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How to Double Your Money : अपने पैसों को कैसे करें दोगुना? पर्सनल फाइनेंस के इन गोल्डन रूल्स में छिपा है सफलता का मंत्र

पर्सनल फाइनेंस के इन नियमों का इस्तेमाल करके आप अपने निवेश को कम से कम समय में दोगुना करने की सही रणनीति बना सकते हैं.

पर्सनल फाइनेंस के इन नियमों का इस्तेमाल करके आप अपने निवेश को कम से कम समय में दोगुना करने की सही रणनीति बना सकते हैं.

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FE Hindi Desk
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Personal Finance Rules That Can Help to Double Your Money

अगर आप फाइनेंशियल डिसिप्लिन रखें और पर्सनल फाइनेंस के गोल्डन रूल्स का पालन करें को अपने निवेश को दोगुना करने की सही रणनीति बना सकते हैं.

भला कौन निवेशक अपने पैसों को दोगुना करना नहीं चाहेगा? वो भी किसी पॉन्ज़ी स्कीम के चक्कर में पड़े बिना? लेकिन सवाल ये है कि क्या ऐसा करना वाकई मुमकिन है? अगर आप फाइनेंशियल डिसीप्लीन रखें और पर्सनल फाइनेंस से जुड़े इन नियमों का पालन करें तो जरूर ऐसा कर सकते हैं. आइए जानते हैं कि क्या हैं अपने निवेश को दोगुना करने के ये गोल्डन रूल्स. 

72 का नियम (Rule of 72)

अपने निवेश को दोगुना करने की राह में Rule of 72 यानी 72 का नियम आपकी काफी मदद कर सकता है. पर्सनल फाइनेंस के इस जाने-माने नियम की मदद से आप ये पता लगा सकते हैं कि आपको अपने निवेश को दोगुना करने में कितना वक्त लगेगा. इसके लिए आपको अपने निवेश पर मिलने वाले एवरेज कंपाउंडिंग रेट ऑफ इंटरेस्ट या रिटर्न का पता होना चाहिए. इस नियम के हिसाब से 

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पैसे दोगुने करने में लगने वाले साल = 72 / चक्रवृद्धि ब्याज की सालाना दर 

(Number of years required to double your money = 72 / Annual Compound Interest Rate)

यानी अगर आपके निवेश पर सालाना 10 फीसदी की दर से चक्रवृद्धि ब्याज मिल रहा है, तो आपकी पूंजी 72 / 10 = 7.2 साल में दोगुनी हो जाएगी. 

इस फॉर्मूले की मदद से आप अपनी पूंजी के दोगुना होने का अनुमान लगाकर अपने निवेश को बेहतर ढंग से प्लान कर सकते हैं. ​

10, 5, 3 का नियम (Rule of 10,5,3)

यह नियम हमें बताता है कि अलग-अलग तरह के निवेश में आम तौर पर कितने औसत सालाना रिटर्न की उम्मीद की जा सकती है. इस नियम में निवेश को मोटे तौर पर तीन कैटेगरी में बांटा जाता है - 1. स्टॉक या शेयर, 2. बॉन्ड्स, एफडी जैसे डेट इंस्ट्रूमेंट्स और 3.सेविंग्स एकाउंट या अन्य लिक्विड इनवेस्टमेंट्स. इस नियम के हिसाब से इन तीनों तरह के निवेश पर औसत अनुमानित सालाना रिटर्न की दर इस तरह है : 

  1. शेयर्स या स्टॉक : सालाना 10% औसत रिटर्न (हाई रिस्क) 
  2. बॉन्ड्स या अन्य डेट इंस्ट्रूमेंट्स : सालाना 5% औसत रिटर्न (मीडियम रिस्क) 
  3. सेविंग्स डिपॉजिट या अन्य लिक्विड एसेट्स : सालाना 3% औसत रिटर्न (लो रिस्क)

यहां सालाना रिटर्न की सभी औसत दरें आम तौर 15 से 20 साल के दीर्घकालीन निवेश (long term investment) के लिए दी गई हैं. रिटर्न की दरों को जानबूझकर कंजर्वेटिव रखा गया है, ताकि अनुमानों के उम्मीदों के मुताबिक न रहने का जोखिम कम से कम रहे. इस नियम की मदद से हम अंदाजा लगा सकते हैं कि लंबे समय के दौरान हम अपने निवेश पर औसतन कितना रिटर्न पाने की उम्मीद कर सकते हैं.  

