लोन ले सकते हैं.
लिक्विडिटी के लिए अपना सकते हैं ये तीन तरीके
- FD तुड़वाने की बजाय इसके अगेन्स्ट लोन लिया जा सकता है. अधिकतर बैंक डिपॉजिटर्स को फिक्स्ड डिपॉजिट्स के अगेंस्ट लोन की सुविधा उपलब्ध कराते हैं. एफडी पर लोन की ब्याज आमतौर पर इस डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज से 1-2 फीसदी तक अधिक होती है. विशेषज्ञों का मानना है कि एफडी के अगेंस्ट लोन लेना पर्सनल लोन लेने से बेहतर है क्योंकि आमतौर पर दोनों में पर्सनल लोन के लिए अधिक ब्याज चुकाना पड़ सकता है. SBI एफडी रेट से 1 फीसदी अधिक की दर से लोन उपलब्ध कराती है. इसके अलावा एसबीआई बिना किसी प्रोसेसिंग फीस और प्री-पेमेंट फैसिलिटीज के लोन उपलब्ध कराती है. कुछ बैंक ऐसे भी हैं जो एफडी डिपॉजिट्स के 90 फीसदी तक की राशि का लोन देते हैं.
- अगर लिक्विडिटी की चिंता है यानी जरूरत पड़ने पर तुरंत मिल सके, इसका प्रबंध करना है तो स्वीप-इन एफडी अकाउंट का विकल्प चुन सकते हैं. इस विकल्प में न सिर्फ सेविंग अकाउंट जेसी लिक्विडिटी सुविधा मिलती है बल्कि एफडी पर मिलने वाला ब्याज भी मिलता है. ऐसे में इस अकाउंट से प्री-मेच्योर विदड्रॉल पर पेनाल्टी भी नहीं देनी होगी. इस खाते में एक सीमा से अधिक जमा राशि अपने आप एफडी खाते में ट्रांसफर हो जाती है. इसके अलावा अगर बचत खाते में पर्याप्त बैलेंस नहीं है तो एफडी खाते से सेविंग अकाउंट में बैलेंस ट्रांसफर हो जाता है. इस विकल्प के तहत सेविंग अकाउंट में मिनिमम बैलेंस बनाए रखना जरूरी ताकि एफडी में किसी प्रकार की रुकावट न आए.
- एक और विकल्प है लैडरिंग अप्रोच. इस विकल्प के तहत जमाकर्ता इंटेरेस्ट रिस्क को बेहतर तरीके से प्रंबंधित कर सकता है और उसे लिक्विडिटी मिलती है. इस विकल्प के तहत अपनी पूंजी को कई हिस्सों में बांटकर उसे अलग-अलग मेच्योरिटी पीरियड के लिए इंवेस्ट कर सकते हैं. डिपॉजिटर्स 1 साल, 3 साल या 5 साल; अपनी सुविधानुसार मेच्योरिटी पीरियड चुन सकते हैं.