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शेयरों या म्यूचुअल फंड्स की बिक्री पर हुए नुकसान को सैलरी से होने वाली आय से एडजस्ट नहीं किया जा सकता है बल्कि स्टॉक मार्केट से हुए नुकसान को स्टॉक मार्केट से हुए मुनाफे से सेट ऑफ किया जा सकता है. (File Photo)
Income Tax Return 2021: स्टॉक मार्केट में लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है और बड़ी संख्या में लोग इसमें निवेश और ट्रेडिंग करते हैं. हालांकि हर सौदे पर मुनाफा ही हो, ऐसा जरूरी नहीं है, कुछ सौदों में नुकसान भी हो सकता है. ऐसे में यह जानना बहुत जरूरी है कि शेयर मार्केट में निवेश या ट्रेडिंग से आपको जो नुकसान हुआ है, उसे किस तरह सेट ऑफ किया जा सकता है. इसे सैलरी से होने वाली आय से सेट ऑफ किया जा सकता है या नहीं? अभी वित्त वर्ष 2021-21 के रिटर्न फाइल हो रहे हैं तो ऐसे में रिटर्न फाइल करते समय इसकी जानकारी होना आवश्यक है. एसेसमेंट इयर 2021-22 के लिए आईटीआर फाइल करने की आखिरी तारीख 31 दिसंबर 2021 है.
लॉस को कैरी फॉरवर्ड करने की सुविधा
टैक्स2विनडॉटइन के को-फाउंडर और सीईओ अभिषेक सोनी के मुताबिक शेयरों या म्यूचुअल फंड्स की बिक्री पर हुए नुकसान को सैलरी से होने वाली आय से एडजस्ट नहीं किया जा सकता है बल्कि स्टॉक मार्केट से हुए नुकसान को स्टॉक मार्केट से हुए मुनाफे से सेट ऑफ किया जा सकता है. अगर उस वित्त वर्ष में मुनाफा नहीं हुआ या पूरा लॉस एडडस्ट नहीं हो पा रहा है यानी मुनाफा कम हुआ है तो इस पूरे नुकसान या एडजस्ट करने के बाद शेष लॉस को को अगले वित्त वर्षों में भी कैरी फारवर्ड कर सकते हैं.
तीन श्रेणियों में होती है स्टॉक मार्केट से आय
- आय़कर नियमों के तहत स्टॉक मार्केट में ट्रांजैक्शंस से मुनाफे या नुकसान को तीन श्रेणियों में रखा गया है- कैपिटल गेन/लॉस, बिजनस इनकम/लॉस या स्पेक्यूलेटिव इनकम/लॉस.
- टैक्स एक्सपर्ट्स के मुताबिक ट्रांजैक्शन की प्रकृति के मुताबिक स्टॉक मार्केट से हुई आय पर या तो कैपिटल गेन्स/प्रॉफिट मानकर टैक्स देनदारी बनती है या कारोबार व पेशे से हुआ मुनाफा मानते हुए.
शेयर मार्केट से हुई कमाई पर कैसे बनती है टैक्स की देनदारी, जानिए सभी जरूरी सवालों के जवाब
- आयकर नियमों के तहत अगर ट्रांजैक्शन निवेश है तो इससे हुई आय पर कैपिटल गेन के जैसे ही टैक्स देनदारी बनेगी. वहीं अगर शेयर मार्केट ट्रांजैक्शन बिजनस एक्टिविटी है तो इससे हुए आय पर बिजनस व प्रोफेशन पर जैसे टैक्स कैलकुलेट होता है, वैसे ही कैलकुलेट होगी.
- अगर शेयर मार्केट ट्रांजैक्शन कारोबारी प्रवृत्ति का है, निवेश का नहीं तो इंट्रा-डे के अलावा अन्य ट्रांजैक्शन से नुकसान को सैलरी इनकम को छोड़ अन्य सभी हेड के तहत हुई आय से सेट ऑफ किया जा सकता है.