पिछले दोनों रूल्स को मिलाकर इस्तेमाल करें 

Rule of 10,5,3 का सबसे ज्यादा फायदा तब होगा, जब इसे बेहतर प्लानिंग के लिए Rule of 72 के साथ जोड़कर इस्तेमाल किया जाए. मतलब ये कि Rule of 10,5,3 के तहत बताए गए अनुमानित रेट ऑफ रिटर्न को Rule of 72 के फॉर्मूले में रखकर आप अनुमान लगा सकते हैं कि आपका कौन सा निवेश कितने साल में दोगुना होने की उम्मीद है. मसलन : 

  • शेयर में निवेश पर अनुमानित रिटर्न 10% है. लिहाजा इसमें किया गया निवेश 72 / 10 = 7.2 साल में दोगुना होने की उम्मीद की जा सकती है. 
  • बॉन्ड्स या अन्य डेट इंस्ट्रूमेंट्स में अनुमानित रिटर्न 5% है. लिहाजा इसमें किए गए निवेश के 72 / 5 = 14.4 साल में दोगुना होने की उम्मीद की जा सकती है. 
  • सेविंग्स एकाउंट जैसे लिक्विड एसेट्स में निवेश पर रिटर्न की अनुमानित दर 3% है, इसलिए इसमें किए गए निवेश के 72 / 3 = 24 साल में दोगुना होने की उम्मीद की जा सकती है.

इस नियम में निवेश की दर का जो अनुमान दिया है, अगर आपके पास उससे बेहतर और सटीक आंकड़ा है, तो आप Rule of 72 में उसका इस्तेमाल भी कर सकते हैं. मसलन अगर आपने लंबे समय के लिए किसी सरकारी बैंक या बॉन्ड में निवेश किया है और उस पर मिलने वाले कंपाउंड इंटरेस्ट की वास्तविक दर आपको पता है, तो आपका उसका इस्तेमाल करके और भी बेहतर आकलन कर सकते हैं. 

एसेट एलोकेशन का 100-Age Rule

सवाल ये है कि निवेश का फैसला क्या सिर्फ रिटर्न की दर के आधार पर ही करना चाहिए? जानकारों का मानना है कि हमेशा ऐसा करना ठीक नहीं होता, क्योंकि आमतौर पर ज्यादा रिटर्न के साथ ज्यादा जोखिम भी जुड़ा रहता है. निवेश का फैसला करते समय किसे कितना जोखिम लेना चाहिए, इसका फैसला करते समय निवेशक की उम्र का ध्यान रखना भी जरूरी है. क्योंकि आम तौर पर उम्र बढ़ने के साथ-साथ जिम्मेदारियां बढ़ती हैं, जिससे इंसान की वित्तीय जोखिम उठाने की क्षमता कम हो जाती है.

किस उम्र में निवेशक को कितना जोखिम लेना चाहिए, यही जानने के लिए एसेट एलोकेशन का यह फॉर्मूला इस्तेमाल किया जाता है : 

100-Age = % Allocation in Equities. 

यानी किसी निवेशक की उम्र को 100 में घटाने पर जो संख्या आती है, उसे इक्विटी में उतने फीसदी ही निवेश करना चाहिए. मिसाल के तौर पर अगर किसी निवेशक की उम्र 35 साल है, तो वो अपने पोर्टफोलियो का 100-35 = 65% हिस्सा शेयर्स में निवेश कर सकता है. लेकिन अगर निवेशक की उम्र 50 साल है, तो उसे 100-50=50% हिस्सा ही शेयर्स में लगाना चाहिए. बाकी हिस्सा कम जोखिम वाले सरकारी बॉन्ड्स या बड़े बैंकों की एफडी में रखा जा सकता है.

ऐसे बनाएं निवेश डबल करने की स्ट्रैटजी

ऊपर बताए गए नियमों को सही ढंग से इस्तेमाल करके आप अपने निवेश को डबल करने की सफल रणनीति बना सकते हैं. मिसाल के तौर पर, 100-Age के नियम का इस्तेमाल करके आप ये तय कर सकते हैं कि आपको इक्विटी, बॉन्ड और लिक्विड एसेट्स में किस रेशियो में निवेश करना चाहिए. इसके बाद आप इनमें से हर तरह के निवेश पर मिलने वाले रिटर्न का अनुमान Rule of 10,5,3 की मदद से लगा सकते हैं. और फिर उस अनुमानित रिटर्न को Rule of 72 के फॉर्मूले में रखकर ये अंदाजा लगा सकते हैं आपके पोर्टफोलियो में शामिल कौन सा निवेश कितने साल में दोगुना होने की उम्मीद है.

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