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Insurance Plan: इंश्योरेंस प्रीमियम लग रहा है महंगा? कवर खोए बिना खर्च घटाने के स्मार्ट टिप्स

क्या बीमा प्रीमियम अब बोझ बन गया है? बीमा जागरूकता दिवस पर विशेषज्ञ बता रहे हैं आसान तरीके - जैसे टॉप-अप प्लान, मंथली किस्त और को-पेमेंट ऑप्शन - जिनसे कवर खोए बिना खर्च घटाया जा सकता है.

क्या बीमा प्रीमियम अब बोझ बन गया है? बीमा जागरूकता दिवस पर विशेषज्ञ बता रहे हैं आसान तरीके - जैसे टॉप-अप प्लान, मंथली किस्त और को-पेमेंट ऑप्शन - जिनसे कवर खोए बिना खर्च घटाया जा सकता है.

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FE Hindi Desk
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Insurance: इंश्योरेंस प्रीमियम लग रहा है महंगा? कवर खोए बिना खर्च घटाने के स्मार्ट टिप्स. ( Image : Pexels )

इंश्योरेंस हर परिवार की वित्तीय सुरक्षा की पहली दीवार होता है, लेकिन जब मासिक बजट खिंचने लगता है, तो सबसे पहले इसी खर्च में कटौती की सोची जाती है. कई लोग समय पर प्रीमियम नहीं भर पाते और उनकी पॉलिसी या तो लैप्स हो जाती है या कम कवर के साथ चलती रहती है. लेकिन क्या कोई ऐसा तरीका है जिससे प्रीमियम घटाया जा सके, सुरक्षा भी बनी रहे और जेब पर बोझ भी न पड़े?

आज इंश्योरेंस अवेयरनेस डे के मौके पर विशेषज्ञों ने कुछ ऐसे व्यावहारिक और असरदार उपाय सुझाए हैं, जो आम पॉलिसीधारकों की बड़ी समस्या का हल बन सकते हैं.

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स्मार्ट प्लानिंग से बीमा हो सकती है सस्ती

आज के दौर में बदलती प्राथमिकताओं और महंगाई के बीच बीमा को बनाए रखना चुनौतीपूर्ण जरूर है, लेकिन असंभव नहीं. बीमा क्षेत्र के जानकारों का मानना है कि थोड़ी स्मार्ट प्लानिंग और कुछ बदलावों के साथ आप अपनी पॉलिसी को जारी भी रख सकते हैं और प्रीमियम में भी कटौती कर सकते हैं. इसमें ऑनलाइन पॉलिसी लेना, टॉप-अप प्लान का इस्तेमाल करना, मासिक या तिमाही भुगतान मोड चुनना या कुछ गैर-ज़रूरी राइडर्स हटाना जैसे विकल्प शामिल हैं.

विशेषज्ञों के अनुसार, बीमा को 'एक जैसा सब पर लागू' मानने के बजाय इसे जीवन बदलने वाली रणनीति के रूप में देखना चाहिए.

पॉलिसी को एकसाथ जोड़ें, ऑनलाइन जाएं और बीमा जल्दी खरीदें

एजियास फेडरल लाइफ इंश्योरेंस के एमडी और सीईओ जूड गोम्स बताते हैं कि भले ही बीमा अब महंगा महसूस होने लगा है, लेकिन लागत को समझदारी से मैनेज करने के कई तरीके हैं. वे कहते हैं कि बदलती वित्तीय प्राथमिकताएं और बढ़ते खर्च बीमा प्रीमियम को जारी रखना मुश्किल बना सकते हैं, लेकिन सुरक्षा से समझौता किए बिना लागत को नियंत्रित करने के व्यावहारिक तरीके मौजूद हैं. सीईओ जूड गोम्स सलाह देते हैं कि बेसिक प्रोटेक्शन इंश्योरेंस को प्राथमिकता दें, जो कम कीमत में अच्छा कवरेज देता है. वे कहते हैं कि सालाना प्रीमियम भुगतान से प्रशासनिक खर्च कम हो सकते हैं और कई बार डिस्काउंट भी मिल सकता है. स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से बीमा दरें बेहतर होती हैं, क्योंकि कम स्वास्थ्य जोखिमों वाले लोगों को बीमा कंपनियां रिवॉर्ड देती हैं. बीमा जल्दी लेने से मृत्यु जोखिम कम होने के कारण प्रीमियम भी कम रहता है. ऑनलाइन पॉलिसी लेने से डिस्ट्रीब्यूशन खर्च कम होता है, जिससे पॉलिसी सस्ती हो जाती है."

वे कहते हैं कि जो लोग कई पॉलिसियों से जूझ रहे हैं, उनके लिए गोम्स पॉलिसी को समेकित करने की सलाह देते हैं ताकि प्रबंधन आसान हो और लागत भी कम हो. "संघटन से प्रबंधन सरल होता है और लागत प्रभावीता बढ़ती है.

