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अगर आप उन सरकारी बैंकों के कर्मचारी हैं, जिनका मर्जर किसी दूसरे बैंक में हुआ है या होने जा रहा है तो आपके लिए जरूरी खबर है. इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी आफ इंडिया (IRDAI) ने सरकारी बैंकों के मर्जर को देखते हुए ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी पर नई गाइडलाइन जारी की है. गाइडलाइन के अनुसार मर्ज हो रहे बैंक कर्मचारियों को अपना इंश्योरेंस पॉलिसी को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है. मर्ज होने के बाद भी उनकी इंश्योरेंस पॉलिसी मौजूदा कंपनी के साथ ही तब तक चलती रहेगी, जबतक कि पॉलिसी की डेट पूरी न हो जाए.
बता दें कि बैंक मर्जर प्रक्रिया के तहत कुछ सरकारी बैंकों का दूसरे बड़े सरकारी बैंक के साथ मर्जर हुआ है या होना है. मसलन विजया बैंक और देना बैंक का बैंक आफ बड़ौदा के साथ मर्जर होना है. नए बनने वाले बैंक का नाम बैंक आफ बड़ौदा ही होगा. इसी तरह से ओरिएंटल बैंक आफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक आफ इंडिया का पंजाब नेशनल बैंक के साथ मर्जर होना है. इसी तरह से सिंडिकेट बैंक का केनरा बैंक में मर्जर हो रहा है. आंध्र बैंक और कॉरपोरेशन बैंक का यूनियन बैंक में और इंडियन बैंक का इलाहाबाद बैंक में मर्जर हो रहा है.
कर्मचारियों में इंश्योरेंस को लेकर चिंता
ऐसे में जो बैंक मर्ज होने हैं, उनके कर्मचारियों ने यह चिंता जताई थी कि मर्जर के बाद उनके हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का क्या होगा. असल में एक बैंक ने किसी इंश्योरेंस प्रोवाइडर के साथ ग्रुप इंश्योरेंस कराया है तो दूसरे बैंक ने किसी और कंपनी के साथ. ऐसे में जब ये बैंक एक होने जा रहे हैं तो कर्मचारियों की चिंता भी वाजिब है. इसी पर इरडा ने यह साफ किया है कि मर्जर के बाद भी मर्ज वाले बैंक के कर्मचारियों की पॉलिसी मौजूदा इंश्योरेंस कंपनी के साथ पॉलिसी का टाइम पूरा होने तक चलती रहेगी. इसके लिए इंश्योरेंस कंपनी भी अक्वायर करने वाले बैंक के साथ सहयोग करेगी.
टाइम पीरियड खत्म होने के बाद क्या विकल्प
इंश्योरेंस पीरियड खत्म होने के बाद अक्वायर करने वाले बैंक पर निर्भर होगा कि वह अपने यहां मौजूदा इंश्योरेंस कंपनी से सभी कर्मचारियों का ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस करवाता है या मर्ज होने वाले बैंक कर्मचारियों का इंश्योरेंस उनके मौजूदा कंपनी के साथ जारी रखेगा. अक्वायर करने वाला बैंक अपने बीमाकर्ता की सहमति से मर्ज किए गए बैंक के ग्राहकों को इंश्योरेंस कवरेज दे सकेगा.
IRDAI यह भी अनुमति देता है कि मर्ज किए गए बैंकों की व्यवस्था मर्जर की तारीख से 12 महीने की अवधि के लिए संबंधित इंश्योरेंस कंपनियों के साथ जारी रखी जा सकती है, संबंधित बीमा कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट एजेंट के रूप में कार्य करने के लिए अधिग्रहण करने वाले बैंक की इच्छा के अधीन है.