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ELSS में बचेगा टैक्स और बढ़ेगा आपका पैसा, निवेश से पहले इन बातों को समझ लेना जरूरी

Tax saver Mutual Fund: अगर टैक्स सेवर म्यूचुअल फंड ELSS में निवेश करना चाहते हैं तो पहले कुछ बातों को समझ लेना आपके लिए जरूरी है.

Tax saver Mutual Fund: अगर टैक्स सेवर म्यूचुअल फंड ELSS में निवेश करना चाहते हैं तो पहले कुछ बातों को समझ लेना आपके लिए जरूरी है.

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ELSS: Tax saver Mutual Fund

Tax saver Mutual Fund: अगर टैक्स सेवर म्यूचुअल फंड ELSS में निवेश करना चाहते हैं तो पहले कुछ बातों को समझ लेना आपके लिए जरूरी है.

Tax saver Mutual Fund: अगर टैक्स सेवर म्यूचुअल फंड ELSS में निवेश करना चाहते हैं तो पहले कुछ बातों को समझ लेना आपके लिए जरूरी है. ELSS यानी इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम टैक्स बचाने वाली म्यूचुअल फंड स्कीम है, जो लंबी अवधि के निवेश को बढ़ावा देती है. एक वित्त वर्ष में इन योजनाओं में आप 1.5 लाख रु तक निवेश पर इनकम टैक्स एक्ट सेक्शन 80 सी के तहत टैक्स छूट का लाभ उठा सकते हैं. हालांकि ईएलएसएस में निवेश की कोई लिमिट नहीं है. ELSS में टैक्स बचत के लिए दूसरे परंपरागत निवेश के साधनों मसलन FD, NSC, KVP के मुकाबले बेहतर रिटर्न भी मिल रहा है. पिछले 5 साल की तुलना करें तो ELSS स्कीम में औसत रिटर्न 13 फीसदी रहा है. जबकि अलग अलग फंड का रिटर्न 20 से 24 फीसदी तक रहा है. यानी किसी बड़े बैंक की एफडी की तुलना में करीब 4 गुना तक ज्यादा फायदा.

1. लॉक इन पीरियड की बाध्यता नहीं

इन फंडों में लॉक इन पीरियड होता है लेकिन खासियत यह है कि उसके बाद भी इसमें निवेश जारी रख सकते हैं. 3 साल या 5 साल के लॉक इन पीरियड वाली स्कीम को भी लंबे समय तक होल्ड किया जा सकता है. लंबी अवधि में रखने से रिटर्न बढ़ने की गुजाइश बढ़ जाती है. लॉक इन पीरियड होने का फायदा है, इसे निवेशक लंबी अवधि तक होल्ड करते हैं, जिससे रिटर्न बढ़ने की गुंजाइश भी बढ़ जाती है.

2. 80% एक्सपोजर इक्विटी में

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ईएलएसएस में निवेश की बात करें तो इसमें से कम से कम 80 फीसदी एक्सपोजर इक्विटी में होना चाहिए. यह टेक्निकली 100 फीसदी तक हो सकता है. ईएलएसएस में सभी मार्केट कैप में निवेश करने की फ्लेक्सिबिलिटी भी है. जो इसे इक्विटी फंड्स के बीच एक यूनिक प्रोडक्ट बनाता है.

3. SIP से कर सकते हैं निवेश

म्‍यूचुअल फंड में सिस्‍टेमैटिक इनवेस्‍टमेंट प्‍लान (एसआईपी) के माध्‍यम से निवेश को सुविधाजनक बनाया गया है. टैक्स सेविंग्स के लिए 1.5 लाख की बात करें तो इसमें प्रति माह 12,500 रुपए के साथ सालभर निवेश किया जा सकता है. हालांकि, प्रत्‍येक एसआईपी किस्‍त के लिए लॉक-इन अवधि अलग-अलग होती है.

4. रिडम्‍पशन की रकम टैक्‍स फ्री

ईएलएसएस में निवेश पर होने वाला लाभ और रिडम्‍पशन से मिलने वाली राशि भी पूरी तरह टैक्‍स फ्री होती है. ईएलएसएस बेहतर पोस्‍ट-टैक्‍स रिटर्न देता है, क्‍योंकि ईएलएसएस म्‍यूचुअल फंड से एक साल में मिलने वाला 1 लाख रुपए तक एलटीसीजी को आयकर से छूट है. इस सीमा से अधिक लाभ पर 10 फीसदी की दर से टैक्‍स देना होता है. ईएलएसएस में निवेश की बात करें तो इसमें से कम से कम 80 फीसदी एक्सपोजर इक्विटी में होता है. यह टेक्निकली 100 फीसदी तक हो सकता है. इसमें सभी मार्केट कैप में निवेश करने की फ्लेक्सिबिलिटी भी है.

5. बेहतर रिटर्न वाला विकल्प

ईएलएसएस अमूमन हाई रिटर्न देते हैं. इक्विटी में निवेश प्रभावी रूप से बेहतर रिटर्न प्रदान करता है जो नियमित रूप से महंगाई दर से अधिक होता है. वहीं इसके विपरीत अधिकांश निश्चित रिटर्न वाले टैक्‍स सेविंग विकल्‍प जैसे पीपीएफ, 5 साल की एफडी, एनएससी आदि मुश्किल से मुद्रास्‍फीति से अधिक रिटर्न देने में सफल होते हैं. वहीं एफडी, एनएससी जैसे विकल्पों पर ब्याज दर लगातार कम हो रहे हैं.

5 साल में बेहतर रिटर्न देने वाले 5 फंड

मिराए एसेट टैक्स सेवर फंड: 23 फीसदी

BOI AXA टैक्स एडवांटेज: 20 फीसदी

केनरा रेबोको इक्विटी टैक्स सेवर: 18 फीसदी

DSP टैक्स सेवर फंड: 17 फीसदी

IDFC टैक्स एडवांटेज (ELSS) फंड: 17 फीसदी

(डिस्क्लेमर: म्यूचुअल फंड में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है. फाइनेंशियल एक्सप्रेस हिंदी ऑनलाइन किसी भी तरह के निवेश की सलाह नहीं देता है. किसी भी निवेश से पहले अपने स्तर पर पड़ताल कर लें या अपने वित्तीय सलाहकार से अवश्य परामर्श कर लें.)

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