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इनकम टैक्स रूल के हिसाब से आयकर रिटर्न ( ITR) पिछले वित्त वर्ष में हुई आय के लिए दाखिल किया जाता है ताकि टैक्स लाइबिलिटी, क्लेम या रिफंड का सेटलमेंट किया जा सके. लेकिन एडवांस टैक्स उसी साल के लिए दिया जाता है, जिस साल आय अर्जित की गई हो.आयकर नियमों के मुताबिक सैलरी पाने वाले कर्मचारियों समेत उन सभी लोगों पर एडवांस टैक्स देने की जिम्मेदारी बनती है, जिनकी TDS, TCS या MAT Credit देने के बाद 10 हजार से अधिक की टैक्स देनदारी बनती है. भारत में रहने वाले ऐसे सीनियर सिटिजन जिनकी बिजनेस या प्रोफेशन से कोई आय नहीं हैं, वे इस टैक्स देनदारी के दायरे में नहीं आते हैं.
कैपिटल गेन या डिविडेंड को लेकर क्या हैं एडवांस टैक्स के नियम ?
आज के दौर में शेयर मार्केट में निवेश करने वालों की तादाद काफी बढ़ गई है. निवेशकों को कैपिटेल गेन हो रहा है. ये निवेशक डिविडेंड से भी कमाई कर रहे हैं. ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या उन्हें भी एडवांस टैक्स देने की जरूरत है. यहां यह समझना जरूरी है कि जब आप कमाई करते हैं तभी एडवांस टैक्स का भुगतान होता है. ऐसे में कैपिटल गेन या डिविडेंड के मामले में यह बताना मुश्किल होता है आप एडवांस में कितनी कमाई कर सकते है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस तरह की कमाई पर एडवांस टैक्स की देनदारी आय की प्राप्ति के बाद ही बनती है. अगर कोई और किस्त बाकी नहीं है, तो टैक्सपेयर संबंधित वित्त वर्ष कमाई पर 31 मार्च तक पूरा टैक्स जमा कर सकता है.
एडवांस टैक्स जमा करने की निर्धारित तारीखें
टैक्सपेयर को एडवांस टैक्स साल में चार किस्त में जमा करना होता है. एडवांस टैक्स जमा करने के लिए चार तारीखें इस तरह से हैं
15 जून या इससे पहले - उन लोगों के लिए जिनकी टैक्सदारी देनदारी 15 फीसदी तक है.
15 सितंबर या इससे पहले - उन टैक्सपेयर्स के लिए जिनकी टैक्स देनदारी 45 फीसदी तक है.
15 दिसंबर या इससे पहले - उन टैक्सपेयर्स के लिए जिनकी टैक्स देनदारी 75 फीसदी तक है
15 मार्च या इससे पहले -उन टैक्सपेयर्स के लिए जिनकी टैक्स देनदारी 100 फीसदी तक है.
उदाहरण के लिए अगर टैक्स जमा करने की अगली तारीख 15 दिसंबर है और किसी की टैक्स देनदारी बन रही है तो वह इस तारीख तक टैक्स देनदारी का 75 फीसदी एडवांस टैक्स के तौर पर जमा कर सकता है. एडवांस टैक्स www.tin-nsdl.com पर जमा किया जा सकता है.
पेनाल्टी
अगक कोई टैक्सपेयर्स समय पर एडवांस टैक्स अदा करने में नाकाम रहता है तो उसे आयकर कानून की धारा 234B और 234C के तहत बकाये पर ब्याज देना होता है. लेकिन कोई अगर यह बकाया 15 मार्च तक जमा कर देता है तो आईटीआर फाइलिंग के वक्त उसे कोई टैक्स नहीं देना होगा. अगर जमा किए टैक्स की रकम और देनदारी में कोई अंतर आता है तो बाकी रकम का भुगतान ब्याज समेत करना होगा.
(Article: Rajeev Kumar)