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किसी निजी कंपनी में काम कर रहे शख्स को मिलने वाली सीटीसी में कई कंपोनेंट्स होते हैं.
Salaried Employees CTC Income Tax Calculation: किसी निजी कंपनी में काम कर रहे शख्स को मिलने वाली सीटीसी में कई कंपोनेंट्स होते हैं. इसमें बेसिक सैलरी, हाउस रेंट अलाउंस (HRA), महंगाई भत्ता (DA), कंवीनिएंस अलाउंस, एंटरटेनमेंट अलाउंस, मे़डिकल अलाउंसेज, प्रोविडेंट फंड (पीएफ), फूड अलाउंस इत्यादि शामिल होता है. सीटीसी के कंपोनेंट्स हर कंपनी के लिए अलग-अलग होते हैं और हर कंपोनेंट्स या कंपनी की तरफ से मिलने वाली सुविधाओं का टैक्स ट्रीटमेंट भी अलग-अलग होते हैं. आरएसएम इंडिया के फाउंडर सुरेशा सुराना के मुताबिक अलाउंसेज, अतिरिक्त सुविधाओं इत्यादि की प्रकृति के हिसाब से इनकी टैक्सेबेलिटी का आकलन किया जा सकता है. इसमें से कुछ कंपोनेंट्स पूरी तरह टैक्सेबल होते हैं तो कुछ पूरी तरह एग्जम्पटेड होते हैं तो कुछ पर आंशिक छूट मिलती है.
कंपनी के ESOP पर ऐसे लगता है टैक्स
सुराना के मुताबिक डेली अलाउंस, यूनिफॉर्म अलाउंस, रिसर्च अलाउंस पर इनकम टैक्स के सेक्शन 10(14) के तहत एग्जेम्पशन मिलता है जबकि कंपनी द्वारा दी जाने वाली अतिरिक्त सुविधाओं पर आमतौर पर अलग-अलग हिसाब से टैक्स चुकाना होता है. जैसे कि एंप्लाई स्टॉक ऑप्शन प्लान (ESOP) एक एंप्लाई बेनेफिट प्लान है जिसके जरिए एंप्लाई को कंपनी में इक्विटी हिस्सेदारी मिलती है. कर्मियों को यह होल्डिंग आमतौर पर शेयरों के फेयर मार्केट वैल्यू से कम पर मिलती है. भाव के इस अंतर पर कर्मियों को इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 17(2)(vi) के तहत अतिरिक्त सुविधाओं के रूप में टैक्स चुकाना होता है. नीचे सीटीसी के विभिन्न कंपोनेंट्स के लिए टैक्स रूल्स की जानकारी दी जा रही है.
Basic Pay
बेसिक पे यानी मूल वेतन पूरी तरह टैक्सेबल होता है.
HRA
सैलरीड एंप्लाई की सीटीसी का एक हिस्सा हाउस रेंट अलाउंस यानी HRA होता है. इस पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 10<13A> के तहत निश्चित सीमा् तक टैक्स में छूट मिलती है. टैक्सपेयर्स वास्तविक एचआरए राशि, मेट्रो शहरों में सैलरी का 50 फीसदी व अन्य शहरों में 40 फीसदी और सैलरी के 10 फीसी से अधिक चुकाए गए किराए, इन तीनों में जो सबसे कम हो, उतनी राशि पर टैक्स छूट क्लेम कर सकते हैं. एचआरए के कैलकुलेशन के लिए सैलरी में बेसिक सैलरी व डीए और टर्नओवर के आधार पर प्राप्त कमीशन को शामिल किया जाता है. अगर कोई करदाता मकान किराया नहीं देता तो उसे एचआरए पर कोई टैक्स छूट नहीं मिलती.
Variable Pay
सीटीसी का वैरिएबल पे वाला हिस्सा पूरी तरह टैक्सेबल होता है. यह एंप्लाई के परफॉरमेंस के हिसाब से कर्मी को दिया जाता है.
Reimbursements :
- इनकम टैक्स के सेक्शन 10(14) के तहत ऑफिशियल उद्देश्यों के लिए कर्मियों को जो राशि मिलती है, उस पर एग्जेम्प्शन मिलता है. हालांकि इसके लिए कर्मियों को ये खर्च दिखाने होंगे और जरूरी बिल व वाउचर्स पेश करने होंगे.
- किताबें/अखबारों और पीरियाडिकल्स के रिइंबर्समेंट के लिए इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 10(14) के तहत एग्जेम्प्शन हासिल किया जा सकता है. इसी प्रकार मोबाइल फोन के खर्च के रिइंबर्समेंट पर इनकम टैक्स एक्ट के नियम 3(7)(ix) के तहत छूट हासिल कर सकते हैं.
- प्राइवेट एंप्लाईज को मिलने वाला एंटरटेनमेंट अलाउंस पूरी तरह टैक्सेबल होता है लेकिन अगर यह ग्राहकों के हॉस्पिटैलिटी यानी कारोबारी उद्देश्यों के लिए खर्च को लेकर रिइंबर्स किया गया है तो इस पर इनकम टैक्स के सेक्शन 10(14) के तहत एग्जम्प्शन हासिल किया जा सकता है.
Leave travel allowance (LTA)
- इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 10(5) के तहत लीव ट्रैवल अलाउंस (एलटीए) पर छूट क्लेम करने के लिए कुछ शर्तों को पूरा करना जरूरी है-
- टैक्सपेयर ने वाकई में यात्रा की हो.
- कर में छूट का फायदा सिर्फ घरेलू यात्राओं के लिए मिलेगा.
- कर में छूट का फायदा सिर्फ कर्मचारी को अपनी और अपने परिवार के साथ की गई यात्रा के लिए ही मिलेगा. परिवार में जीवनसाथी, बच्चे, टैक्सपेयर्स पर निर्भर माता-पिता व भाई-बहन आते हैं. 1 अक्टूबर 1998 के बाद जन्मे दो से अधिक बच्चों के लिए यह छूट नहीं मिलती.
- चार कैलेंडर वर्ष के ब्लॉक (2022-2025) में सिर्फ दो बार एलटीए पर टैक्स छूट हासिल कर सकते हैं.
Bonus
बोनस पूरी तरह टैक्सेबल है.
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Gratuity
- एंप्लॉयमेंट के दौरान अगर ग्रेच्यूटी मिली है तो यह पूरी राशि टैक्सेबल है. हालांकि रिटायरमेंट के समय ग्रेच्यूटी मिलने पर इसका टैक्स ट्रीटमेंट इस आधार पर होगा कि कंपनी पेमेंट ऑफ ग्रेच्यूटी एक्ट के तहत आती है या नहीं.
- अगर एंप्लॉयर कंपनी पेमेंट ऑफ ग्रेच्यूटी एक्ट के तहत आती है तो इनकम टैक्स के सेक्शन 10(10) के तहत वास्तविक राशि, 20 लाख रुपये और (अंतिम सैलरी) x (15/26) x (कंपनी में कितने साल काम किया); इन तीनों में से जो कम हो उस पर टैक्स छूट मिलती है. सैलरी का मतलब यहां बेसिक सैलरी व डीए है.
- अगर एंप्लॉयर कंपनी पेमेंट ऑफ ग्रेच्यूटी एक्ट के तहत नहीं आती है तो वास्तविक राशि, 20 लाख रुपये और (1/2) और औसत मासिक वेतन यानी पिछले 10 महीने की औसत बेसिक सैलरी व डीए में जो सबसे कम है, उस पर एग्जम्प्शन मिलेगा.
(आर्टिकल: राजीव कुमार)