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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस साल लगातार पांचवीं बार रेपो रेट में 35 बीपीएस की बढ़ोतरी की है.
Fixed Deposit: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस साल लगातार पांचवीं बार रेपो रेट में 35 बीपीएस की बढ़ोतरी की है. इसके चलते रेपो रेट 5.9% से बढ़कर 6.25% पर पहुंच गया है. आरबीआई के इस फैसले के बाद अब कार लोन, पर्सनल लोन समेत अन्य लोन महंगा हो जाएगा. इसके साथ ही, नए और मौजूदा कस्टमर्स के लिए अब होम लोन भी महंगा होने वाला है. हालांकि, यह निवेशकों और डिपॉजिटर्स के लिए अच्छी खबर है क्योंकि आने वाले दिनों में कई बैंक भी अपनी फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) की दरों में वृद्धि करेंगे. इससे निवेशकों को बेहतर रिटर्न हासिल करने में मदद मिलेगी. क्या आप भी इस मौके का फायदा उठाकर एफडी में निवेश करने की सोच रहे हैं? अगर हां तो पहला सवाल यह है कि अभी निवेश किया जाए या फिक्स्ड डिपॉजिट पर बेहतर डील के लिए कुछ और समय इंतजार करना चाहिए. कुछ मौजूदा FD होल्डर भी इसे लेकर कन्फ्यूज हो सकते हैं. आइए जानते हैं कि आपको इस समय क्या करना चाहिए?
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का कहना है कि पॉलिसी रेट्स में बदलाव के अलावा फिक्स्ड डिपॉजिट रेट्स में वृद्धि या कमी क्रेडिट ग्रोथ रेट और डिपॉजिट ग्रोथ रेट के बीच के अंतर से भी प्रभावित होती है. जब तक क्रेडिट ग्रोथ रेट बैंक डिपॉजिट की ग्रोथ रेट से बेहतर प्रदर्शन करती है, तब तक बैंक बढ़ती क्रेडिट मांग को पूरा करने के लिए अधिक फिक्स्ड डिपॉजिट को आकर्षित करने के लिए अपनी एफडी दरों में वृद्धि करना जारी रखेंगे.
क्या करें निवेशक?
Paisabazaar के CEO और को-फाउंडर नवीन कुकरेजा ने कहा, "मौजूदा एफडी डिपॉजिटर्स को अपनी मैच्योरिटी तक अपनी एफडी जारी रखनी चाहिए. नियमित अंतराल पर फिक्स्ड डिपॉजिट में अपनी इंक्रीमेंटल सेविंग को जमा करने से उन्हें एफडी दरों में निरंतर वृद्धि से बचने में मदद मिलेगी. डिपॉजिटर्स को समय से पहले एफडी बंद करने का विकल्प तभी चुनना चाहिए जब उन्हें नई एफडी दरों और अपने मौजूदा एफडी पर प्रभावी दरों के बीच ज्यादा अंतर दिखाई दे.
कुकरेजा ने आगे कहा कि अपने सरप्लस को फिक्स्ड डिपॉजिट में लगाने की योजना बना रहे कंज्यूमर्स को 1 से 2 साल की अवधि के लिए बने रहना चाहिए. उन्होंने कहा, “फिक्स्ड डिपॉजिट की दरों में जल्द ही और वृद्धि की उम्मीद है, कस्टमर्स को अपनी फिक्स्ड डिपॉजिट बुक करते समय ऑटो रिन्यूअल फैसिलिटी से बचना चाहिए. यह उन्हें रिन्यू के समय उपलब्ध हायर इंटरेस्ट रेट स्लैब में फैक्टरिंग के बाद, उच्च ब्याज दरों पर अपनी फिक्स्ड डिपॉजिट को रिन्यू करने की अनुमति दे सकता है."
(Article: Sanjeev Sinha)