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हाइब्रिड फंड में कम रिस्क पर मिल सकता है हाई रिटर्न, डाइवर्सिफिकेशन का मिलेगा बेनेफिट, ये हैं टॉप परफॉर्मिंग स्कीम

Hybrid Mutual Funds: हाइब्रिड म्‍यूचुअल फंड स्‍कीम अच्‍छी तरह से डाइवर्सिफाइड होती हैं. हाइब्रिड फंड एक से अधिक एसेट क्लास में निवेश करते हैं.

Hybrid Mutual Funds: हाइब्रिड म्‍यूचुअल फंड स्‍कीम अच्‍छी तरह से डाइवर्सिफाइड होती हैं. हाइब्रिड फंड एक से अधिक एसेट क्लास में निवेश करते हैं.

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Sushil Tripathi
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Asset Allocation

What is Hybrid Funds: हाइब्रिड म्‍यूचुअल फंड स्कीम इक्विटी और डेट दोनों तरह के एसेट क्‍लास में निवेश करती हैं.

Hybrid Mutual Funds: अगर आप कम रिस्‍क में बेहतर रिटर्न चाहते हैं तो हाइब्रिड म्‍यूचुअल फंड एक बेहतर विकल्‍प साबित हो सकता है. वह भी तब बाजार अपने रिकॉर्ड हाई के करीब है और इसमें वोलेटिलिटीह बढ़ने की आशंका है. असल में म्यूचुअल फंडों की अलग अलग कैटेगिरी में एक हाइब्रिड फंड भी है. ऐसी स्कीमें इक्विटी और डेट दोनों तरह के एसेट क्‍लास में निवेश करती हैं. वहीं इसका कुछ पार्ट गोल्‍ड में भी निवेश किया जा सकता है. अगर आप कम रिस्‍क लेने वाले इन्‍वेस्‍टर हैं यानी बाजार का जोखिम नहीं लेना चाहते हैं तो आपके लिए हाइब्रिड म्यूचुअल फंड अच्छे विकल्प हैं. पिछले 3 से 5 साल के दौरान कई ऐसे फंड हैं, जिन्होंने डबल डिजिट में यानी 10 फीसदी से ज्यादा रिटर्न दिया है.

एसेट अलोकेशन और डाइवर्सिफिकेशन का कांबो

हाइब्रिड म्‍यूचुअल फंड को एसेट अलोकेशन और डाइवर्सिफिकेशन का कांबो माना जाता है. यानी ये स्‍कीम अच्‍छी तरह से डाइवर्सिफाइड होती हैं. हाइब्रिड म्यूचुअल फंड एक से अधिक एसेट क्लास में निवेश करते हैं. इनमें इक्विटी और डेट एसेट शामिल हैं. कई बार ये स्कीमें सोने में भी पैसा लगाती हैं. इस तरह से इनका निवेश डायवर्सिफाइड होता है. अगर बाजार बहुत ज्‍यादा वोलेटाइल होते हैं तो इन स्‍कीम में डेट या सोने में मिलने वाला रिटर्न आपके पोर्टफोलियो को बैलेंस करने का करता है. उसी तरह से डेट या सोने में रिटर्न कमजोर पड़े तो इक्विटी का रिटर्न इसे बैलेंस कर देता है.

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ग्‍लोबल मार्केट में भी निवेश का मौका

हाइब्रिड म्‍यूचुअल फंड में कुछ स्‍कीम ग्‍लोबल मार्केट में भी निवेश करती हैं. इससे फंड उन निवेशकों के लिए आकर्षक हो जाता है जो स्टडी कंपाउंडर्स और वैश्विक दिग्गज कंपनियों में निवेश करके इन्वेस्टमेंट ग्रोथ की संभावनाएं तलाशते हैं. वहीं उनके लिए भी जो फिक्स्ड इनकम इन्वेस्टमेंट और हाई क्वालिटी लो ड्यूरेशन निवेश से से पोर्टफोलियो में स्थिरता चाहते हैं.

