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हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय इन बातों का अवश्य ध्यान रखें, जरूरत पर नहीं होगी इलाज खर्च की टेंशन

बीमारी कभी बताकर नहीं आती. इसका सबसे ताजा उदाहरण मौजूदा कोरोनावायरस महामारी है.

बीमारी कभी बताकर नहीं आती. इसका सबसे ताजा उदाहरण मौजूदा कोरोनावायरस महामारी है.

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Ritika Singh
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ESIC health insurance: Govt has proposed to increase maternity benefit.

how to choose best health insurance product, things to remember while choosing health insurance आज के दौर में बड़ी और गंभीर बीमारियों का इलाज कराना काफी महंगा हो चुका है, खासकर प्राइवेट हॉस्पिटल्स में.

Health Insurance: बीमारी कभी बताकर नहीं आती. इसका सबसे ताजा उदाहरण मौजूदा कोरोनावायरस महामारी है. आज के दौर में बड़ी और गंभीर बीमारियों का इलाज कराना काफी महंगा हो चुका है, खासकर प्राइवेट हॉस्पिटल्स में. कभी अगर हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ जाए तो महंगे इलाज पर पूरी जमा पूंजी खर्च हो सकती है. मेडिकल खर्च लोगों की सेविंग्स पर भारी न पड़े, इसीलिए हेल्थ इंश्योरेंस अस्तित्व में आया. यह न सिर्फ जेब पर पड़ने वाला बोझ कम करता है, साथ ही आप बिना पैसे की चिंता करे अच्छा इलाज करा सकते हैं.

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आज के समय में तो हेल्थ इंश्योरेंस की अहमियत और बढ़ गई है. लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि आप कोई सभी हेल्थ इंश्योरेंस ले लें. अपनी वित्तीय हालत और जरूरत के हिसाब से सही हेल्थ इंश्योरेंस चुनना चाहिए और ऐसा करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए.

  • सबसे पहले यह देखें कि आपको कितने अमाउंट तक के हेल्थ इंश्योरेंस की जरूरत है. साथ ही आपको अपने अलावा अपने परिवार में किस-किस को कवर करना है. इसी के आधार पर प्रीमियम तय होगा.
  • हमेशा यह जांचना चाहिए कि क्या स्वास्थ्य बीमा अस्पताल के उपचार के खर्च और उपचार के पहले और बाद में किए गए खर्च को शामिल करता है या नहीं.
  • कोई भी इंश्योरेंस प्रॉडक्ट खरीदने से पहले, उसके सभी नियमों एवं शर्तों को अच्छी तरह पढ़ लें ताकि आप यह अच्छी तरह समझ सकें कि उसमें क्या शामिल है, और क्या शामिल नहीं है.
  • ध्यान रखें कि पॉलिसी में NCB का फीचर मौजूद हो. इसमें एक पॉलिसी ईयर में कोई क्लेम न करने पर एडिशनल चार्ज मिलेगा. यानी आप अपनी इंश्योरेंस की राशि को इससे बढ़ा सकते हैं. जेसे-जैसे क्लेम फ्री साल बढ़ेंगे, वैसे ही NCB का प्रतिशत भी बढ़ेगा. यह बोनस आप हेल्थ इंश्योरंस पॉलिसी को रिन्यू करते भी ले सकते हैं .
  • जिस बीमा कंपनी से हेल्थ इंश्योरेंस लिया है, वह विस्तृत नेटवर्क वाली होनी चाहिए. ताकि जरूरत के वक्त किसी भी जगह पर कवर का क्लेम किया जा सके. साथ में उसका क्लेम निपटाने का रिकॉर्ड भी अच्छा होना चाहिए.
  • प्रत्येक इंश्योरेंस कंपनी का कई अस्पतालों के साथ टाई-अप रहता है. इसलिए यह भी देखें कि उसके कैशलेश अस्पतालों की सूची में आपकी पसंद का और आपके आसपास का अस्पताल शामिल है या नहीं.
  • प्रत्येक इंश्योरेंस पॉलिसी में बीमारियों के इलाज के लिए वेटिंग पीरियड होता है. उस अवधि के दौरान इंश्योरेंस कंपनी किसी भी क्लेम का भुगतान करने के लिए जिम्मेदार नहीं होती है. यह अवधि आम तौर पर पॉलिसी खरीदने के दिन से 30 दिन तक रहती है. इस अवधि के बाद, कुछ प्रक्रियाओं और इलाजों पर कुछ शर्तें लागू होती हैं. उदाहरण के लिए, कुछ पॉलिसियों में मातृत्व लाभ के लिए चार साल की प्रतीक्षा अवधि रहती है.
  • कई इंश्योरेंस कंपनियां नए हेल्थ इंश्योरेंस प्लान्स लेकर आईं हैं जिनमें फ्री हेल्थ चेकअप और कुछ फिटनेस गोल को हासिल करने पर प्रीमियम पर डिस्काउंट भी मिलेगा.

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