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Index Fund vs ETF: कोरोना संकट में निवेश का ‘स्मार्ट’ तरीका, पैसिव इन्वेस्टर्स के लिए क्या बेहतर?

Index Fund vs ETF: कोरोना वायरस के चलते कैपिटल मा​र्केट में पैसे लगाने को लेकर निवेशक सतर्क हैं. निवेशकों का ध्यान सुरक्षित रिटर्न देने वाले विकल्पों पर बढ़ रहा है.

Index Fund vs ETF: कोरोना वायरस के चलते कैपिटल मा​र्केट में पैसे लगाने को लेकर निवेशक सतर्क हैं. निवेशकों का ध्यान सुरक्षित रिटर्न देने वाले विकल्पों पर बढ़ रहा है.

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Sushil Tripathi
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Index Fund vs ETF

Index Fund vs ETF: कोरोना वायरस के चलते कैपिटल मा​र्केट में पैसे लगाने को लेकर निवेशक सतर्क हैं. निवेशकों का ध्यान सुरक्षित रिटर्न देने वाले विकल्पों पर बढ़ रहा है.

Index Fund vs ETF: कोरोना वायरस के चलते कैपिटल मा​र्केट में पैसे लगाने को लेकर निवेशक सतर्क हैं. निवेशकों का ध्यान सुरक्षित रिटर्न देने वाले विकल्पों पर बढ़ रहा है, भले ही वहां इक्विटी के तुलना में फायदा कम हो. ऐसे में बहुत से निवेशकों का ध्यान पैसिव फंड्स की ओर भी गया है, जहां इंडेक्स की तरह बेहतर और सुरक्षित रिटर्न मिल सकता है. पैसिव निवेश म्यूचुअल फंड में अपना पैसा लगाने का सबसे बुनियादी तरीका है और इस शैली का उद्देश्य इंडेक्स की तरह रिटर्न पाना है. इक्विटी बाजार में पैसिवली निवेश करने के दो सामान्य तरीके हैं. एक या तो इंडेक्स फंड या दूसरा इंडेक्स एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ).

क्या हैं इंडेक्स फंड?

इंडेक्स फंड को इंडेक्स टाइड या इंडेक्स ट्रैक्ड म्यूचुअल फंड के नाम से भी जानते हैं. इस तरह के फंड शेयर बाजार के किसी इंडेक्स मसलन निफ्टी 50 या सेंसेक्स 30 में शामिल कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं. इंडेक्स में सभी कंपनियों का जितना वेटेज होता है, स्कीम में उसी रेश्यो में उनके शेयर खरीदे जाते हैं. इसका मतलब यह है कि ऐसे फंडों का प्रदर्शन उस इंडेक्स जैसा ही होता है. इंडेक्स फंड ऐसे निवेशकों के लिए बेहतर है जो रिस्क कैलकुलेट कर चलना चाहते हैं, भले ही उन्हें ठीक ठा​क रिटर्न मिले. यानी इंडेक्स फंड में पैसा डूबने का खतरा बहुत कम होता है.

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खर्च की लागत कम साथ में ये भी फायदे

  • इंडेक्स फंड पैसिवली मैनेज होते हैं, इसलिए सक्रिय रूप से प्रबंधित किए जाने वाले फंडों के मुकाबले इंडेक्स फंड पर कम खर्च आता है. इनका टोटल एक्सपेंस रेश्यो बहुत कम आता है.
  • इंडेक्स फंड का एक और फायदा यह है कि इससे निवेशकों को अपना पोर्टफोलियो डाइवर्सिफाई करने का मौका मिल जाता है. इससे पैसा डूबने का खतरा भी कम हो जाता है. अगर एक कंपनी के शेयर में कमजोरी आती है तो दूसरे में ग्रोथ से नुकसान बैलेंस हो जाता है.
  • इंडेक्स फंडों में ट्रैकिंग एरर कम होता है. इससे इंडेक्स को इमेज करने की एक्यूरेसी बढ़ जाती है. इस तरह रिटर्न का ज्यादा सटीक अनुमान लगाया जा सकता है.

एक्‍सचेंज ट्रेडेड फंड ETF

एक्‍सचेंज ट्रेडेड फंड यानी ETF इंडेक्‍स में निवेश करने का अवसर देता है. जो लोग शेयर में पैसा लगाना चाहते हैं लेकिन जोखिम नहीं लेना चाहते, वे इस विकल्प को चुन सकते हैं. फंड मैनेजर इंडेक्‍स में जो भी शेयर होते हैं वे उसी अनुपात में स्‍टॉक लेते हैं और ETF बनाते हैं. ईटीएफ या एक्सचेंज ट्रेडेड फंड शेयरों के एक सेट में निवेश करते हैं. ये अमूमन एक खास इंडेक्स को ट्रैक करते हैं. ईटीएफ को केवल स्टॉक एक्सचेंज से खरीदा या बेचा जा सकता है, जिस तरह आप शेयरों को खरीदते हैं. जो निवेशक कंजर्वेटिव हैं और बाजार का रिस्क नहीं लेना चाहते हैं, उन्हें ईटीएफ में पैसा लगाना चाहिए.

क्यों बेहतर है विकल्प

  • ETF इंडेक्स का ही रेप्लिका होता है. कहने का मतलब यह है कि इंडेक्स में जितनी तेजी आएगी, अमूमन इन्हें भी ग्रोथ का उतना फायदा मिल सकता है.
  • सेंसेक्स हो या निफ्टी दोनों में रैली आने पर ये इंडेक्स भी तेजी से मजबूत होते हैं, जिनका फायदा ETF निवेशकों को मिलता है.
  • एक बड़ा फायदा यह है कि ज्यादातर इंडेक्स बेस्ड ETF का एक्सपेंस रेश्यो भी कम होता है. यानी इनमें निवेश करना सस्ता होता है.
  • ETF रिस्‍क को डाइवर्सिफाई करता है. MF में रिस्‍क डाइवर्सिफाई होता है लेकिन उसमें वर्गीकरण ज्‍यादा है.
  • अगर पोर्टफोलियो में ज्‍यादा उतार-चढ़ाव नहीं चाहते तो ETF बेहतर ऑप्‍शन है. ETF में टैक्‍स देनदारी सामान्‍य शेयरों में निवेश जैसी है.

(Disclaimer: हमने यहां सिर्फ ईटीएफ और इंडेक्स फंड के बारे में जानकारी दी है. यह निवेश की सलाह नहीं है. निवेश से पहले अपने स्तर पर एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें.)

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