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मिड कैप फंड्स ने पिछले एक साल में काफी अच्छा रिटर्न दिया है लेकिन यह आगे के रिटर्न की गारंटी नहीं है.
पिछले एक साल के दौरान मिड-कैप म्यूचुअल फंड ( Mid caps funds) कैटेगरी का एवरेज रिटर्न 63 फीसदी रहा है. 5 और 10 साल की अवधि में यह रिटर्न क्रमश: 15 से 18 फीसदी रहा है. इस स्तर पर रिस्क-रिवार्ड रेश्यो जोखिम लेने वाले निवेशकों के पक्ष में रहा है. वहीं इस अवधि में लार्ज कैप फंड की सीएजीआर 15 फीसदी रही है. इस सप्ताह, सोमवार से मार्केट ने कमजोरी दिखानी शुरू कर दी है और यह ऑल टाइम हाई से नीचे ट्रेड कर रहा है. ऐसे में क्या मिड कैप फंडों से पहले जैसे रिटर्न की उम्मीद की जा सकती है.
मिड कैप फंड्स के पिछले प्रदर्शन को देख कर निवेश न करें
Ashika Wealth Advisers के को-फाउंडर और सीईओ अमित जैन कहते हैं कि पिछले तीन साल में लार्ज कैप फंड का CAGR 15 फीसदी रहा है वहीं मिड कैप फंड ने 19 फीसदी का CAGR जेनरेट किया है. मिडकैप फंड का यह पिछला प्रदर्शन है, इसलिए निवेशकों को आगे भी इसके आधार पर रिटर्न की उम्मीद नहीं लगानी चाहिए. हालांकि आगे Nifty50 Nifty Midcap 100 में मौजूदा लेवल से बेहद सीमित मौके हैं. खास कर मौजूदा स्तर पर व्यापक मार्केट में वैल्यू निवेश के लिहाज से. शॉर्ट टर्म में काफी कम स्कीम में इस तरह के रिटर्न ऑन इनवेस्टमेंट ( ROI) दे सकती हैं.
White Oak Capital Management के चीफ बिजनेस ऑफिसर प्रतीक पंत कहते हैं अगर पिछले एक दशक में मिड-कैप कंपनियों की ग्रोथ देखी जाए तो लॉन्ग टर्म में मार्केट नॉमिनल जीडीपी और डिविडेंड यील्ड की लाइन पर रिटर्न दे सकता है. भारत का नॉमिनल जीडीपी रेट दहाई (निचले दहाई स्तर पर) अंक में रह सकता है.
म्यूचअल फंड निवेशक क्या करें?
पंत कहते हैं कि एक निवेशक के तौर पर आपको लार्ज, मिड और स्मॉल कैप में संतुलन के साथ निवेश करना होगा. इसके साथ ही अपने पोर्टफोलियो को रिव्यू करते रहिए और देखिए कि आपके फंड की ओर से जो एलोकेशन हो रहा है वह आपके मुताबिक है. पंत का कहना है कि मिड और स्मॉल कैप में अल्फा जेनरेटिंग मौके हो सकता है लेकिन यह भी ध्यान रखना होगा कि मिड और स्मॉल कैप में लार्ज कैप की तुलना में ज्यादा वोलेटिलिटी होगी. इसलिए फाइनल एलोकेशन से पहले अपने निवेश सलाहकार से जरूर मशविरा करें और अपने निवेश लक्ष्य के हिसाब निवेश करें
एक साथ कई स्कीमों में निवेश न करें
कई बार देखा जाता है कि जब मिड कैप फंड अच्छा प्रदर्शन करने लगते हैं तो निवेशक अपने पोर्टफोलियो में ऐसे ही और फंड जोड़ने लगते हैं. एक नियमित निवेशक के लिए एक ही तरह की कई स्कीमों पर निगरानी रखना मुश्किल होता है. बाद में टैक्स के लिहाज से भी यह जटिल होता जाता है. किसी भी नई स्कीम में निवेश से पहले तीन टॉप सेक्टर को चुनें और नए फंड के टॉप दस होल्डिंग्स को देखें. यह देखें कि आपकी मौजूदा स्कीमों में एक इन फंड्स से मिलते-जुलते एक्सपोजर तो नहीं हैं.
आगे क्या करें?
जब मार्केट ऑल टाइम हाई पर हो आगे इसमें ठहराव दिख रहा या यह नीचे की ओर जाता दिख रहा हो तो चुनिंदा सेक्टरों और शेयरों में ही निवेश करें. आपको ऑटो, ऑटो एन्सिलरी, बैंक और पीएसयू सेक्टर में कुछ ऐसे शेयर मिल सकते हैं, जो वैल्यू दे सकते हैं. कहने का मतलब यह है कि लार्ज और मिडकैप दोनों शेयरों में प्राइस और टाइम करेक्शन देखने को मिल सकता है.कोई भी नया निवेशक जो इस समय मार्केट में घुस रहा है उसे तीन साल या इससे ऊपर का का व्यू लेकर चलना होगा. आपका निवेश जितने ज्यादा समय तक मार्केट में होगा उसमें एडजस्टेड रिस्क रिटर्न की संभावना भी उतनी ही बढ़ जाएगी.
(Article: Sunil Dhawan)
(स्टोरी में दिए गए फंड परामर्श वित्तीय सलाहकारों के हैं. फाइनेंशियल एक्सप्रेस ऑनलाइन इनकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. पूंजी बाजार में निवेश जोखिमों के अधीन हैं. निवेश से पहले अपने सलाहकार से जरूर परामर्श कर लें.)