लचीलापन: आसान कैश फ्लो के लिए भुगतान विकल्प और टॉप-अप प्लान

बीमा लागत को मैनेज करने में भुगतान मोड में लचीलापन भी अहम है. गोम्स बताते हैं, "मासिक या तिमाही प्रीमियम भुगतान पर स्विच करना एक प्रभावी तरीका हो सकता है, जिससे तत्काल नकदी प्रवाह की समस्या कम हो जाती है. जो लोग फिलहाल ज्यादा कवर नहीं ले पा रहे हैं, वे बाद में टॉप-अप प्लान लेकर धीरे-धीरे सुरक्षा बढ़ा सकते हैं और आर्थिक स्थिरता बनाए रख सकते हैं."  सीईओ जूड गोम्स कहते हैं कि हम बीमा कंपनियों की जिम्मेदारी है कि हम ग्राहकों को सूझबूझ से और टिकाऊ फैसले लेने में मदद करें."

हेल्थ इंश्योरेंस के स्मार्ट तरीके: को-पेमेंट और रूम रेंट राइडर का इस्तेमाल करें

केयर हेल्थ इंश्योरेंस के हेड – डिस्ट्रीब्यूशन अजय शाह भी खासकर हेल्थ इंश्योरेंस के मामले में इसी तरह की राय रखते हैं. वे बताते हैं कि जरूरी कवरेज को गंवाए बिना भी प्रीमियम लागत को समझदारी से नियंत्रित किया जा सकता है. वे कहते हैं कि हर कोई चाहता है कि उसका प्रीमियम किफायती हो, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि व्यापक सुरक्षा से समझौता किया जाए. वे को-पेमेंट क्लॉज या सब-लिमिट जैसे विकल्प अपनाने की सलाह देते हैं ताकि पॉलिसी लेते समय प्रीमियम कम हो सके. "इनसे प्रीमियम कम हो सकता है क्योंकि क्लेम के समय बीमाधारक को तय राशि खुद भरनी होती है," शाह समझाते हैं. "पॉलिसी के नियम और शर्तों को ध्यान से पढ़ना जरूरी है ताकि इन क्लॉज की पूरी समझ हो."

वे जोड़ते हैं कि वे मंथली या तिमाही भुगतान मोड में स्विच करने की सलाह देते हैं ताकि कैश फ्लो बना रहे और टॉप-अप या सुपर टॉप-अप प्लान के ज़रिए सस्ते में कवर बढ़ाया जा सके. "ये छोटे लेकिन रणनीतिक बदलाव पॉलिसीधारकों को वित्तीय रूप से सुरक्षित बनाए रखने में मदद कर सकते हैं, चाहे हालात कैसे भी हों.

केस स्टडी: स्मार्ट कस्टमाइजेशन से 36% तक प्रीमियम की बचत

शाह एक उदाहरण साझा करते हैं कि कैसे स्मार्ट बदलावों से बीमा प्रीमियम में काफी कटौती हो सकती है. वे कहते हैं कि अगर कोई 65 वर्षीय व्यक्ति 10 लाख रुपये का हेल्थ इंश्योरेंस लेता है, तो उसका प्रीमियम 35,088 रुपये बनता है. लेकिन अगर वह को-पेमेंट ऑप्शनल राइडर को चुनता है, तो प्रीमियम करीब 16% तक घट जाता है," 

शाह विस्तार से बताते हैं कि अगर इसमें 'स्मार्ट सिलेक्ट' (चयनित अस्पताल नेटवर्क) और 'रूम रेंट मॉडिफिकेशन' (सिंगल प्राइवेट AC रूम) जैसे राइडर भी जोड़ें तो कुल मिलाकर प्रीमियम 36% तक कम हो जाता है, जिससे ग्राहक के लिए यह काफी किफायती हो जाता है," 

सिंप्लिफाई, टॉप-अप और ट्रिम करें: स्मार्ट इंश्योरेंस के टिप्स

फ्रियो के सह-संस्थापक और सीईओ कुणाल वर्मा मानते हैं कि बीमा को बोझ की तरह नहीं देखना चाहिए. वे कहते हैं कि अगर सालाना प्रीमियम भारी लगते हैं, तो मासिक या तिमाही भुगतान मोड अपनाकर यह दबाव घटाया जा सकता है और सुरक्षा भी बनी रहती है.

वे गैर-ज़रूरी राइडर्स को हटाने या बेस प्लान के साथ टॉप-अप जोड़ने की सलाह देते हैं ताकि लागत भी नियंत्रित रहे और सुरक्षा भी बनी रहे. वर्मा कहते हैं कि हमने देखा है कि युवा प्रोफेशनल्स 5 लाख का बेस कवर लेते हैं और साथ में 20 लाख का टॉप-अप जोड़ते हैं, जिससे प्रीमियम कम रहता है और सुरक्षा भी अच्छी मिलती है.

"इसी तरह, एक चार सदस्यीय परिवार ने सालाना से मासिक भुगतान पर स्विच किया और कुछ दोहराव वाले राइडर्स हटा दिए, जिससे सालाना करीब 7,000 रुपये की बचत हुई, वो भी बिना किसी मुख्य लाभ को खोए." वे पॉलिसीहोल्डर्स को भरोसा दिलाते हैं: "थोड़ी सी प्लानिंग से आप अपने बजट और मानसिक शांति के बीच सही संतुलन बना सकते हैं."

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