किस तरह के निवेशकों को करना चाहिए निवेश

एसेट एलोकेशन और डायवर्सिफिकेशन पर फोकस कर म्यूचुअल फंड की ये स्कीमें तमाम एसेट क्लास में निवेश करती हैं. इनमें उन निवेशकों को पैसा लगाना चाहिए जो एग्रेसिव इन्‍वेटर नहीं हैं, लेकिन थोड़ा बहुत रिस्‍क लेने को तैयार रहते हैं.

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बेस्‍ट रिटर्न देने वाली स्‍कीम

क्‍वांट मल्‍टी एसेट फंड

3 साल में रिटर्न: 22.23 फीसदी
5 साल में रिटर्न: 24.96 फीसदी

ICICI प्रू मल्‍टी एसेट

3 साल में रिटर्न: 21.31 फीसदी
5 साल में रिटर्न: 19.68 फीसदी

ICICI प्रू इक्विटी एंड डेट फंड

3 साल में रिटर्न: 20.79 फीसदी
5 साल में रिटर्न: 19.62 फीसदी

बैंक ऑफ इंडिया मिड एंड स्‍मालकैप इक्विटी एंड डेट फंड

3 साल में रिटर्न: 17.49 फीसदी
5 साल में रिटर्न: 19.18 फीसदी

कोटक मल्‍टी एसेट अलोकेटर FoF

3 साल में रिटर्न: 18.28 फीसदी
5 साल में रिटर्न: 19.04 फीसदी

HDFC बैलेंस एडवांटेज फंड

3 साल में रिटर्न: 21.19 फीसदी
5 साल में रिटर्न: 18.39 फीसदी

(सोर्स: वैल्‍यू रिसर्च)

हाइब्रिड फंड की कटेगिरी

एग्रेसिव हाइब्रिड फंड: म्यूचुअल फंड की इस कटेगिरी में 65 से 80 फीसदी निवेश इक्विटी में होता है. वहीं, 20 से 35 फीसदी निवेश डेट में किया जाता है.

बैलेंस्ड हाइब्रिड फंड: बैलेंस्ड हाइब्रिड फंड अपने कुल एसेट का करीब 40 से 60 फीसदी इक्विटी या डेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हें. ये स्कीम आर्बिट्राज में निवेश नहीं कर सकती हैं.

डायनेमिक एलोकेशन या बैलेंस्ड एडवांटेज फंड: म्यूचुअल फंड की ये स्कीम कुल निवेश का 100 फीसदी इक्विटी या डेट में निवेश कर सकती है. यह अपने निवेश का प्रबंधन डायनमिक तरीके से करती है.

मल्टी एसेट एलोकेशन फंड: म्यूचुअल फंड की इस कटेगिरी में इक्विटी, डेट और गोल्ड तीनों तरह के एसेट क्लास में निवेश किया जा सकता है. इसमें 65 फीसदी निवेश इक्विटी में, 20 से 25 फीसदी निवेश डेट में और 10 से 15 फीसदी निवेश गोल्ड में किया जाता है.

आर्बिट्राज फंड्स: इन्हें अपने कुल एसेट का कम से कम 65 फीसदी इक्विटी या इक्विटी से जुड़े साधनों में निवेश करना होता है.

इक्विटी सेविंग्स फंड्स: म्यूचुअल फंड की ये स्कीम इक्विटी, डेट और आर्ब्रिट्राज में निवेश करती है. कुल एसेट का कम से कम 65 फीसदी शेयरों में निवेश करना होगा. इसी तरह कम से कम 10 फीसदी निवेश डेट में करना होता है.

कंजर्वेटिव हाइब्रिड: इसमें क्विटी का पार्सन कम होता है.

(नोट: यहां हमने हाइब्रिड म्यूचुअल फंड के बारे में जानकारी दी है. यह निवेश की सलाह नहीं है. बाजार के जोखिम को देखते हुए निवेश के पहले एक्सपर्ट की राय लें.)

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