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Tax Saving: सैलरीड क्लास इन 13 जगहों पर बचा सकते हैं इनकम टैक्स

अगर किसी की सालाना इनकम 2.5 लाख रुपये से ज्यादा है तो वह टैक्स के दायरे में आता है. लेकिन विभिन्न सेविंग्स या फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स में इन्वेस्ट कर टैक्स में छूट का लाभ लिया जा सकता है.

अगर किसी की सालाना इनकम 2.5 लाख रुपये से ज्यादा है तो वह टैक्स के दायरे में आता है. लेकिन विभिन्न सेविंग्स या फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स में इन्वेस्ट कर टैक्स में छूट का लाभ लिया जा सकता है.

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tax saving you can save tax under these sections of income tax act

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अगर किसी की सालाना इनकम 2.5 लाख रुपये से ज्यादा है तो वह टैक्स के दायरे में आता है. लेकिन विभिन्न सेविंग्स या फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स में इन्वेस्ट कर टैक्स में छूट का लाभ लिया जा सकता है. यह लाभ इनकम टैक्स एक्ट के कई सेक्शंस दिलाते हैं. इन सेक्शंस के तहत अलग-अलग फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट और खर्चे जैसे- स्मॉल सेविंग्स स्कीम्स, NPS, लोन, डोनेशन, बच्चों की फीस, माता-पिता का इलाज या इंश्योरेंस आदि आते हैं. आइए बताते हैं इनकम टैक्स एक्ट के 13 सेक्शंस और टैक्स छूट को लेकर उनके प्रावधान के बारे में-

1. सेक्शन 80C

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इनकम टैक्‍स एक्‍ट के तहत सेक्शन 80C टैक्‍स में छूट पाने का सबसे पॉपुलर तरीका है. इसके तहत आप अधिकतम 1.5 लाख रुपये निवेश कर टैक्‍स छूट क्‍लेम कर सकते हैं. सेक्शन 80C के तहत लाइफ इन्‍श्‍योरेंस प्रीमियम जमा कर, ELSS, EPF कंट्रीब्‍यूशन, एन्‍युटी प्‍लान के प्रीमियम पेमेंट, पोस्‍ट ऑफिस स्‍मॉल सेविंग्स स्‍कीम्‍स, PPF, टैक्स सेवर FD, सुकन्या समृद्धि स्कीम, Ulip, LIC क एन्युइटी प्लान में कॉन्ट्रीब्यूशन, NPS में निवेश, नाबार्ड बॉन्ड और होम लोन के प्रिंसिपल अमाउंट का रिपेमेंट कर टैक्‍स छूट क्‍लेम कर सकते हैं. इसके अलावा बच्चों की ट्यूशन फीस के जरिए भी टैक्स बचाया जा सकता है.

2. सेक्शन 80CCC

इस सेक्शन के तहत एक शख्स इंश्योरेंस पॉलिसी के किसी भी एन्युइटी प्लान में इन्वेस्टमेंट पर टैक्स बचा सकता है. यह प्लान पेंशन देने वाला होना चाहिए. एन्युइटी प्लान से हासिल पेंशन या इस प्लान को सरेंडर किए जाने पर मिलने वाला ब्याज सहित अमाउंट या बोनस टैक्स के दायरे में आता है.

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3. सेक्शन 80CCD

  • Section 80CCD (1) पेंशन अकाउंट में डिपॉजिट करने वाले व्यक्ति को टैक्स में छूट दिलाता है. इसके तहत सैलरीड इंप्लॉई अपनी सैलरी का 10 फीसदी तक पेंशन अकाउंट में जमा कर छूट पा सकता है, जो अधिकतम 1.5 लाख रुपये है.
  • नए section 80CCD (1B) के जरिए सैलरीड पर्सन अपनी तरफ से NPS अकाउंट में डिपॉजिट कर अतिरिक्त टैक्स छूट पा सकता है. यह 50000 रुपये तक की होगी.

नोट: सेक्शन 80C, 80CCC और 80CCD (1B) के तहत कुल मिलाकर 1.5 लाख रुपये से ज्यादा की टैक्स छूट का लाभ नहीं लिया जा सकता है.

4. सेक्शन 80TTA

इस सेक्शन के तहत किसी भी बैंक, पोस्ट आॅफिस या को-आॅपरेटिव सोसायटी में सेविंग्स अकाउंट से 10000 रुपये तक का ब्याज टैक्स फ्री होता है. इसका लाभ व्यक्ति या HUF (Hindu Undivided Family) ले सकते हैं. हालांकि इसके तहत FD, RD या कॉरपोरेट बॉन्ड से हासिल ब्याज टैक्स फ्री नहीं होता है.

5. सेक्शन 80GG

इस सेक्शन के तहत उन लोगों को घर के किराए पर टैक्स छूट मिलती है, जिन्हें सैलरी के साथ HRA (House Rent Allowance) नहीं मिलता है. साथ ही टैक्स देने वाले, उसकी पत्नी या नाबालिग बच्चे के पास कोई रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी नहीं होनी चाहिए.

