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जब भी हम इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करें तो इन गलतियों से बचें, जिससे कि रिफंड मिलने में देरी न हो.
Income Tax Refund: इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने के बाद अगर आपका कोई रिफंड बनता है, तो वह आपको इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के सेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग सेंटर (CPC) के जरिए मिलता है. सीपीसी के जरिए रिफंड की प्रोसेसिंग पूरी तरह ऑटोमेटेड है. कई बार रिफंड टैक्स रिटर्न फाइल करने के एक हफ्ते के भीतर ही प्रॉसेस हो जाता है. टैक्स अथॉरिटी के पास टैक्सपेयर्स से जुड़ी कई जानकारियां जैसे कि नियोक्ता की विद्होल्डिंग डिटेल, बैंक की ओर दी गई इंटरेस्ट डिटेल आदि होती हैं.
अथॉरिटीज के पास कैपिटल गेन और डिविडेंड आदि के रूप में मिली इनकम की जानकारी भी एक्सेस करने की व्यवस्था होती है. सीपीसी की ओर से टैक्स रिफंड में देरी की मुख्य वजह टैक्स रिटर्न में दी गई जानकारियों में मिसमैच होता है. ऐसे में जरूरी है कि जब भी हम इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करें तो इन गलतियों से बचें, जिससे कि रिफंड मिलने में देरी न हो.
गलत बैंक अकाउंट डिटेल्स
टैक्स विभाग द्वारा तय नई प्रक्रिया के मुताबिक, इनकम टैक्स रिफंड को केवल इलेक्ट्रॉनिक तौर पर जारी किया जा रहा है. इसका मतलब है कि रिफंड को सीधे टैक्सपेयर के बैंक अकाउंट में जारी किया जा रहा है. ऐसे में, अगर टैक्स फॉर्म में भरा गया बैंक अकाउंट नंबर गलत है, तो टैक्स रिफंड में देरी होगी, जब तक कि जानकारी को सही नहीं किया जाता है. आप इनकम टैक्स विभाग के पोर्टल पर जाकर बैंक अकाउंट डिटेल्स को ऑनलाइन ठीक कर सकते हैं. इसके साथ यह महत्वपूर्ण है कि जो बैंक अकाउंट आप उपलब्ध करा रहे हैं, वह परमानेंट अकाउंट नंबर से लिंक हो.
बैंक अकाउंट को प्री-वैलिडेट नहीं करना
इनकम टैक्स रिफंड पाने के लिए बैंक अकाउंट को प्री-वैलिडेट करना होता है. आप इनकम टैक्स विभाग की वेबसाइट पर जा सकते हैं, अपने पैन और पासवर्ड को डालना होगा और फिर प्रोफाइल सेटिंग्स में जाना होगा. आपको वहां बैंक अकाउंट को प्री-वैलिडेट करने का ऑप्शन मिलेगा. अगर आपका बैंक ई-फाइलिंग पोर्टल के साथ इंटिग्रेटेड है, तो प्री-वैलिडेट सीधे इलेक्ट्रॉनिक वेरिफिकेशन कोड (EVC) और नेट बैंकिंग रूट के जरिए करना होगा. आपको अपना बैंक अकाउंट नंबर, IFSC कोड, उस अकाउंट से लिंक मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी देना होगा.
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ITR नहीं वेरिफाई करना
इनकम टैक्स रिफंड फाइल करने की प्रक्रिया केवल तभी पूरी होती है, जब आप अपने इनकम टैक्स रिटर्न को वेरिफाई करते हैं. अगर आप ऐसा नहीं करते हैं, तो प्रक्रिया पूरी नहीं होगी और आपके रिफंड में देरी होगी.