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किसी प्राकृतिक आपदा की स्थिति में, आपको क्लेम कैसे करना है. आइए इस बारे में जानते हैं. (Representational Image)
उत्तराखंड के चमोली जिले में जोशीमठ के तपोवन क्षेत्र में नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटने के बाद ऋषिगंगा बांध को नुकसान पहुंचा है. इस आपदा के बाद करीब 100 से ज्यादा लोग लापता हैं. भारत ने पिछले कुछ समय में एक के बाद दूसरी आपदा का सामना किया है. कोरोना महामारी का संकट भी चल रहा है. इन आपदाओं की वजह से बहुत से लोगों को नुकसान पहुंचा है और उनकी प्रॉपर्टी और दूसरे एसेट्स की भी हानि हुई है. उदाहरण के लिए, बाढ़ के कारण प्रॉपर्टी, कार आदि का नुकसान होता है. अपने परिवार को सुरक्षित रखने के अलावा, जिन लोगों के पास कॉन्प्रिहैन्सिव वाहन बीमा, प्रॉपर्टी इंश्योरेंस होता है, प्राकृतिक आपदा की स्थिति में बेहतर रहता है.
पॉलिसी को ध्यान से पढ़ें
जो लोग प्राकृतिक आपदा का शिकार हुए हैं, उनके लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि क्लेम कैसे करना है. गलत या अधूरे दस्तेवाजों से क्लेम ठुकराया जा सकता है. प्रॉपर्टी क्लेम अधिकतर गलत जानकारी देने की वजह से रिजेक्ट हो जाते हैं. होम इंश्योरेंस पॉलिसी को ध्यान से पढ़ें, जिससे उसमें शामिल जोखिम और अपवादों को जानना चाहिए. इससे पॉलिसी धारकों को बाद में कोई अचानक से पता नहीं चलता है.
इसे देखते हुए यह जानना जरूरी है, कि किसी प्राकृतिक आपदा की स्थिति में, आपको क्लेम कैसे करना है. आइए इस बारे में जानते हैं.
- चोरी, आग या बाढ़ की वजह से, अगर पॉलिसी धारक की प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचता है, तो उसे संबंधित अथॉरिटी को जानकारी सूचित करना होता है.
- पॉलिसीधारक को क्लेम की प्रक्रिया के लिए, सभी सही दस्तावेजों को उपलब्ध कराना चाहिए. पॉलिसी धारकों को हमेशा अपने होम इंश्योरेंस दस्तावेजों को बैंक लोकर में सुरक्षित रखना चाहिए और उनकी एक कॉपी घर में रखनी चाहिए. उन्हें ऑरिजनल कॉपी को केवल घर में नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि इसे प्रॉपर्टी के साथ नुकसान पहुंच सकता है.
- डिजिटल लॉकर की मदद से व्यक्ति अपने सभी महत्वपूर्ण दस्तावेजों को क्लाउड बेस्ट प्लेटफॉर्म पर सुरक्षित रख सकता है.
- नुकसान होने के बाद जितना जल्दी संभव हो, अपनी बीमा कंपनी या एजेंट से संपर्क करें.
निर्धारित समय में क्लेम करें
- यह बात ध्यान में रखें कि अगर आप निर्धारित समय में अप्लाई नहीं करते हैं, आपका इंश्योरेंस क्लेम उस स्थिति में भी रिजेक्ट हो सकता है. कुछ बीमा कंपनी एक हफ्ते का समय देती हैं, तो दूसरी एक महीने का विकल्प देती हैं. इस अवधि के बाद फाइल किए गए क्लेम को बीमाकर्ता नहीं देखता है.
- आप नुकसान को दिखाने वाली कुछ तस्वीरें लेकर भी अपने पास रख लें.
- अपने नुकसान के सबूत के तौर पर, अगर आप कुछ छोटी चीजों को रिकवर कर सकते हैं, तो कर लें.
- अगर आपदा के कारण आपका घर रहने लायक स्थिति में नहीं है और इसकी वजह से आप कहीं दूसरी जगह रह रहे हैं, तो वहां की सभी रसीदें रख लें.
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- इसके साथ अपने घर में सभी सामान को कहीं लिख लें, जिन्हें नुकसान हुआ है.
- बीमा कंपनी को सबसे पहले नुकसान का आकलन करने के लिए सर्वेक्षक की नियुक्ति करता है. पॉलिसी धारकों को उसे जितनी ज्यादा जानकारी उपलब्ध करा सकें, करनी चाहिए.
- आखिर में, अगर आपने समय पर अपने प्रीमियम का भुगतान किया है, तो आपको बीमा पॉलिसी द्वारा कवर किया जाएगा और क्लेम मंजूर होगा. रिजेक्ट होने का एक बड़ा कारण है कि पॉलिसी धारक समय पर प्रीमियम का भुगतान नहीं करते हैं.