/financial-express-hindi/media/post_banners/gtlJkg3VkIlCeZOzqCbk.jpg)
ट्रेडीशनल पॉलिसी के मेच्योर होने के बाद जो मेच्योरिटी अमाउंट मिलता है, उसमें दो हिस्सा होता है. एक सम एश्योर्ड और दूसरा बीमा अवधि के दौरान अर्जित बोनस.
Life Insurance Policy Maturity Amount Tax Rule: मनी बैक हो या एंडोमेंट प्लान, सभी पारंपरिक लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसीज में की एक मेच्योरिटी वैल्यू होती है. यह रकम मेच्योरिटी के समय यानी पॉलिसी की अवधि खत्म होने पर बीमाधारक को मिलती है. अगर आपने कोई पॉलिसी वर्षों पहले मसलन, 10-20 साल पहले खरीदी है तो आपको इन वर्षों के दौरान टैक्स से जुड़े नियमों में हुए अहम बदलावों को ध्यान में रखना होगा. ऐसे में यह जानना बहुत जरूरी है कि मेच्योरिटी के समय आपको जो पैसा मिलता है, उस पर आपकी टैक्स देनदारी कितनी बनेगी? इसे समझने से पहले यह जानना जरूरी है कि मेच्योरिटी अमाउंट किस तरह तय होता है.
Tax Talk: प्रॉपर्टी से होने वाली आय पर कैसे लगता है टैक्स, जानिए क्या हैं इससे जुड़े नियम
लाइफ इंश्योरेंस के मेच्योरिटी अमाउंट में दो हिस्से
ट्रेडीशनल पॉलिसी के मेच्योर होने के बाद जो मेच्योरिटी अमाउंट मिलता है, उसमें दो हिस्सा होता है. एक सम एश्योर्ड और दूसरा बीमा अवधि के दौरान अर्जित बोनस. इसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं- मान लीजिए कि आपने 3 लाख रुपये की कोई पॉलिसी 20 साल के लिए खरीदा है. इसका सालाना प्रीमियम 15 हजार रुपये है. मेच्योरिटी के समय आपको सम एश्योर्ड यानी 3 लाख रुपये मिलेंगे. इसके अलावा इन 20 वर्षों में बीमा कंपनी ने जो बोनस घोषित किया है, वह मेच्योरिटी के समय दिया जाएगा. मान लीजिए कि बीमा कंपनी ने हर साल के लिए 45 रुपये प्रति लाख का बोनस घोषित किया है तो एक साल में 13500 को बोनस 20 साल के लिए 2.7 लाख रुपये हो जाएगा यानी कि मेच्योरिटी पर आपको 5.7 लाख रुपये (3 लाख रुपये+2.7 लाख रुपये) मिलेंगे.
मेच्योरिटी अमाउंट पर टैक्स को लेकर ये हैं नियम
इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 10(10डी) के तहत मेच्योरिटी या सरेंडर या बीमाधारक की मौत पर जो सम एश्योर्ड मिलता है, वह पूरी तरह से टैक्स फ्री होता है. सेक्शन 10(10डी) के तहत बोनस की राशि पर भी टैक्स एग्जेंप्शन का फायदा मिलता है. हालांकि सेक्शन 10(10डी) के तहत टैक्स बेनेफिट्स हासिल करने के लिए प्रीमियम और सम एश्योर्ड के अनुपात को लेकर खास शर्त पूरी करनी जरूरी है. इस अनुपात को समय-समय पर संशोधित किया जाता है. वर्तमान नियमों के मुताबिक जो पॉलिसी 1 अप्रैल 2012 के बाद खरीदी गई है, उस पर मेच्योरिटी अमाउंट पर तभी पूरी तरह टैक्स माफी मिलेगी जब इसकी प्रीमियम सम एश्योर्ड के 10 फीसदी से कम हो. 1 अप्रैल 2012 से पहले (1 अप्रैल 2003 के बाद) खरीदी गई पॉलिसी के लिए यह अनुपात 20 फीसदी है. उदाहरण के लिए- 1 अप्रैल 2012 के बाद अगर आप 1 लाख रुपये सालाना प्रीमियम चुका रहे हैं तो मेच्योरिटी पर टैक्स बेनेफिट पाने के लिए न्यूनतम सम एश्योर्ड 10 लाख रुपये का होना चाहिए.
अन्य टैक्स बेनेफिट्स
- सेक्शन 80सी के तहत टैक्स डिडक्शन का लाभ उठाने के लिए भी प्रीमियम और सम एश्योर्ड के अनुपात को देखा जाता है. 1 अप्रैल 2012 के बाद खरीदी गई पॉलिसी के प्रीमियम व सम एश्योर्ड का अनुपात 10 फीसदी से कम और इससे पुरानी पॉलिसी के लिए 20 फीसदी से कम की राशि पर डिडक्शन का फायदा मिलता है.
- यूलिप के मामले में टैक्स से जुड़े नियमों में बजट 2021 में बदलाव हुए हैं. 1 फरवरी 2021 को या इसके बाद जारी 2.5 लाख रुपये के सालाना प्रीमियम वाली यूलिप पर हुए मुनाफे को कैपिटल गेन माना जाएगा और इस पर सेक्शन 112ए के तहत टैक्स देनदारी तय की जाएगी.
(आर्टिकल: सुनील धवन)