/financial-express-hindi/media/post_banners/flHNnWLXJx53p6H3Ekg3.jpg)
How to get better returns from FDs: ब्याज दरें बढ़ने के दौर में एफडी पर बेहतर रिटर्न पाने के लिए क्या करना चाहिए?
How to get better returns from FDs: ब्याज दरों में हो रही बढ़ोतरी ने एफडी (Fixed Deposit) में निवेश को पहले से ज्यादा फायदेमंद बना दिया है. लेकिन ऐसे माहौल में यह सवाल भी उठता है कि लगातार रेट हाइक के बीच अपने फंड को फिक्स रेट पर लंबे समय के लिए लॉक कर देना कितना सही है? अगर यह सवाल आपको भी परेशान कर रहा है तो आपकी चिंता बिलकुल वाजिब है. कई लोगों के साथ ऐसा हुआ होगा कि दो महीने पहले 7 फीसदी इंटरेस्ट पर एफडी करा दिया और अब उतनी ही अवधि के लिए वही बैंक 7.5 फीसदी ब्याज दे रहा है. ऐसे में निवेशकों को एफडी पर बेहतर रिटर्न पाने के लिए क्या करना चाहिए?
सिर्फ इंतजार करना सही नहीं
फिक्स डिपॉजिट (FD) पर मिलने वाले ब्याज में लगातार इजाफा होने का मतलब यह नहीं कि आप और बेहतर रेट के इंतजार में अपने फंड को निवेश ही न करें. अगर आपका पुराना एफडी मेच्योर हो चुका है और आप अपनी पूंजी को दोबारा निवेश नहीं करते तो इस बात की काफी संभावना है कि आपको उस पर सिर्फ सेविंग एकाउंट की दर से ही ब्याज मिलेगा, जो एफडी की किसी भी दर से काफी कम होगा. यानी भविष्य में फायदा होने का इंतजार आपके लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है. अगर आप भविष्य में ब्याज दरें बढ़ने की उम्मीद के चलते अपने फंड को लंबे समय के लिए लॉक नहीं करना चाहते तो भी कम समय के एफडी में निवेश कर सकते हैं. बाद में ब्याज दरें बढ़ने पर ज्यादा समय के लिए फिक्स डिपॉजिट करने का ऑप्शन आपके लिए खुला रहेगा.
पूरी रकम एक साथ FD में न डालें
अगर आप लगातार बढ़ती ब्याज दरों का फायदा किसी भी हाल में गंवाना नहीं चाहते, तो अपने फंड को स्टैगर्ड (staggered) ढंग से यानी थोड़ा-थोड़ा करके निवेश कर सकते हैं. हर महीने या दो महीने पर फंड का कुछ-कुछ हिस्सा एफडी में डालते जाने से आप भविष्य में बढ़ने वाली ब्याज दरों का पूरा फायदा ले सकते हैं. लेकिन इस दौरान भी आप अपने पैसे को सेविंग एकाउंट की बजाय शॉर्ट टर्म एफडी शॉर्ट टर्म डेट फंड में रख सकते हैं. तमाम बैंकों में डेढ़ से दो महीने के एफडी पर भी सेविंग एकाउंट के मुकाबले काफी बेहतर ब्याज मिलता है. और जब आपको लगे कि अब ब्याज दरें बढ़ने का सिलसिला रुक गया है तो आप अपने फंड को ज्यादा समय के लिए फिक्स कर सकते हैं. वैसे कई बैंक सवा साल से लेकर 5 साल तक के एफडी पर लगभग एक जैसा ही ब्याज दे रहे हैं. तो आप अपनी सुविधा के हिसाब से एफडी करके बेहतर रिटर्न पा सकते हैं.
FD के ऑटो रिन्युअल का विकल्प न चुनें
ऐसे वक्त में जब बैंक अपनी ब्याज दरें लगातार बढ़ा रहे हों, फिक्स डिपॉजिट कराते समय ऑटो रिन्यूअल (Auto-renewal) का ऑप्शन नहीं चुनना चाहिए. अगर आप एफडी कराते समय ऑटो रिन्यूअल का विकल्प चुन लेंगे तो मैच्योरिटी के समय पूरी रकम फिर से उतनी ही अवधि के लिए फिर से फिक्स हो जाएगी, जो पहली बार एफडी कराते समय आपने तय किया था. लेकिन ऐसा होने पर आप मैच्योरिटी के समय अलग-अलग अवधि के एफडी पर मिल रही ब्याज दरों की तुलना नहीं कर पाएंगे. हो सकता है इस वजह से आपको काफी नुकसान उठाना पड़े. इसकी जगह आप एफडी मैच्योर होने के समय, अलग-अलग बैंकों और टर्म्स की लेटेस्ट ब्याज दरों की तुलना करके सबसे बेहतर रिटर्न देने वाले बैंक और अवधि के लिए फिर से फिक्स्ड डिपॉजिट करा सकते हैं. कई बार बैंक खास अवधि वाले स्पेशल डिपॉजिट भी लेकर आते हैं, जिनकी ब्याज दरें अधिक होती हैं. ऑटो रिन्यूअल का ऑप्शन चुनने पर आपका ऐसे मौकों का फायदा भी नहीं उठा पाएंगे.
नए बैंक और अवधि में निवेश के लिए तैयार रहें
कई लोग एफडी कराते समय उसी बैंक को प्राथमिकता देते हैं, जहां उनका सेविंग्स एकाउंट होता है. अगर आपने भी ऐसा ही किया है, तो आप ऑटो-रिन्यूअल की बजाय मैच्योरिटी पर सारी रकम अपने सेविंग्स एकाउंट में ट्रांसफर करने का विकल्प चुन सकते हैं. एक बार सेविंग एकाउंट में रकम जमा हो जाने के बाद आप नए सिरे से तुलना करके ज्यादा रिटर्न देने वाले बैंक और अवधि का चुनाव कर सकते हैं. ऐसा करते समय पुराने बैंक से बंधे रहने की भी जरूरत नहीं है. लेकिन जिस भी बैंक या वित्तीय संस्थान में आप एफडी करा रहे हैं, उसकी फाइनेंशियल मजबूती को जरूर ध्यान में रखें ताकि आपकी पूंजी न सिर्फ बेहतर रिटर्न दे, बल्कि सुरक्षित भी रहे.