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SIP का पूरा लाभ लेने के लिए लंबे समय तक निवेश करना क्यों है जरूरी? जानिए एसआईपी में निवेश की सही रणनीति

म्यूचुअल फंड में निवेश का सबसे सुरक्षित और बेहतर तरीका सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) है. इसमें दो तरीके से निवेश कर सकते हैं- एकमुश्त या एक नियमित अंतराल पर.

म्यूचुअल फंड में निवेश का सबसे सुरक्षित और बेहतर तरीका सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) है. इसमें दो तरीके से निवेश कर सकते हैं- एकमुश्त या एक नियमित अंतराल पर.

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FE Online
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एसआईपी में निवेश लंबे समय के लिए करना फायदेमंद है.

SIP: शेयर मार्केट में रिकॉर्ड तेजी के चलते लोगों का रूझान इक्विटी में निवेश की तरफ तेजी से आकर्षित हुआ है. हालांकि बाजार के उतार-चढ़ाव के चलते कुछ निवेशक म्यूचअल फंड में निवेश करना बेहतर समझते हैं. इसमें भी निवेश पर रिटर्न बाजार से जुड़ा होता है लेकिन इक्विटी में सीधे निवेश की तुलना में अधिक सुरक्षित है. म्यूचुअल फंड में निवेश का सबसे सुरक्षित और बेहतर तरीका सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) है. इसमें दो तरीके से निवेश कर सकते हैं- एकमुश्त या एक नियमित अंतराल पर.

एसआईपी में निवेश लंबे समय के लिए करना फायदेमंद है. इसे ऐसे समझा जा सकता है कि आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल टेक्नोलॉजी फंड-डायरेक्ट प्लान-ग्रोथ में निवेशकों को तीन साल में 25.76 फीसदी का रिटर्न मिला है जबकि पांच साल में 32.6 फीसदी का. एसआईपी डेट फंड की बात करें तो डीएसपी गवर्नमेंट सिक्योरिटीज फंड-डायरेक्ट प्लान-ग्रोथ में 3 साल में 9.99 फीसदी का रिटर्न मिला है जबकि पांच साल की अवधि में निवेशकों को 11.85 फीसदी का.

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एसआईपी में निवेश की सही रणनीति

  • लक्ष्य तय करें: एसआईपी में निवेश शुरू करने से पहले अपना एक लक्ष्य तय कर लें. इसके बाद अपने लक्ष्य और अपने रिस्क लेने की क्षमता के आधार पर बेहतर एसआईपी प्लान का चयन करें. इसके लिए आप ऑनलाइन एसआईपी कैलकुलेटर का भी प्रयोग कर सकते हैं.
  • एकमुश्त या एसआईपी: म्यूचुअल फंड में निवेश के दो तरीके हैं- एकमुश्त या नियमित अंतराल पर. एकमुश्त निवेश पर बाजार के उतार-चढ़ाव का अधिक फर्क पड़ता है लेकिन नियमित अंतराल पर अगर निवेश कर रहे हैं तो उतार-चढ़ाव का अधिक फर्क नहीं पड़ेगा. इसकी वजह यह है कि जब बाजार में गिरावट है तो अधिक फंड यूनिट्स मिलेगी जबकि बाजार शीर्ष पर है तो कम यूनिट्स मिलेगी लेकिन लंबे समय में इसका औसत बेहतर हो जाता है.
  • अवधि तय कर लें: कितने समय तक की एसआईपी करनी है, यह तय कर लें क्योंकि लंबे समय तक एसआईपी रहेगी यूनिट फंड प्राइस का औसत बेहतर होगा और रिटर्न बेहतर होगा. हालांकि समय-समय पर अपने प्रोफाइल को चेक करते रहना चाहिए.

    लंबी अवधि चुनें: एसआईपी में निवेश का 15*15*15 फॉर्मूला है. इसका मतलब है कि अगर आप 15 फीसदी का सालाना रिटर्न देने वाली स्कीम में हर महीने 15 हजार रुपये 15 साल तक जमा करते हैं तो स्कीम पूरा होने पर 1 करोड़ का फंड तैयार हो जाएगा. ऐसे में आप समझ सकते हैं कि लंबे समय का निवेश कितना बेहतर है.

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  • टैक्स का कर लें कैलकुलेशन: वास्तविक रिटर्न कितना मिलेगा, यह इस पर निर्भर करता है कि इस पर टैक्स कितना चुकाना है. एक साल के भीतर इक्विटी फंड को रिडीम कराने पर 15 फीसदी का शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन और एक साल के बाद सालाना 1 लाख रुपये से अधिक के गेन पर 10 फीसदी की दर से टैक्स चुकाना होगा. डेट फंड्स यूनिट्स को तीन साल के भीतर रिडीम करने पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन और इसके बाद रिडीम कराने पर इंडेक्सेशन बेनेफिट्स के साथ 20 फीसदी का टैक्स चुकाना होगा. अगर मिक्स्ड है तो 65 फीसदी से अधिक इक्विटी एक्सपोजर होने पर इक्विटी फंड टैक्सेशन लागू होगा.
  • स्कीम की जानकारी रखें: जिस म्यूचुअल फंड स्कीम के तहत एसआईपी करने की योजना बना रहे हैं, उसका लक्ष्य और रिस्क लेवल आपके प्रोफाइल के मुताबिक हो. इसके अलावा उसका पास्ट परफॉरमेंस देख लें, एक्सपेंस रेशियो व फाइनेंशियल रेशियो भी जरूर चेक कर लें. एक्सपेंस रेशियो कम से कम होना चाहिए.

    (सोर्स: क्लियरटैक्सडॉटइन)