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Share Allotment: सब्‍सक्रिप्‍शन का मतलब अलॉटमेंट की गारंटी नहीं, चाहते हैं टाटा टेक का शेयर तो ऐसे करें निवेश

IPO Investment Tips: टाटा टेक्‍नोलॉजी को लेकर क्रेज है. सब्‍सक्रिप्‍शन के पहले ही घंटे में यह आईपीओ पूरी तरह से भर गया.

IPO Investment Tips: टाटा टेक्‍नोलॉजी को लेकर क्रेज है. सब्‍सक्रिप्‍शन के पहले ही घंटे में यह आईपीओ पूरी तरह से भर गया.

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Sushil Tripathi
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IPO Investment: इस हफ्ते आईपीआ में निवेश करने वालों के पास कई विकल्‍प हैं.

IPO Share Allotment: आईपीओ में सिर्फ पैसा लगा देना इस बात की बिल्‍कुल गारंटी नहीं है कि आपको शेयर अलॉट ही हो जाएंगे. (Reuters)

How to Enhance Your Chances of Share Allotment: इस हफ्ते आईपीआ में निवेश करने वालों के पास कई विकल्‍प हैं. 21 और 22 नवंबर को मिलाकर कुल 5 मेनबोर्ड आईपीओ लॉन्‍च हुए हैं, जिनमें 24 नवंबर तक निवेश किया जा सकता है. इनमें टाटा टेक्‍नोलॉजी को लेकर काफी क्रेज देखनें को मिल रहा है. सब्‍सक्रिप्‍शन के पहले ही घंटे में यह आईपीओ पूरी तरह से भर गया. आने वाले दिनों में इसमें हाई सब्‍सक्रिप्‍शन की उम्‍मीद है. बाकी बचे आईपीओ को भी बेहतर रिस्‍पांस मिल रहा है. लेकिन आईपीओ में सिर्फ पैसा लगा देना इस बात की बिल्‍कुल गारंटी नहीं है कि आपको शेयर अलॉट ही हो जाएंगे. ऐसे में अगर आप भी ट्रेंडिंग आईपीओ टाटा टेक्‍नोलॉजी का शेयर चाहते हैं तो निवेश करते समय कुछ खास बातों का ध्‍यान रखना होगा. 

सबको नहीं मिल पाते हैं शेयर 

आईपीओ में पैसे लगाने के बाद भी गिने चुने लोगों को ही शेयर अलॉट होते हैं. जब किसी कैटेगरी के लिए रिजर्व हिस्सा ओवर सब्सक्राइब होगा तो जाहिर सी बात है कि सभी को शेयर नहीं मिलेंगे. मान लिया किसी आईपीओ में रिटेल निवेशकों के लिए 35 फीसदी हिस्सा तय किया गया है. लेकिन उसी रिजर्व हिस्से के लिए 10 गुना बोलियां मिली हैं. यानी 1 शेयर के लिए 10 गुना दावेदार हैं. ऐसे में संभव नहीं है कि सभी को शेयर अलॉट हो सके. वहीं अगर रिजर्व हिस्सा ओवर सब्सक्राइब नहीं हुआ है तो सभी आवेदकों को कम से कम एक लॉट अलॉट होने का चांस होता है. बचे शेयरों को आनुपातिक आधार पर अलॉट किया जाता है. लेकिन ओवर सब्सक्राइब होने पर लकी ड्रॉ के जरिए अलॉटमेंट होता है. यह एक कंप्यूटराइज्ड सिस्टम से होता है.

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मल्टीपल अकाउंट से अप्‍लाई करें 

सिर्फ एक अकाउंट में अधिकतम बोली के साथ आईपीओ के लिए आवेदन न करें, बल्कि एक आईपीओ के लिए कई अकाउंट से अप्‍लाई करें. एक से अधिक अकाउंट से आवेदन करने से शेयर अलॉटमेंट की संभावना बढ़ जाती है. खासतौर से ओवरसब्सक्राइब्ड आईपीओ के लिए ऐसा करना जरूरी है.

ओवरसब्‍सक्राइब्‍ड आईपीओ पर अधिक बिड से बचें

सेबी का अलॉटमेंट प्रॉसेस ऐसा है जिसमें रिटेल एप्लीकेशन पर 2 लाख रुपये से कम के सभी आवेदनों को एक समान समझा जाता है. ऐसे में जिन आईपीओ के ओवर सब्सक्राइब होने की संभावना अधिक है, उसमें निवेशकों को बड़े बिड लगाने की बजाय कई अकाउंट के जरिए मिनिमम बिड लगाना चाहिए. इससे बचे हुए पैसों को अन्य आईपीओ में भी निवेश का मौका पा सकते हैं.

अपर प्राइस बैंड पर लगाएं पैसा 

किसी कंपनी के आईपीओ के लिए जो प्राइस बैंड तय किया है, उसके अपर प्राइस पर बिड लगाएं. इससे अलॉटमेंट होने की संभावना बढ़ जाती है.

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एक एक डिटेल चेक करें 

आईपीओ के लिए आवेदन करने का सबसे सुरक्षित तरीका एएसबीए (एप्लीकेशन सपोर्टेड बाय ब्लॉक्ड अमाउंट) है. कोई भी अपने बैंक के माध्यम से एएसबीए के साथ जा सकता है, लेकिन निवेशक को इसे लागू करने से पहले डिटेल की जांच करनी होगी. यह निश्चित रूप से टेक्निकल रिजेक्शन से बच जाएगा. आईपीओ फॉर्म भरने में जल्दबाजी न करें. निवेशक को राशि, नाम, डीपी आईडी, बैंक डिटेल जैसी जानकारियों को सही ढंग से भरना चाहिए. 

पैरेंट या होल्डिंग कंपनी के शेयर खरीदें

डीमैट खाते में पैरेंट कंपनी का कम से कम एक शेयर होने से निवेशक शेयरहोल्डर कैटेगरी के माध्यम से आवेदन करने का हकदार हो जाएगा. हालांकि यह वहीं लागू होगा, जहां आईपीओ लाने वाली कंपनी की पैरेंट या होल्डिंग कंपनी पहले से बाजार में लिस्ट हो. अगर उस कंपनी ने अपने शेयरधारकों के लिए कुछ हिस्सा आईपीओ में रिजर्व किया हो तो चांस और बढ़ जाता है.