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आइए जानते हैं कि आप कोविड-19 से प्रभावित दुनिया में कैसे फाइनेंशियल प्लानिंग कर सकते हैं.
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कोविड-19 से तमाम उद्योगों में रेवेन्यू की गिरावट देखी गई है. इसकी वजह से हजारों मौकरियां गई हैं. इसके साथ कॉन्ट्रैक्चुअल और फ्रीलांस का काम भी कम हुआ है. इस संकट ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए संकट पैदा किया है. सेटर फॉर मॉनेटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के डेटा के मुताबिक, 27 मिलियन से ज्यादा 20 से 30 साल की उम्र के बीच के लोगों ने अप्रैल में अपनी नौकरी को खो दिया है.
हालांकि, लॉकडाउन के दौरान फाइनेंस को मैनेज करना बहुत से लोगों के लिए आजीविका खोने या आय में कटौती की वजह से एक बड़ी चुनौती बन गया है. इंडस्ट्री के विशेषज्ञों का कहना है कि लॉकडाउन हटने के बाद भी फाइनेंस और कर्ज को मैनेज करने में समान चुनौती ही आएगी.
उदाहरण के लिए अगर दो आय वाले परिवार में एक स्रोत अचानक से खो जाता है या एक को संकट के कारण कटौती लेनी पड़ती है या फ्रीलांस काम नहीं मिल रहा, तो व्यक्ति को इससे मुकाबला करने के लिए बेहतर वित्तीय रखरखाव करना होगा.
Bada बिजनेस के फाउंडर और सीईओ डॉ. विवेक बिंद्रा ने कहा कि अगर आप पर अभी तक वित्तीय तौर पर असर नहीं हुआ है, तो भी यह महत्वपूर्ण है कि आप भविष्य के लिए योजना बनाएं. ऐसे हालातों में कर्ज को देखना भी मुश्किल हो सकता है, खासकर अगर आपकी बचत में कमी हुई है. आइए जानते हैं कि आप कोविड-19 से प्रभावित दुनिया में कैसे फाइनेंशियल प्लानिंग कर सकते हैं.
अपने फाइनेंस का व्यापक रूप से आकलन करना
इस बात का सटीक पता होना चाहिए कि आप किस चीज पर कितना खर्च कर रहे हैं और क्या सभी खर्च जरूरी है या उन्हें नजरअंदाज किया जा सकता है. अपने सभी खर्चों के लिए फाइनेंशियल अकाउंट तैयार करने का यह सही समय है. खर्च करने वाली चीजों को जरूरी, नजरअंदाज और गैर-जरूरी में बांट लें. लॉकडाउन के लोगों को उनके कुछ खर्चों की बचत करने में भी मदद की है जैसे रोजाना का सफर, तेल का खर्च, विवेक से खर्च करना और खास खपत. इसलिए अपनी सभी बचत को देखें और अपनी वित्तीय स्थिति का विश्लेषण करें.
गैर-जरूरी खर्च में कटौती करें
गैर-जरूरी खर्चों में कटौती और नजरअंदाज किए जा सकने वाले खर्चों को नहीं करने से शुरुआत करें. बिंद्रा ने कहा कि अगर आपके पास कई ई-मैगजीन, ऑनलाइन न्यूजपेपर, OTT प्लेटफॉर्म्स, वीडियो स्ट्रीमिंग सर्विस, सेट टॉप बॉक्स सब्सक्रिप्शन और ऐसे दूसरे खर्च हैं, तो उनमें कटौती करें. ऐसे सभी रास्तों को खोजें जहां आप पैसे की बचत कर सकते हैं. कोई भी बचत अच्छी होती है. आपने कोभ बड़े खर्च या खरीदने के फैसला किया है, तो उसे अभी के लिए रोक दें.
अपनी लायबिलिटी को कम करने में कर्जदाता की मदद लें
मार्च में आरबीआई ने सभी कर्ज देने वाले संस्थानों और हाउसिंग फाइनेंसिंग कंपनियों (HFC) को टर्म लोन पर तीन महीने का मोरेटोरियम देने के लिए कहा था. इसके बाद कुछ बैंकों ने यह सुविधा अपने कर्जधारकों को ऑफर की. हालांकि, अपने लोन के पुनर्भुगतान की लायबिलिटी को लॉन्ग टर्म में देखना इस समय के दौरान महत्वपूर्ण है.
विशेषज्ञों का सुझाव है कि अगर आका कैश फ्लो घट जाता है, तो ईएमआई राशि को कम करने के लिए अपने कर्जदाता की मदद लेना बेहतर रहेगा. आप दो मौजूदा लोन को आपस में मिलाने के विकल्प को भी देख सकते हैं. बैंकों और कर्जदाताओं ने लोगों को अपनी लायबिलिटी को पूरा करने को आसान बनाने के लिए कुछ पहल और पॉलिसी भी तैयार की हैं. आप अपने रिलेशनशिप मैनेजर से संपर्क कर सकते हैं और सलाह ले सकते हैं.
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निवेश को रिव्यू करें
यह ध्यान दें कि आपने पैसे को कहां निवेश किया है और क्या आपको अपने पास कैश को बढ़ाने के लिए कुछ को विद्ड्रॉ करने की जरूरत है. बिंद्रा ने कहा कि एक व्यक्ति का निवेश को लेकर फैसला उसके वित्तीय लक्ष्यों और लिक्विडिटी जरूरतों पर आधारित होना चाहिए. बाजार में भाव से ज्यादा इसे देखना चाहिए. वर्तमान संकट में इक्विटी, म्यूचुअल फंड आदि में निवेश पर नुकसान का सामना करना पड़ रहा है.
एक इमरजेंसी फंड को बनाएं
विशेषज्ञों का कहना है कि नजदीकी भविष्य में समय उतार-चढ़ाव से भरा रहने वाला है. तो, अगर आप पर अब तक वित्तीय संकट से असर नहीं हुआ है, तो उसके लिए तैयार रहना जरूरी है. आप एक फंड तैयार करें जिससे किसी वित्तीय इमरजेंसी के आने पर आप बेसिक जरूरतों को पूरा कर सकते हैं. इमरजेंसी फंड उस स्थिति में बचाव करते हैं, अगर नजदीकी भविष्य में आपकी आय का कोई नुकसान हो जाए.
(Story: Priyadarshini Maji)