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Inflation Calculator: 30 साल में 1 लाख रुपये की कीमत कितनी होगी? महंगाई कैसे आपकी रिटायरमेंट सेविंग को पटरी से उतार सकती है!

ज्यादातर लोग रिटायरमेंट की प्लानिंग बनाते समय महंगाई का असर नहीं समझते और मानते हैं कि आज की बचत भविष्य में काफी होगी. लेकिन अगर महंगाई सालाना 6% रहे, तो आज के 1 लाख रुपये की कीमत 30 साल बाद कितनी हो जाएगी.

ज्यादातर लोग रिटायरमेंट की प्लानिंग बनाते समय महंगाई का असर नहीं समझते और मानते हैं कि आज की बचत भविष्य में काफी होगी. लेकिन अगर महंगाई सालाना 6% रहे, तो आज के 1 लाख रुपये की कीमत 30 साल बाद कितनी हो जाएगी.

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FE Hindi Desk
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Inflation Calculator

अधिकांश लोग रिटायरमेंट की योजना बनाते समय एक बड़ी गलती कर देते हैं . वे महंगाई के प्रभाव को कम समझते हैं. (AI Image)

अधिकांश लोग रिटायरमेंट की योजना बनाते समय एक बड़ी गलती कर देते हैं — वे महंगाई के प्रभाव को कम समझते हैं. वे सोचते हैं कि जो रकम वे आज बचा रहे हैं, वही रिटायरमेंट के बाद उनकी जरूरतें पूरी कर पाएगी. लेकिन वास्तविकता यह है कि महंगाई हर साल पैसे की खरीदारी क्षमता को कम कर देती है.

आज हम इसे एक 30 वर्षीय व्यक्ति की कहानी से समझेंगे, जिसकी वर्तमान मासिक आय 1 लाख रुपये है और जो 60 साल की उम्र में रिटायर होकर आज की तरह जीवनयापन करना चाहता है. सवाल यह है कि 30 साल बाद उसकी आज की जरूरतों को पूरा करने के लिए कितनी रकम चाहिए होगी और वह यह रकम कैसे जुटा सकता है. यही इस कहानी का मुख्य उद्देश्य है.

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30 साल में 1 लाख रुपये की कीमत कितनी होगी?

मान लीजिए कि अगले 30 सालों में महंगाई की दर औसतन 6% बनी रहेगी. यह कोई कल्पना की संख्या नहीं है — पिछले दो दशकों में भारत में औसतन महंगाई इसी के आसपास रही है.
तो, आज के 1 लाख रुपये की खरीद शक्ति बनाए रखने के लिए उसे 30 साल बाद हर महीने लगभग 5.75 लाख रुपये की जरूरत होगी.

इसका मतलब है कि रिटायरमेंट के समय उसका 'लक्ष्य' सिर्फ महीने के खर्च पूरे करना नहीं होगा, बल्कि महंगाई से भी मुकाबला करना होगा.

समय के साथ खर्च कैसे बढ़ेंगे?

आज यह व्यक्ति हर महीने 1 लाख रुपये खर्च करता है, जिसमें किराया, राशन, वीकेंड आउटिंग और अन्य घर के खर्च शामिल हैं. अभी उसका कोई बच्चा नहीं है, लेकिन आने वाले सालों में बच्चे की जिम्मेदारी, स्कूल की फीस, दवाइयों के खर्च, परिवार की जिम्मेदारियां और महंगाई की वजह से खर्च बढ़ेंगे.

वह उम्मीद करता है कि उसकी सैलरी हर साल औसतन 10-12% बढ़ेगी, जिससे बढ़ते हुए खर्चों को संभाला जा सकेगा. लेकिन रिटायरमेंट के बाद स्थिति बदल जाती है — सैलरी नहीं मिलेगी, लेकिन खर्च वैसे के वैसे या और ज्यादा होंगे. इसलिए अभी से एक मजबूत योजना बनाना जरूरी है. रिटायरमेंट के बाद इस व्यक्ति को हर महीने 5.75 लाख रुपये की पेंशन चाहिए होगी.

अगर यह व्यक्ति 60 साल की उम्र में रिटायर हो कर अगले 15 साल (यानी 75 साल की उम्र तक) हर महीने 5.75 लाख रुपये पाना चाहता है, तो उसे रिटायरमेंट तक एक बड़ा कोष तैयार करना होगा.

गणना के अनुसार, अगर वह 5 करोड़ रुपये का रिटायरमेंट फंड बनाता है और इसे ऐसी योजना में निवेश करता है जहां सालाना 12% रिटर्न मिलता है, तो वह SWP (सिस्टमेटिक विदड्रॉल प्लान) के जरिए हर महीने लगभग 5,80,500 रुपये निकाल सकता है.

SWP क्या है और यह कैसे काम करता है?

SWP यानी सिस्टमेटिक विदड्रॉल प्लान एक म्यूचुअल फंड योजना है जिसमें आप एक बड़ी रकम निवेश करते हैं और हर महीने/तिमाही/सालाना एक तय रकम निकालते रहते हैं.

यह कैसे मदद करता है?

रिटायरमेंट के बाद, SWP आपको एक निश्चित नकदी प्रवाह देता है जो पेंशन की तरह काम करता है.

