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Income Tax Saving: आयकर के दायरे में आने वाले हर व्यक्ति के लिए टैक्स भरना अनिवार्य है. लेकिन करदाता चाहे तो विभिन्न वित्तीय विकल्पों के जरिए खुद पर से टैक्स का बोझ कम कर सकता है. इसका प्रावधान इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के तहत है. सीनियर सिटीजन यानी बुजुर्ग लोगों को अपनी जरूरतों, इलाज के खर्चों आदि की पूर्ति में राहत मिल सके, इसे देखते हुए आयकर विभाग ने उनके लिए ​टैक्स छूट की लिमिट थोड़ी ज्यादा रखी है.
पहले तो ट्रेडिशनल इनकम टैक्स स्लैब में ही सीनियर सिटीजन को कर से थोड़ी एक्स्ट्रा राहत है. जो कि इस तरह है…
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हालांकि बजट 2020 में घोषित हुए नए वै​कल्पिक इनकम टैक्स स्लैब आम लोगों और सीनियर सिटीजन दोनों के लिए समान हैं...
ब्याज आय पर टैक्स के मामले में फायदा
आयकर कानून के सेक्शन 80TTA के तहत 60 साल से कम उम्र के व्यक्ति या HUF के लिए बैंक/को-ऑपरेटिव सोसायटी/पोस्ट ऑफिस के बचत खाते से 10000 रुपये सालाना तक की ब्याज आय टैक्स फ्री है. वहीं बैंक FD से आने वाले ब्याज पर TDS कटता है. लेकिन अगर बैंक FD से सालाना ब्याज आय 40000 रुपये तक की सीमा के अंदर है तो TDS से छूट है. RD से भी साल में 40000 रुपये तक की ब्याज आय होने पर TDS लागू नहीं होता है. यह नियम अप्रैल 2019 से प्रभाव में आया है.
60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के मामले में बचत खाते, FD/TD, पोस्ट ऑफिस स्कीम्स, को-ऑपरेटिव बैंकों में किए गए किसी भी तरह के डिपॉजिट से एक वित्त वर्ष में हासिल होने वाला 50000 रुपये तक का ब्याज टैक्स फ्री है. ऐसा आयकर कानून के सेक्शन 80TTB के तहत है. RD के मामले में भी सीनियर सिटीजन के लिए 50000 रुपये तक की ब्याज आय टैक्स फ्री है.
पोस्ट ऑफिस बचत खाते पर और ज्यादा फायदा
पोस्ट ऑफिस में बचत खाते से होने वाली सालाना ब्याज आय पर आयकर कानून के सेक्शन 10(15) के तहत एकल खाताधारक 3500 रुपये तक का अतिरिक्त डिडक्शन क्लेम कर सकता है. वहीं अगर खाता ज्वॉइंट में है तो 7000 रुपये तक अतिरिक्त डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है. यह अतिरिक्त डिडक्शन, 10000/50000 रुपये वाली लिमिट के इतर है.
सीनियर सिटीजन के मामले में इसे ऐसे समझ सकते हैं कि पोस्ट ऑफिस में सेविंग्स अकाउंट होने पर उनकी सिंगल खाते पर 53500 रुपये और ज्वॉइंट खाते पर 57000 रु तक की सालाना ब्याज आय टैक्स फ्री हो जाएगी.
हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर
व्यक्ति या HUF आयकर कानून के सेक्शन 80C के अंतर्गत मिलने वाले टैक्स डिडक्शन के अतिरिक्त सेक्शन 80D के तहत अपने, पति/पत्नी और निर्भर बच्चों के मेडिकल इंश्योरेंस के लिए चुकाए गए प्रीमियम पर अधिकतम 25 हजार रुपये तक का टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं. लेकिन अगर माता-पिता सीनियर सिटीजन हैं तो 50 हजार रुपये तक की रकम पर डिडक्शन का दावा किया जा सकता है.
इस सीमा के ऊपर अगर 60 साल से कम उम्र का करदाता 60 साल से कम उम्र के माता-पिता के लिए मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम और/या मेडिकल खर्चों को उठा रहा है तो उसे 25 हजार रुपये का अतिरिक्त टैक्स डिडक्शन मिलेगा. वहीं अगर माता-पिता 60 साल से ज्यादा उम्र के हैं तो उनका भी इंश्योरेंस प्रीमियम भरने पर 50,000 रुपये के अतिरिक्त डिडक्शन के लिए क्लेम किया जा सकता है. ऐसे में छूट कुल मिलाकर 75000 रुपये तक के पेमेंट पर मिलेगी.
वहीं 60 साल से ज्यादा उम्र यानी सीनियर सिटीजन कैटेगरी में आने वाला व्यक्ति अपने माता-पिता के मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम और/या मेडिकल खर्चों पर 50 हजार रुपये का अतिरिक्त टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकता है. यानी अगर किसी टैक्सपेयर और उसके पेरेटेंस दोनों की उम्र 60 साल या उससे ज्यादा है तो इस सेक्शन के तहत इंश्योरेंस प्रीमियम के जरिए अधिकतम 1 लाख रुपये तक की टैक्स छूट पाई जा सकती है. इसके अलावा कोई व्यक्तिगत करदाता सेक्शन 80D के तहत प्रिवेंटिव हेल्थ चेक-अप पर हुए खर्च के लिए 5 हजार रुपये का क्लेम भी कर सकता है लेकिन यह उपरोक्त खर्च सीमा के भीतर ही होगा.
गंभीर बीमारियों के इलाज के मामले में
सैलरीड इंप्लॉई आयकर कानून के सेक्शन 80DDB के तहत चुनिंदा बीमारियों के मामले में अपने या खुद पर निर्भर परिवार के सदस्य के इलाज पर अधिकतम 40,000 रुपये टैक्स कटौती क्लेम कर सकता है. वहीं सीनियर सिटीजन के लिए चुनिंदा गंभीर बीमारियों जैसे- कैंसर, मोटर न्यूरॉन डिसीज, एड्स आदि के इलाज पर एक वित्त वर्ष के अंदर 1 लाख रुपये तक का खर्च टैक्स फ्री है.
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