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IRDAI On ULIP & Non Linked Insurance Products: 8 जुलाई 2019 को, इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी आफ इंडिया (IRDAI) ने यूनिट-लिंक्ड और नॉन-लिंक्ड इंश्योरेंस प्रोडक्ट दोनों के लिए दिशानिर्देश जारी किए, जिससे उन्हें अधिक ग्राहक-केंद्रित बनाया जा सके. जारी अधिसूचना में सरेंडर और एन्यूटी प्रक्रिया को आसान बनाकर पेंशन प्रोडक्ट्स, ट्रेडिशनल प्लान और यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान्स (ULIP) के नियमों के बारे में ब्यापक तौर पर बात की गई है. इरडा द्वारा ये दिशा निर्देश जारी करने के पीछे उद्देश्य है कि मौजूदा समय में जो इंश्योरेंस प्रोडक्ट हैं, उनके रेगुलेशन में और सुधार हो और पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा हो सके.
इसे सही समय पर लागू करने के लिए, IRDAI ने सभी बीमा कंपनियों के लिए यह अनिवार्य कर दिया है कि वे फरवरी 2020 से इन दिशानिर्देशों को लागू करें. इरडा का यह कदम इंश्योरेंस प्रोडक्ट में पारदर्शिता बढ़ाने और लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी की गलत बिक्री पर अंकुश लगाने का एक मजबूत प्रयास है. वहीं इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि पॉलिसीधारकों को इंश्योरेंस प्रोडक्ट से संबंधित सभी सही जानकारी दी जाए.
पॉलिसी लैप्स होने के मामले होंगे कम
नियम के अनुसार, एक पॉलिसी उस समय लैप्स कर जाती है जब पॉलिसीधारक प्रीमियम का भुगतान न सिर्फ नियत तारीख पर करने से चूक जाता है, बल्कि ग्रेस पीरियड के दौरान भी नहीं कर पाता है. नए दिशानिर्देशों के अनुसार, IRDAI ने बीमा कंपनियों से गैर-लिंक्ड पॉलिसीज के रिवाइवल की अवधि को मौजूदा 2 साल से बढ़ाकर 5 साल करने के लिए कहा है. इस प्रावधान का पालन करने के लिए, एलआईसी अपने 32 प्रोडक्ट के रिवाइवल पीरियड को 2 साल से बढ़ाकर 5 साल कर चुकी है. वहीं यूलिप प्लान, न्यू एंडाउमेंट प्लस को पहले अनपेड प्रीमियम से 3 साल कर दिया है. यह सबसे अच्छा बदलाव है जिसे बीमाधारक की रुचि और उनकी वित्तीय स्थितियों को ध्यान में रखते हुए लाया गया है.
नए नियम से बढ़ेगा निवेश
लिंक्ड और नॉन-लिंक्ड प्रोडक्ट्स के मिनिमम सम एश्योर्ड में भी कुछ बदलाव हुए हैं. रेगुलर प्रीमियम और लिमिटेड प्रीमियम भुगतान करने वाली पॉलिसी खरीदते समय आपकी उम्र कुछ भी हो, डेथ बेनेफिट एनुअल प्रीमियम से 7 गुना तक कम हो जाता है. सिंगल प्रीमियम पॉलिसी के लिए सम एश्योर्ड सिंगल प्रीमियम का 125 फीसदी है, फिर चाहे आपकी एंट्री उम्र कितनी भी हो. नए नियम लागू होने के बाद, पॉलिसीधारक बाजार में अधिक निवेश करने में सक्षम होगा जिसके परिणामस्वरूप उच्च कॉर्पस का निर्माण किया जा सकेगा.
हालांकि, धारा 80 सी के तहत टैक्स बेनेफिट पाने के लिए डेथ बेनेफिट अभी भी सालाना प्रीमियम का 10 गुना होना जरूरी है. इसके अलावा, नए नियम के तहत अब बीमा कंपनियों को पॉलिसीधारकों से अतिरिक्त प्रीमियम वसूलने की अनुमति होगी, यूनिट-लिंक्ड प्लान के साथ राइडर्स खरीदना चाहते हैं. इससे पहले, अगर कोई पॉलिसीधारक इसके साथ राइडर्स खरीदता था तो बीमा कंपनियां यूलिप से यूनिट डिडक्ट करती थीं.
पॉलिसी को बंद करना भी आसान हुआ
मौजूदा समय में जब लोग किसी प्रोडक्ट में निवेश करते हैं तो एक खास लक्ष्य को ध्यान में रखते हैं. हालांकि जब वे जीवन के विभिन्न चरणों से गुजरते हैं और विभिन्न पहलुओं का अनुभव करते हैं, तो उनके लक्ष्य बदल जाते हैं. ट्रेडिशनल पॉलिसी के मोर्चे पर, अगर किसी कारण से पॉलिसीधारक ने अपनी पॉलिसी को बंद करने की योजना बनाई है, तो किसी को गारंटेड सरेंडर वैल्यू प्राप्त करने के लिए 3 साल का इंतजार नहीं करना होगा. जिसका मतलब है कि अगर कोई पॉलिसी को उसके शुरू होने के 2 साल बाद बंद कर दिया जाता है, तो पॉलिसीधारक को 30 फीसदी तक की निश्चित राशि दी जाएगी. अगर आपने 3 साल के बाद सरेंडर किया है तो 35 फीसदी और 4 से 7वें साल में सरेंडर किया है तो यह राशि 50 फीसदी तक बढ़ जाएगी.
इन कंडीशन में आंशिक निकासी की अनुमति
इसके अलावा, समय से पहले निकासी के लिए नियमों को भी बदल दिया गया है. लाइफ इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स को एनपीएस की तरह बनाने के लिए अब गंभीर बीमारी की स्थिति में या किसी दुर्घटना की वजह से स्थाई विकलांगता या अन्य किसी बड़े स्वास्थ्य कारणों के लिए लिंक्ड पेंशन योजनाओं से आंशिक निकासी की जा सकेगा.
(Writer: Santosh Agarwal, Chief Business Officer-Life Insurance, Policybazaar.com)