सबसे बड़ा फायदा यह है कि आपका पैसा म्यूचुअल फंड में निवेशित रहता है और रिटर्न देता रहता है, जबकि आप हर महीने खर्चों के लिए इसका एक हिस्सा निकालते रहते हैं.

इस उदाहरण में, 12% वार्षिक रिटर्न वाला फंड 15 साल तक हर महीने 5.8 लाख रुपये दे सकता है और रिटायरमेंट के बाद भी महंगाई से लड़ने में मदद करता है.

अब सवाल ये है – 30 साल में 5 करोड़ रुपये का कोष कैसे बनाया जाए?

यहां आता है SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान)

अगर यह व्यक्ति अभी से निवेश शुरू करता है और हर महीने केवल 6,270 रुपये लगाता है, और हर साल इस राशि को 10% बढ़ाता रहता है (स्टेप-अप SIP), तो 30 साल में वह 5 करोड़ रुपये का कोष बना सकता है – बशर्ते निवेश को 12% वार्षिक संयुक्त विकास दर (CAGR) का रिटर्न मिले.

SIP – स्टेप-अप कैसे काम करेगा

पहला साल: 6,270 रुपये प्रति महीने

दूसरा साल: 6,897 रुपये प्रति महीने (10% बढ़ोतरी)

तीसरा साल: 7,586 रुपये प्रति महीने … और इसी तरह, हर साल 10% बढ़ते रहेंगे.

12% CAGR रिटर्न की उम्मीद करना ठीक है, क्योंकि कई म्यूचुअल फंड कैटेगरीज जैसे मिडकैप, लार्जकैप, स्मॉलकैप, फ्लेक्सी-कैप ने पहले इससे ज्यादा रिटर्न दिए हैं.

म्यूचुअल फंड क्यों?

हायर रिटर्न की संभावना – लंबी अवधि में 12-15% औसत रिटर्न संभव है.

महंगाई से बचाव – फिक्स्ड डिपॉजिट या PPF जैसे साधनों से ज्यादा रिटर्न मिलता है.

लचीलापन – SIP से शुरू करें और बाद में रकम बढ़ा सकते हैं.

तरलता – जब जरूरत हो तो निवेश को आसानी से बेच सकते हैं.

महंगाई का असर – क्यों आज का 1 लाख रुपए कल पर्याप्त नहीं होगा

महंगाई धीरे-धीरे पैसे की खरीदने की ताकत को कम कर देती है. यहां एक सरल उदाहरण है:

आज जिन चीज़ों को आप 1 लाख रुपए में खरीद सकते हैं, वे 30 साल बाद 5.75 लाख रुपए में पड़ेंगी.

अगर आपने रिटायरमेंट के लिए 1 करोड़ रुपए बचाए हैं लेकिन महंगाई का असर नहीं सोचा है, तो यह रकम बहुत जल्दी खत्म हो सकती है.

लोगों की आम गलती यह होती है कि वे सिर्फ रिटायरमेंट के बाद के अपने आज के खर्चों का हिसाब लगाते हैं और महंगाई को नजरअंदाज कर देते हैं.

क्या PPF और NPS बेहतर विकल्प हो सकते हैं?

हालांकि इस कहानी में हमने SIP–SWP पर ध्यान दिया है, लेकिन भारत में और भी अच्छे रिटायरमेंट विकल्प उपलब्ध हैं:

PPF (पब्लिक प्रोविडेंट फंड) – सुरक्षित, टैक्स-फ्री, लेकिन 7–8% रिटर्न्स जो महंगाई से मुकाबला करने में सीमित हैं.

NPS (नेशनल पेंशन सिस्टम) – मार्केट और डेट का मिश्रण, लंबी अवधि के लिए अच्छा, साथ ही टैक्स लाभ भी देता है.

फिर भी, अगर आपका लक्ष्य महंगाई से तेज़ रिटर्न पाना है, तो इक्विटी म्यूचुअल फंड बेहतर हो सकते हैं — बशर्ते आप लंबे समय तक निवेश बनाए रखें.

अंतिम योजना – 30 से 75 साल की ज़िंदगी सुरक्षित करें

अब SIP शुरू करें – 6,270 रुपए प्रति महीने

हर साल 10% बढ़ाएं – जैसे-जैसे तनख्वाह बढ़े, निवेश बढ़ाएं.

30 साल बाद – 5 करोड़ रुपए का कोरपस तैयार हो जाएगा.

रिटायरमेंट के बाद SWP शुरू करें – 12% रिटर्न मानकर 15 साल तक हर महीने 5.8 लाख रुपए निकाले.

क्या है सबक?

महंगाई को रिटायरमेंट प्लानिंग का हिस्सा बनाना जरूरी है.

छोटा शुरू करना लंबे समय में बड़ा असर डाल सकता है — इसे कहते हैं कंपाउंडिंग का जादू.

बाजार की उतार-चढ़ाव से डरकर निवेश बंद मत करें, निवेश करते रहें.

अगर आप रिटायरमेंट के बाद आर्थिक परेशानियों से बचना चाहते हैं, तो आज से योजना बनाना शुरू करें. याद रखें, समय और अनुशासन आपके सबसे बड़े साथी हैं.

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