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Mutual Funds: म्यूचुअल फंड में निवेश के दौरान कैसे करें एसेट एलोकेशन? जानिए एक्सपर्ट्स की राय

Mutual Funds: म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय निवेशक को यह पता होना चाहिए कि कितना निवेश करना है और कितना जोखिम उठाना है.

Mutual Funds: म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय निवेशक को यह पता होना चाहिए कि कितना निवेश करना है और कितना जोखिम उठाना है.

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FE Hindi Desk
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म्यूचुअल फंड (MF) में निवेश का फायदा यह है कि एक निवेशक को पहले से तैयार डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो मिलता है.

Mutual Funds: म्यूचुअल फंड (MF) में निवेश का फायदा यह है कि एक निवेशक को पहले से तैयार डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो मिलता है. इसमें किए गए निवेश को प्रोफेशनल फंड मैनेजर्स द्वारा मैनेज किया जाता है. ऐसे में म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय निवेशकों को जोखिम को कम करने के लिए डायवर्सिफिकेशन की चिंता करने की जरूरत नहीं है. हालांकि, म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय निवेशक को यह पता होना चाहिए कि कितना निवेश करना है और कितना जोखिम उठाना है. निवेशकों के लिए अपनी जोखिम उठाने की क्षमता को पहचानना जरूरी है.

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क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

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Quantum AMC की चीफ बिजनेस ऑफिसर रीना नथानी ने कहा, “म्यूचुअल फंड स्कीम की सभी कैटेगरी और सब-कैटेगरी रिस्क-रिटर्न स्पेक्ट्रम पर एक अलग स्थान रखती है. निवेशकों को स्कीम के निवेश और इसके रिस्क-रिटर्न को अच्छी तरह से समझना चाहिए. ऐसी स्कीम्स चुनें जो आपके रिस्क प्रोफ़ाइल, इन्वेस्टमेंट ऑब्जेक्टिव, टाइम हॉरिजोन से मेल खाती हों और संबंधित फाइनेंशियल गोल के लिए सबसे उपयुक्त हों.” नथानी ने आगे कहा, “यह देखते हुए कि महंगाई बढ़ रही है, एफिशिएंट इन्फ्लेशन-एडजस्टेड रिटर्न (जिसे रियल रिटर्न के रूप में भी जाना जाता है) अर्जित करना जरूरी है. इस तरह, परीक्षण किए गए 12-20-80 एसेट एलोकेशन मॉडल का व्यापक रूप से पालन करना सार्थक होगा, जो आपकी सभी निवेश आवश्यकताओं के लिए एक सरल समाधान है. इसलिए, म्यूचुअल फंड के माध्यम से निवेश के मामले में भी बाजार के जोखिम को और कम करने के लिए एसेट एलोकेशन किया जा सकता है.

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कैसे करें एसे एलोकेशन?

नथानी ने बताया, “एक अलग बचत खाते और/या एक लिक्विड फंड (जो आपकी आपातकालीन जरूरतों का ख्याल रखेगा) में 12 महीने के नियमित खर्चों (ऋणों पर ईएमआई सहित) को लगाएं. पूरे पोर्टफोलियो का लगभग 20 प्रतिशत निवेश सोना (गोल्ड फंड्स या गोल्ड ईटीएफ के माध्यम से) में रखें, जिससे आप अपने पोर्टफोलियो को बेहतर तरीके से डायवर्सिफाई कर सकें. शेष 80 प्रतिशत पोर्टफोलियो, इक्विटी म्यूचुअल फंड की अलग-अलग सब-कैटेगरी में निवेश करें, जो आपको संभावित रूप से महंगाई को मात देने और अनुमानित वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेगा. यह एसेट एलोकेशन स्ट्रेटेजी संभावित रूप से आपके पोर्टफोलियो को स्टेबिलिटी, ग्रोथ और प्रोटेक्शन प्रदान कर सकती है."

(Article: Amitava Chakrabarty)

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