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ITR Filing : आयकर रिटर्न भरते समय फॉर्म 26AS और AIS पर दें खास ध्यान, वरना हो सकती है परेशानी

Income Tax Return Filing : सही ढंग से आयकर रिटर्न भरने के लिए Form 26AS और AIS में दी गई हर जानकारी पर ध्यान देना जरूरी है.

Income Tax Return Filing : सही ढंग से आयकर रिटर्न भरने के लिए Form 26AS और AIS में दी गई हर जानकारी पर ध्यान देना जरूरी है.

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Viplav Rahi
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ITR Filing : आयकर रिटर्न भरने की अंतिम तारीख 31 जुलाई है. उससे पहले अपने फॉर्म 26AS और AIS में दी गई जानकारी को अच्छी तरह समझ लें. (Photo : Pixabay)

Filing your Income Tax Return : आयकर रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया में पहला कदम सभी जरूरी दस्तावेज जमा करना है. इन दस्तावेजों में फॉर्म 16, अपनी आय और इनवेस्टमेंट से जुड़े कागजात के अलावा फॉर्म 26AS और एन्युअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) भी शामिल हैं. फॉर्म 26AS को आप TRACES पोर्टल से हासिल कर सकते हैं. जबकि नवंबर 2021 में लॉन्च किया गया AIS टीडीएस सर्टिफिकेट वाले फॉर्म 16A का ही विस्तृत रूप है, जो आयकर विभाग की वेबसाइट https://www.incometax.gov.in/ पर लॉग-इन करके हासिल किया जा सकता है.

AIS की शुरुआत से पहले आईटीआर फाइलिंग करते समय फॉर्म 26AS ही सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज होता था. लेकिन अब AIS पर ध्यान देना भी उतना ही जरूरी हो गया है. अगर रिटर्न में दी गई जानकारी इन दोनों दस्तावेजों में दी गई सूचनाओं से मेल नहीं खाती, तो आपको दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है. मिसाल के तौर पर जानकारी मैच न होने की वजह से आपका रिटर्न रिजेक्ट हो सकता है, जिसके बाद करेक्शन फाइल करने की नौबत आ सकती है. इसलिए बेहतर यही होगा कि आप रिटर्न फाइल करते समय ही इन दोनों दस्तावेजों में दी गई जानकारी का सही ढंग से इस्तेमाल कर लें.

फॉर्म 26AS और AIS में क्या फर्क है?

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AIS के लॉन्च से पहले आयकर भरने वालों को सिर्फ फॉर्म 26AS की जांच करनी होती थी. ऐसा करना इसलिए जरूरी था क्योंकि संबंधित वित्त वर्ष के दौरान चुकाए गए सभी टैक्स का ब्योरा आयकर विभाग के रिकॉर्ड में है या नहीं इसकी पुष्टि फॉर्म 26AS से होती थी. इस लिहाज से फॉर्म 26AS को एक तरह से टैक्स पासबुक माना जाता है. इसमें उन सभी करों का विवरण होता है जो किसी करदाता के पैन (PAN) के तहत सरकार के पास जमा होते हैं. नवंबर 2021 में आयकर विभाग ने AIS लॉन्च किया, जिसका दायरा फॉर्म 26AS से ज्यादा फैला हुआ है. इसमें भरे गए टैक्स के विवरण के अलावा करदाता को अलग-अलग जरिये से होने वाली आमदनी, मसलन वेतन, ब्याज, डिविडेंड, कैपिटल गेन्स वगैरह का ब्योरा भी शामिल रहता है.

क्यों महत्वपूर्ण हैं दोनों डॉक्युमेंट?

जानकारों का मानना है कि आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए AIS और फॉर्म 26AS दोनों में दी जानकारी पर ध्यान देना चाहिए. आयकर विभाग का कहना है कि फॉर्म 26AS में अब मुख्य ध्यान सिर्फ टीडीएस और टीसीएस की जानकारी पर रहेगा. इनके अलावा करदाता की तरफ से जमा किए दूसरे टैक्स, मसलन सेल्फ असेसमेंट टैक्स, एडवांस टैक्स वगैरह की जानकारी अब AIS में दी जाएगी. जाहिर है, इस हालत में आईटीआर दाखिल करते समय दोनों दस्तावेजों में दी जानकारी का इस्तेमाल करना होगा.

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फॉर्म 26AS और AIS पर अलग-अलग जानकारी हो तो क्या करें?

टैक्सपेयर्स के मन में यह सवाल भी उठ सकता है कि अगर वित्त वर्ष 2022-23 के लिए आईटीआर दाखिल करते समय फॉर्म 26AS और AIS में दिए विवरणों में फर्क नजर आए हो तो क्या करें? AIS को लॉन्च करते समय ही आयकर विभाग साफ कर दिया था कि अगर टैक्स के भुगतान से जुड़ा कोई विवरण मसलन TDS या TCS TRACES पोर्टल पर उपलब्ध फॉर्म 26AS और AIS में अलग-अलग है, तो करदाताओं को आईटीआर दाखिल करते समय फॉर्म 26AS में दी गई जानकारी पर भरोसा करना चाहिए. लेकिन यह बात AIS को लॉन्च करते समय कही गई थी. उम्मीद की जानी चाहिए कि तब से अब तक AIS में काफी सुधार हुआ होगा. फॉर्म 26AS और AIS में दी गई जानकारी में ज्यादा फर्क होने की आशंका इसलिए भी कम है, क्योंकि आम तौर पर दोनों दस्तावेजों के लिए सूचनाएं हासिल करने के सोर्स कॉमन हैं. मिसाल के तौर पर टैक्स डिडक्ट करने वाले की तरफ से भरे गए टीडीएस रिटर्न या वित्तीय लेनदेन से जुड़े दूसरे स्टेटमेंट.

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AIS और फॉर्म 26AS दोनों में गलतियां होने पर क्या करें?

कुछ मामलों में ऐसा भी हो सकता है कि AIS और फॉर्म 26AS दोनों में गलत जानकारी दी गई हो या आंकड़ों को अपडेट न किया गया हो. ऐसी स्थिति में टैक्स पेयर के पास संबंधित वित्त वर्ष के दौरान किए गए वित्तीय लेनदेन के वैध दस्तावेज, मसलन - बैंक स्टेटमेंट, पासबुक, डीमैट स्टेटमेंट या सेल डीड वगैरह होने जरूरी हैं. इन दस्तावेजों की मदद से करदाता AIS में गलती सुधारने के लिए फीडबैक दे सकता है. इसी तरह अगर 26AS में दी जानकारी में कोई गड़बड़ी है, तो टैक्स पेयर टीडीएस काटने वाले से संपर्क करके उसे अपने टीडीएस रिटर्न में करेक्शन करने के लिए कह सकते हैं. अगर टीडीएस काटने वाला ऐसा नहीं करता, तो आप अपने सीए की मदद से रिटर्न में जरूरी करेक्शन करवा सकते हैं. लेकिन ऐसी हालत में आपके पास उस ट्रांजैक्शन के सबूत के तौर पर वैध दस्तावेज होना चाहिए, ताकि आयकर विभाग के मांगने पर मुहैया कराया जा सके.

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