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How to Reduce MF Investment Risk: म्यूचुअल फंड में निवेश पर रिस्क को ऐसे करें कम, निवेशक के तौर पर खुद बनाएं अपनी स्ट्रैटजी

Reduce Mutual Fund Investment Risk: फंड मैनेजर के अलावा निवेशक के तौर पर भी आप म्यूचुअल फंड में निवेश पर रिस्क को कम करने के लिए कुछ तरीके अपना सकते हैं.

Reduce Mutual Fund Investment Risk: फंड मैनेजर के अलावा निवेशक के तौर पर भी आप म्यूचुअल फंड में निवेश पर रिस्क को कम करने के लिए कुछ तरीके अपना सकते हैं.

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investment tips know here How to reduce risk of mutual fund investment

बाजार में म्यूचुअल फंड की कई योजनाएं उपलब्ध हैं जिसमें से अपने लिए बेहतर का चयन करने के लिए रणनीति बनानी चाहिए.

Reduce Mutual Fund Investment Risk: बाजार में उतार-चढ़ाव के चलते कुछ निवेशक सीधे इक्विटी की बजाय म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं. हालांकि इसमें भी निवेश से कई सिस्टमैटिक और अनसिस्टमैटिक रिस्क जुड़ा हुआ है. ये न सिर्फ घरेलू बल्कि वैश्विक कारणों के चलते हो सकते हैं. इनके चलते आपके निवेश पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. म्यूचुअल फंड में निवेश करने पर फंड मैनेजर सभी रिस्क को कम करने के लिए अपने ज्ञान और अनुभव करते हैं. हालांकि आप भी एक निवेशक के तौर पर कुछ तरीके अपना सकते हैं जिससे आप म्यूचुअल फंड में निवेश पर रिस्क को कम कर सकते हैं. बाजार में म्यूचुअल फंड की कई योजनाएं उपलब्ध हैं जिसमें से अपने लिए बेहतर का चयन करने के लिए नीचे दिए गए सुझाव के हिसाब से अपनी रणनीति अपना सकते हैं.

फंड के फंडामेंटल को जरूर चेक करें

किसी भी म्यूचुअल फंड में पैसे लगाने से पहले इसका फंडामेंटल चेक कर लें. फंड के पोर्टफोलियो में देख लें कि यह कितना मजबूत है और इसका पैसा सभी सेक्टर्स की टॉप कंपनियों में लगा है या नहीं. कमजोर फंडामेंटल वाले फंड में निवेश से लांग टर्म में आपकी निवेश पर घाटा उठाना पड़ सकता है.

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Risk-O-Meter से अपने रिस्क की मैचिंग

सेबी के आदेश के मुताबिक एएमसी (एसेट मैनेजमेंट कंपनी) को अपने सभी फंड के लिए रिस्क-ओ-मोटर भी दिखाना होगा. इसमें फंड से जुड़े सभी रिस्क का स्तर के बारे में जानकारी देनी होती है. इससे पहले रिस्क-ओ-मीटर में किसी खास कैटेगरी से जुड़े रिस्क को दिखाया जाता था लेकिन अब स्थिति बदल गई है. किसी फंड में निवेश से पहले इस मीटर से चेक कर लें कि किस फंड से जुड़ा रिस्क आपके रिस्क लेने की क्षमता से मैच कर रही है. रिस्क का लेवल लिक्विडिटी रिस्क, क्रेडिट रिस्क, इंटेरेस्ट रेट रिस्क, मार्केट कैप और वोलैटिलिटी समेत कई आधार पर तय की जाती है.

लांग टर्म रिटर्न चेक करें

अगर फंड के रिटर्न के जरिए अपने लिए फंड का चयन कर रहे हैं तो लांग टर्म रिटर्न देखें. कुछ निवेशक शॉर्ट टर्म रिटर्न के हिसाब से अपने निवेश का फैसला लेते हैं लेकिन अगर लांग टर्म यानी 8-10 वर्ष के ट्रैक रिकॉर्ड को देखा जाए तो इससे बुल और बियर यानी खरीदारी व बिकवाली दोनों परिस्थितियों में फंड के प्रदर्शन को समझने में मदद मिलेगी. ऐसे फंड का चयन करें जिसने कम से कम 2-3 साल का अवधि में लगातार बेहतर प्रदर्शन किया हो.

लार्ज कैप्स में करें निवेश

मिड और स्माल कैप्स में अधिक रिटर्न मिलने की संभावना रहती है लेकिन इसमें रिस्क भी अधिक रहता है. ऐसे में लार्ज कैप्स से जुड़े फंड में निवेश करना बेहतर है क्योंकि यह बाजार की गिरावट के दौरान भी बेहतर प्रदर्शन करता है. लार्ज कैप्स का पैसा ऐसी कंपनियों में लगाया जाता है जो अपने सेग्मेंट में डॉमिनेंट होते हैं. अगर बाजार की गिरावट के दौरान इनमें गिरावट होती है तो कुछ समय बाद ही इनमें उछाल होती है.

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सभी एनएफओ में निवेश करने से बचें

पूंजी जुटाने के लिए एएमसी न्यू फंड ऑफर (NFO) लाती हैं. अधिकतर निवेशक अधिक रिटर्न को लेकर एनएफओ में निवेश के लिए आकर्षित होते हैं. हालांकि सभी एनएफओ में निवेश करने की प्रवृत्ति से बचा जाना चाहिए. ये नए ऑफर होते हैं तो इनके बारे में अधिक जानकारी सार्वजनिक नहीं होती है जिसके चलते सावधानीपूर्वक ही इसमें निवेश को लेकर फैसला लेना चाहिए. निवेश से पहले देखें कि इसमें नया क्या है और लागत कितनी है.
(Article: Rahul Jain, President & Head, Personal Wealth, Edelweiss Wealth Management)

(डिस्क्लेमर: म्यूचुअल फंड में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. ऐसे में पैसे लगाने से पहले अपने निवेश सलाहकार से संपर्क कर लें.)

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