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Mutual Fund: कम जोखिम और बेहतर रिटर्न, म्यूचुअल फंड में कैसे शुरू करें निवेश

Mutual Fund: म्यूचुअल फंड में सिर्फ शेयर में नहीं बल्कि डेट् फंड्स मे भी निवेश किया जाता है.

Mutual Fund: म्यूचुअल फंड में सिर्फ शेयर में नहीं बल्कि डेट् फंड्स मे भी निवेश किया जाता है.

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Aanchal Chaudhary
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Mutual Fund: म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों को यूनिट होल्डर कहा जाता है

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How To Invest in Mutual Fund: राघव म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं. लेकिन उनके पास निवेश के लिए बहुत ज्यादा पैसे नहीं है. वह हिमांशु के पास जाते हैं और उसे अपने साथ निवेश करने के लिए समझाते हैं. लेकिन दोनों को ही म्यूचुअल फंड मार्केट की ज्यादा समझ नहीं है. इसलिए दोनों फंड मैनेजर के पास जाते हैं. फंड मैनेजर अपना कमीशन काट कर, इनका पैसा अपनी समझ के हिसाब से म्यूचुअल फंड में निवेश करता है. असल में राघव और हिमांशु की तरह बहुत से लोग हैं, जिन्होंने म्यूचुअल फंड के बारे में सुना तो है, लेकिन निवेश की ज्यादा समझ उन्हें नहीं है. ऐसे में हम आपको म्यूचुअल फंड के बारे में यहां जानकारी दे रहे हैं.....

क्या है Mutual Fund?

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देश में अलग-अलग कई म्यूचुअल फंड हाउसेज हैं जो छोटे-बड़े निवेशकों से पैसा लेकर शेयर और डेट् फंड्स में निवेश करते हैं. ये कंपनियां निवेश करने के लिए फंड मैनेजर नियुक्त करती है. फंड मैनेजर को मार्केट की अच्छी जानकारी होती है, जो अपनी समझ से ऐसे फंड में निवेश करते हैं जिसमें अधिकतम मुनाफा हो. म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए ये कंपनियां निवेशकों से कमीशन लेकर कमाई करती हैं.

निवेश के फायदे

शेयर बाजार में निवेश के अपने जोखिम होते हैं. अगर आपको बाजार की अच्छी जानकारी नहीं है तो आप किसी के कहने में आकर ऐसे शेयर में पैसा लगा सकते हैं, जहां घाटा हो. म्यूचुअल फंड का फायदा यह है कि यहां आपका निवेश फंड मैनेजर द्वारा मैनेज किया जाता है, जिसे बाजार की अच्छी समझ होती है. ऐसे में वह आपका पैसा सोच समझकर निवेश करता है, जहां रिटर्न बेहतर रहने की उम्मीद हो. वहीं म्यूचुअल फंड सिर्फ एक शेयर की बजाए अलग अलग शेयर में निवेश करते हें. इससे एक में अगर जोखिम है तो दूसरे में यह कवर हो जाता है. आपका पैसा डेट फंड्स मे भी निवेश किया जाता है, जिससे अगर मार्केट में अस्थिरता भी आती है, तब भी पैसा सुरक्षित रहता है.

निवेश कैसे किया जाता है?

जैसे शेयर मार्केट में निवेश करने वाले को शेयर होल्डर कहते हैं, उसी तरह से म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों को यूनिट होल्डर कहा जाता है. म्यूचुअल फंड कंपनियां फंड जमा करने के लिए 'न्यू फंड ऑफर' जारी करती हैं. म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों को यूनिट दी जाती है. यहां डिस्काउंट या प्रीमियम पर नहीं बल्कि प्रति यूनिट की कुछ रकम तय की जाती है. आप एक बार में सारा पैसा निवेश कर सकते हैं या SIP के जरिए भी निवेश कर सकते हैं. SIP का मतलब है कि आप हर महीने या तय समय में एक तय रकम म्यूचुअल फंड में निवेश करें.

म्यूचुअल फंड के प्रकार

म्यूचुअल फंड आमतौर पर तीन प्रकार के होते हैं:

-ग्रोथ/ इक्विटी म्यूचुअल फंड

-डेट/इनकम स्कीम

-बैलेंस्ड फंड/ हाइब्रिड स्कीम

इक्विटी फंड

इक्विटी म्यूचुअल फंड में रकम का ज्यादा हिस्सा इक्विटी में निवेश किया जाता है. इसी वजह से इसमें रिस्क भी ज्यादा होता है. इस स्कीम में निवेशकों को दो विकल्प दिए जाते हैं, या तो वो डिविडेंड स्कीम चुनें या कैपिटल ग्रोथ. इस ऑप्शन को वो बाद में बदल भी सकते हैं. लंबे समय के लिए निवेश करने के लिए ये अच्छा ऑप्शन है.

डेट फंड

डेट फंड उनके लिए अच्छा विकल्प है जो ज्यादा रिस्क नहीं लेना चाहते हैं और एक नियमित और स्थिर आय चाहते हैं. इस स्कीम में ज्यादातर रकम बॉन्ड्स, कंपनियों के डिबेंचर और सरकारी सेक्युरिटी में निवेश किया जाता है. क्योंकि ये सब डेट की तरह होते हैं, इसलिए मार्केट की अस्थिरता का इसपर कोई असर नहीं होता. इन सभी विकल्पों से निवेशकों को एक नियमित आय मिलती है. इसमें इक्विटी के मुकाबले आय कम होती है लेकिन रिस्क भी कम होता है.

बैलेंस्ड फंड/ हाइब्रिड स्कीम

जैसा नाम से ही पता चल रहा है, ये फंड्स बैलेंस्ड होते हैं. इन फंड्स में इक्विटी और डेट्, दोनों में निवेश किया जाता है. ताकि निवेशकों की इनकम बढ़ने के साथ-साथ उन्हें नियमित आय भी मिलती रहे. ये डॉक्युमेंट में पहले ही बता दिया जाता है कि, आपका कितना पैसा किस स्कीम में निवेश किया जाएगा. ये आमतौर पर 40:60 का रेश्यो होता है.