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“We have already seen the growth as far as our book is concerned. We have seen growth of about 6% till September 30. Hopefully, with the unlocking happening, we should be in a position to reach better than 8%.”
बैंकों ने लोन मोरेटोरियम अवधि के दौरान कर्जदारों के खातों में ब्याज पर लगााए गए ब्याज की रकम लौटानी शुरू कर दी है. योजना पर अमल करते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के एक बैंक से ग्राहक को मैसेज भेजा गया कि प्रिय ग्राहक कोविड-19 राहत अनुदान राशि, तीन नवंबर को आपके खाते में डाल दी गई है. रिजर्व बैंक ने पिछले हफ्ते ही सभी बैंकों, गैर- बैंकिंग वित्तीय कंपनियों सहित कर्ज देने वाले संस्थानों को यह सुनिश्चित करने को कहा कि दो करोड़ रुपये तक के कर्ज पर छह महीने की लोन मोरेटोरियम अवधि के दौरान लिए गए ब्याज पर ब्याज से माफी योजना पर 5 नवंबर तक अमल होना चाहिए.
होम, एजुकेशन, MSME लोन शामिल
वित्त मंत्रालय ने इस योजना को लेकर आम लोगों के मन में उठने वाले सवालों के जवाब जारी किए हैं. मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि सोने को गिरवी रख लिए गए कंजंप्शन लोन भी योजना के तहत ब्याज पर ब्याज से छूट पाने के योग्य हैं. मंत्रालय ने यह भी साफ किया है कि कर्जदाता संस्थान द्वारा सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यम (MSME) के तौर पर वर्गीकृत कर्ज इस माफी योजना के तहत छूट पाने के हकदार होंगे.
इन कर्ज के लिए गारंटी चाहे किसी भी तरह की हो उससे इनकी योग्यता पर कोई असर नहीं होगा. वित्त मंत्रालय की तरफ से यह आम सवालों के जवाब का दूसरा सेट कुछ ही दिनों के भीतर जारी किया गया है. योजना पर अमल के आखिरी दिन से पहले मंत्रालय ने चीजों को साफ किया है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने पिछले महीने ही इस योजना की घोषणा की. सरकार ने निर्धारित लोन अकाउंट में छह महीने की अवधि के दौरान चक्रवृद्धि ब्याज और सामान्य ब्याज के बीच के अंतर को लौटाने की घोषणा की. होम लोन, एजुकेशन लोन, क्रेडिट कार्ड बकाया, ऑटो लोन, MSME लोन, कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन और कंजंप्शन लोन को योजना के दायरे में रखा गया है.
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1 मार्च से 31 अगस्त तक लिए लोन पर प्रावधान
हालांकि, कृषि और संबंधित गतिविधियों के लिए गए कर्ज को इस छूट योजना से अलग रखा गया है. योजना में 1 मार्च 2020 से 31 अगस्त 2020 तक बैंकों और कर्जदाता संस्थानों द्वारा दो करोड़ रुपये तक के बकाये कर्ज खातों पर ब्याज पर लिए गए ब्याज से माफी देने का प्रावधान है और इस राशि को कर्जदारों के खातों में लौटाया जायेगा. वित्त मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद इस संबंध में 23 अक्टूबर को ही दिशानिर्देश जारी कर दिए थे. सुप्रीम कोर्ट से 14 अक्टूबर को सरकार को इस योजना को जल्दसे जल्द लागू करने को कहा था.