इस सेक्शन के तहत किराए पर छूट इस तरह है-

- रेंट पेड माइनस कुल एडजस्टेड इनकम का 10 फीसदी

- प्रतिमाह 5000 रुपये

- एडजस्टेट इनकम का 25 फीसदी

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6. सेक्शन 80E

हायर एजुकेशन के उद्देश्य से लिए गए लोन पर. लोन टैक्सपेयर, पत्नी, बच्चे या फिर किसी भी ऐसे स्टूडेंट के लिए हो सकता है, जिसका टैक्सपेयर लीगर गार्जियन हो. टैक्स छूट का लाभ लोन का ब्याज चुकाया जाना शुरू किए जाने वाले साल से 8 साल तक या पूरा ब्याज चुकता हो जाने, जो भी अवधि पहले खत्म हो तक लिया जा सकता है.

7. सेक्शन 80D

सेक्‍शन 80D के तहत व्यक्ति या HUF सेक्‍शन 80C पर मिलने वाली टैक्‍स छूट के अतिरिक्‍त अपने लिए, पत्‍नी, बच्‍चों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस पर 25,000 रुपये तक की टैक्स छूट पा सकते हैं. अगर आपके पेरेंट्स की उम्र 60 साल से कम है और आप उनके लिए हेल्‍थ इन्‍श्‍योरेंस प्रीमियम का भुगतान कर रहे हैं तो आप इस 25000 रुपये की छूट के अलावा 25,000 रुपये तक की अतिरिक्त टैक्स छूट पा सकते हैं. वहीं अगर माता-पिता 60 साल से ज्यादा उम्र के हैं तो यह छूट 50000 रुपये तक की होगी.

अगर किसी टैक्सपेयर और उसके पेरेटेंस दोनों की उम्र 60 साल या उससे ज्यादा है तो इस सेक्शन के तहत इंश्योरेंस प्रीमियम के जरिए अधिकतम 1 लाख रुपये तक की टैक्स छूट पाई जा सकती है.

8. सेक्शन 80DD

यह सेक्शन व्यक्ति या HUF को खुद पर निर्भर किसी दिव्यांग रिश्तेदार के मेडिकल ट्रीटमेंट, ट्रेनिंग आदि पर टैक्स छूट दिलाता है. इसमें उस दिव्यांग रिश्तेदार की देखभाल के लिए किसी विशिष्ट स्कीम में डिपॉजिट भी छूट के दायरे में आता है.

- अगर निर्भर रिश्तेदार 40 फीसदी या इससे ज्यादा लेकिन 80 फीसदी से कम डिसेबल है तो टैक्स में 75000 रुपये की छूट मिलेगी.

- अगर रिश्तेदार गंभीर रूप से डिसेबल है यानी 80 फीसदी से ज्यादा तो टैक्स छूट 1.25 लाख रुपये रहेगी.

इस क्लेम के लिए किसी मान्य मेडिकल अथॉरिटी से डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट जरूरी होगा.

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9. सेक्शन 80DDB

सेक्‍शन 80DDB के तहत कुछ चुनिंदा बीमारियों के मामले में आप अपने या आप पर निर्भर परिवार के सदस्‍य के इलाज पर अधिकतम 40,000 रुपये टैक्‍स छूट क्‍लेम कर सकते हैं. सीनियर सिटीजन के इलाज के मामले में 1 लाख रुपये तक के मेडिकल खर्च पर टैक्‍स छूट ली जा सकती है. इसके लिए आपको इलाज का बिल शो करना होगा.

हालांकि अगर इलाज का खर्च इंश्योरेंस कंपनी या इंप्लॉयर की ओर से रिंबर्स किया गया है तो इस अमाउंट को घटाने के बाद बचे खर्च पर टैक्स छूट मिलेगी.

10. सेक्शन 80U

अगर कोई व्‍यक्ति शारीरिक या मानसिक तौर पर दिव्यांग है तो वह सेक्‍शन 80U के तहत 75,000 रुपये तक की टैक्‍स छूट ले सकता है. इसमें ब्लाइंडनेस भी शामिल होगी. गंभीर रूप से शारीरिक दिव्यांगता के मामले में टैक्‍स छूट 1.25 लाख रुपये तक हो सकती है.

11. सेक्शन 80G

सेक्‍शन 80G के तहत उल्लिखित संगठनों को डोनेशन या दान देकर टैक्स में छूट पाई जा सकती है. यह छूट कुछ मामलों में 100 फीसदी तक तो कुछ में 50 फीसदी तक या किसी में बिना लिमिट वाली हो सकती है. हालांकि कैश में 2000 रुपये से ज्यादा की डोनेशन पर छूट नहीं मिलेगी.

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12. सेक्शन 80GGC

इसके तहत किसी टैक्सपेयर द्वारा किसी पॉलिटिकल पार्टी या इलेक्टोरल ट्रस्ट को दिए गए चंदे पर टैक्स में छूट पाई जा सकती है. हालांकि यह कैश में नहीं होना चाहिए.

13. सेक्शन 80TTB

इस नए सेक्शन के तहत सीनियर सिटीजन को डिपॉजिट्स पर हासिल हुए 50000 रुपये तक का ब्याज टैक्स फ्री है.

(सोर्स- cleartax.in)