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Maximize FD Returns : निवेश को अलग–अलग जगह लगाना बहुत जरूरी है, ताकि आपका पैसा सुरक्षित रहे और अच्छे रिटर्न भी मिले. (Pixabay)
Fixed Deposits Investment Portfolio : एफडी पोर्टफोलियो बनाना निवेश का एक रणनीतिक तरीका है. इसके जरिए अलग-अलग टेन्योर वाली स्कीम में निवेश (डाइवर्सिफिकेशन), जरूरत के समय पैसे उपलब्ध कराने (Liquidity), और अच्छे रिटर्न कमाने पर फोकस किया जाता है. यह सब आपकी वित्तीय जरूरतों और जोखिम सहने की क्षमता को ध्यान में रखकर किया जाता है. सही तरीके से निवेश करना लंबे समय तक आर्थिक स्थिरता और मजबूत ग्रोथ के लिए बहुत जरूरी है. तो एफडी पोर्टफोलियो बनाने का सही तरीका क्या है. इसकी शुरूआत कैसे करनी चाहिए.
फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) के क्या हैं फायदे?
FD यानी फिक्स्ड डिपॉजिट निवेश का एक पॉपुलर तरीका है, जिसमें आप तय समय के लिए पैसे जमा करते हैं और तय ब्याज (interest) हासिल करते हैं. यह उन लोगों के लिए सही विकल्प है जो सुरक्षित और स्थिर रिटर्न चाहते हैं।
गारंटीड रिटर्न : FD में आपको पहले से तय ब्याज मिलता है. यानी आपका पैसा निश्चित रूप से बढ़ेगा.
सेफ रहता है आपका पैसा : एफडी में शेयर मार्केट या म्यूचुअल फंड की तरह उतार–चढ़ाव का डर नहीं है, आपका डिपॉजिट आमतौर (बैंक के डिफाल्ट करने की स्थिति को छोड़कर) बिल्कुल सुरक्षित रहता है.
रेगुलर इनकम : अगर आप मंथली या तिमाही इंटरेस्ट पेमेंट चुनते हैं, तो आपको हर महीने या हर 3 महीने में तय पैसे मिलते रहते हैं. यह नियमित आय के लिए अच्छा विकल्प है.
जरूरत पर निकाल सकते हैं पैसे : हालांकि FD में कुछ समय तक पैसा लॉक रहता है, लेकिन कई बैंकों में आप जरूरत पड़ने पर समय से पहले पैसा निकाल सकते हैं (कुछ पेनाल्टी लग सकती है).
FD के साथ कैसे पोर्टफोलियो करें डायवर्सिफाई
निवेश को अलग–अलग जगह लगाना बहुत जरूरी है, ताकि आपका पैसा सुरक्षित रहे और अच्छे रिटर्न भी मिले. फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) भी इस रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है. यहां कुछ तरीके दिए गए हैं, जिनसे आप FD के साथ अपना पोर्टफोलियो मजबूत बना सकते हैं:
अलग अलग टेन्योर वाली FD
FD को अलग–अलग समय अवधि (टेन्योर) में लगाएं. छोटी अवधि की FD से आप लिक्विडिटी यानी जरूरत पर पैसे निकाल सकते हैं. लंबी अवधि की FD से आपको ज्यादा ब्याज मिलता है. इससे ब्याज दरों में बदलाव का फायदा भी मिलता है.
इंटरेस्ट पेमेंट के अलग अलग विकल्प
FD में ब्याज लेने के दो तरीके होते हैं : मैच्योरिटी पर एक साथ पैसा और हर महीने या हर तीन महीने ब्याज. अगर आप मंथली या तिमाही इंटरेस्ट वाली FD चुनते हैं, तो आपको नियमित आय मिलती रहती है और पैसा भी सुरक्षित रहता है. कुछ विकल्पों में मैच्योरिटी पर ब्याज लें.
अलग अलग बैंकों में FD करें
सिर्फ एक ही बैंक में FD रखने से जोखिम बढ़ सकता है. इसलिए पैसे को अलग–अलग बैंकों में बांटकर FD करें. इससे किसी एक बैंक पर निर्भरता कम हो जाती है और जोखिम भी कम होता है.
FD लैडरिंग (FD Laddering The Secret to Higher Returns)
FD लैडरिंग का मतलब है, अलग अलग समय पर मैच्योर होने वाली FDs बनाना. जैसे: 1 साल, 2 साल, 3 साल. इसके कुछ फायदे हैं, जैसे समय समय पर स्कीम मैच्योर होगी और आपको पैसे मिलते रहेंगे. ब्याज दर बढ़ने पर मैच्योर FD को ज्यादा ब्याज पर दोबारा लगा सकते हैं. यह तरीका लिक्विडिटी और बेहतर रिटर्न दोनों देता है.
FD से ज्यादा फायदा पाने के टिप्स
इंटरेस्ट रेट की तुलना करें : FD कराने से पहले अलग अलग बैंक और फाइनेंशियल संस्थानों के ब्याज दरों की तुलना (Best FD Rates) करें. हर बैंक अलग अलग अवधि के लिए अलग ब्याज देता है, इसलिए रिसर्च करना जरूरी है ताकि आपको सबसे अच्छा रिटर्न मिल सके. इससे आपको सही समय पर अलग–अलग अवधि वाली FD लेने में मदद मिलेगी.
कम्यूलेटिव FD चुनें : अगर आपको नियमित आय की जरूरत नहीं है, तो कम्यूलेटिव एफडी चुनें. इसमें ब्याज आपके मूल धन में जुड़ता रहता है और कंपाउंडिंग से समय के साथ ज्यादा रिटर्न मिलता है.
टैक्स सेविंग्स FD का लाभ लें : टैक्स बचाने के लिए आप टैक्स–सेविंग्स FD में निवेश कर सकते हैं. ये आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत टैक्स बचत का फायदा देती हैं. इससे आपके पोर्टफोलियो में विविधता बढ़ती है और टैक्स भी कम लगता है.
निष्कर्ष
FD के साथ विविध निवेश पोर्टफोलियो बनाना जोखिम कम करता है और रिटर्न को बेहतर बनाता है. अलग–अलग अवधि की FD, अलग ब्याज भुगतान विकल्प, और अलग अलग बैंकों में निवेश, ये सभी तरीके आपकी निवेश योजना को सुरक्षित और मजबूत बनाते हैं.
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