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नियामकीय अनिवार्यता न होने के बावजूद आईटीआर फाइलिंग करने से कई फायदे मिलते हैं.
ITR Filing: इनकम टैक्स के नियमों के मुताबिक जिन टैक्सपेयर्स की ग्रॉस टोटल इनकम किसी वित्तीय वर्ष में टैक्सेबल लिमिट से पार हो जाती है तो उन्हें इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फाइल करना अनिवार्य होता है. वर्तमान में यह सीमा 2.5 लाख रुपये है यानी कि किसी वित्त वर्ष में 2.5 लाख रुपये की ग्रॉस टोटल इनकम होने पर आईटीआर भरना जरूरी है लेकिन कुछ विशेष परिस्थितयों में इससे कम आय होने पर भी आईटीआर भरना जरूरी है जैसे कि चालू खाते में 1 करोड़ रुपये से अधिक की जमा पर या किसी वित्त वर्ष में 1 लाख रुपये से अधिक के इलेक्ट्रिसिटी बिल पर. ऐसा कोई विशेष मामला न होने या 2.5 लाख रुपये से कम की ग्रॉस टोटल इनकम होने पर आईटीआर फाइल करना जरूरी तो नहीं है लेकिन एक्सपर्ट के मुताबिक आईटीआर जरूर भरना चाहिए. इससे कई फायदे मिलते हैं.
इन मामलों में आईटीआर फाइल करना अनिवार्य
- 2.5 लाख रुपये से अधिक की ग्रॉस टोटल इनकम होने पर.
- देश के बाहर कोई संपत्ति होने पर.
- देश के बाहर किसी खाते में साइनिंग अथॉरिटी होने पर.
- किसी वित्त वर्ष में किसी बैंक या को-ऑपरेटिव बैंक में चालू खाते में 1 करोड़ रुपये से अधिक की जमा पर.
- किसी वित्त वर्ष में विदेशी यात्रा पर 2 लाख रुपये से अधिक खर्च करने पर.
- किसी वित्त वर्ष में 1 लाख रुपये से अधिक के इलेक्ट्रिसिटी एक्सपेंसेज पर.़
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अनिवार्य ने होने पर भी इसलिए भरना चाहिए आईटीआर
- दोपहिया, कार या घर के लोन के लिए आवेदन करने पर दो साल के रिटर्न का प्रूफ देना होता है.
- विदेश जाने के लिए वीजा आवेदन करने पर आईटीआर का प्रूफ देने पर एप्लीकेशन रिजेक्ट होने के चांसेज कम होते हैं.
- अगर टैक्स अधिक कट गया है और उसका रिफंड चाहिए तो आईटीआर जरूर फाइल करना चाहिए. ऐसा कुछ परिस्थितियों में होता है जैसे कि आपकी आय टैक्सेबल न होने के बावजूद बैंक एफडी पर टैक्स काट ले.
- शेयरों की खरीद-बिक्री करते हैं तो कभी-कभी लॉस भी होता है जिसे कैरी फॉरवर्ड कर सकते हैं. हालांकि इसके लिए आईटीआर फाइल करना जरूरी है.
- आईटीआर फाइल न करने पर दोगुने से अधिक टीडीएस/टीसीएस अधिक चुकाना पड़ सकता है.