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LPG सिलिंडर के साथ मिलता है 50 लाख तक का मुफ्त कवर, क्या है क्लेम प्रॉसेस

LPG यानी रसोई गैस कनेक्शन लेने पर पेट्रोलियम कंपनियां ग्राहक को पर्सनल एक्सीडेंट कवर उपलब्ध कराती हैं.

LPG यानी रसोई गैस कनेक्शन लेने पर पेट्रोलियम कंपनियां ग्राहक को पर्सनल एक्सीडेंट कवर उपलब्ध कराती हैं.

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Ritika Singh
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Image: PTI

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Image: PTILPG यानी रसोई गैस कनेक्शन लेने पर पेट्रोलियम कंपनियां ग्राहक को पर्सनल एक्सीडेंट कवर उपलब्ध कराती हैं. 50 लाख रुपये तक का यह इंश्योरेंस एलपीजी सिलेंडर से गैस लीकेज या ब्लास्ट के चलते दुर्भाग्यवश हादसा होने की स्थिति में आर्थिक मदद के तौर पर है. इस बीमा के लिए पेट्रोलियम कंपनियों की बीमा कंपनियों के साथ साझेदारी रहती है. वर्तमान में हिंदुस्तान पेट्रोलियम, इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम के रसोई गैस कनेक्शन पर इंश्योरेंस ICICI लोम्बार्ड के माध्यम से है.

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इस इंश्योरेंस के तहत रसोई गैस सिलेंडर की वजह से हुए हादसे में जान और माल का नुकसान दोनों कवर होता है. लेकिन यह बीमा कवर उन्हीं लोगों को उपलब्ध है, जिन्होंने वैध एलपीजी कनेक्शन लिया है. इस कवर के लिए ग्राहक को किसी प्रीमियम का भुगतान नहीं करना होता है.

क्लेम राशि का विवरण

रसोई गैस सिलिंडर के साथ मिलने वाला इंश्यारेंस दो भागों में बंटा है-

सेक्शन- 1

इस सेक्शन के तहत एलपीजी सिलिंडर की वजह से हुए हादसे में नुकसान के लिए मुआवजा देनदारी प्रति घटना 50 लाख रुपये और प्रति व्यक्ति 10 लाख रुपये है. यह मुआवजा इन सूरतों में देय है-

  • हादसा गैस एजेंसी के साथ पंजीकृत ग्राहक के घर पर हुआ हो.
  • पंजीकृत डीलर के परिसर में हुआ हो.
  • सिलिंडर को पेट्रोलियम कंपनी के यहां से डिस्ट्रीब्यूटर के यहां ले जाते वक्त रजिस्टर्ड ट्रांसपोर्ट कान्ट्रैक्टर के पास होने के दौरान हुआ हादसा.
  • सिलिंडर डीलर के यहां से कर्मचारी या ग्राहक द्वारा ग्राहक के घर ले जाया जा रहा हो.
  • बीमित के द्वारा कम्युनिटी किचन, रेटिकुलेटेड सिस्टम्स, अन्य चीजों जैसे गीजर, लाइटिंग, जनरेटर सेट, इरीगेशन पंप आदि में एलपीजी की सप्लाई के दौरान.
  • पंजीकृत परिसरों में सिलिंडर को एलपीजी इंस्टॉलेशन से कनेक्ट और ​डिसकनेक्ट करने के दौरान.

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सेक्शन- 2

इस सेक्शन के तहत ग्राहक के घर पर एलपीजी सिलिंडर की वजह से हादसे में हुए जान-माल के नुकसान के लिए पर्सनल एक्सीडेंट कवर देय है. हादसे में ग्राहक की प्रॉपर्टी/घर को नुकसान पहुंचता है तो प्रति एक्सीडेंट 2 लाख रुपये तक का इंश्योरेंस क्लेम मिलता है. हादसे में मौत होने पर प्रति एक्सीडेंट प्रति व्यक्ति 6 लाख रुपये का मुआवजा मिलता है. हादसे में घायल होने पर मेडिकल खर्च के लिए प्रति एक्सीडेंट 30 लाख रुपये का मुआवजा मिलता है, जो प्रति व्यक्ति 2 लाख रुपये तक होता है. साथ ही प्रति व्यक्ति 25000 रुपये तक की तुरंत राहत सहायता भी है.

व्यक्तिगत हानि और प्रॉपर्टी डैमेज के लिए मुआवजा इन सूरतों में हादसे के लिए देय है-

  • भरा हुआ सिलिंडर बॉटलिंग प्लांट से बाहर ले जाया जा रहा हो.
  •  ट्रांसपोर्टेशन के दौरान
  • भरा हुआ सिलिंडर डिस्ट्रीब्यूटर के यहां रखा हो.
  • सिलिंडर डिस्ट्रीब्यूटर के यहां से ग्राहक के घर ले जाया जा रहा हो या फिर ग्राहक के यहां से भरा/खाली सिलिंडर डिस्ट्रीब्यूटर के यहां ले जाया जा रहा हो.
  • भरा हुआ सिलिंडर ग्राहक के घर पर रखा हो.
  • खाली सिलिंडर बॉटलिंग प्लांट में वापस लाया जा रहा हो.
  • बीमित के द्वारा कम्युनिटी किचन, रेटिकुलेटेड सिस्टम्स, अन्य चीजों जैसे गीजर, लाइटिंग, जनरेटर सेट, इरीगेशन पंप आदि में एलपीजी की सप्लाई के दौरान.
  • पंजीकृत परिसरों में सिलिंडर को एलपीजी इंस्टॉलेशन से कनेक्ट और ​डिसकनेक्ट करने के दौरान.
  • शैक्षणिक संस्थानों, रिसर्च लैब्स, सरकारी/म्युनिसिपल हॉस्पिटल्स, मिड डे मील स्कीम, समाज कल्याण संस्थानों जैसे अनाथ आश्रम, वृद्धाश्रम आदि में एलपीजी के इस्तेमाल के दौरान
  • रेस्टोरेंट, होटल, प्राइवेट हॉस्पिटल, क्लिनिक, पॉल्ट्री फार्म्स, सिरेमिक इंडस्ट्री, कॉटेज इंडस्ट्री, ग्लास इंडस्ट्री आदि में एलपीजी के इस्तेमाल के दौरान.
  • ग्राहक द्वारा 5 किलो का सिलिंडर डिस्ट्रीब्यूटर के यहां से ले जाते वक्त.

कैसे करते हैं क्लेम?

गैस सिलेंडर से हादसा होने की स्थिति में सबसे पहले पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करानी होती है. इसके बाद संबंधित एरिया ऑफिस जांच करता है कि हादसे का कारण क्या है. अगर हादसा एलपीजी एक्सीडेंट है तो एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर एजेंसी/एरिया ऑफिस बीमा कंपनी के स्थानीय ऑफिस को इस बारे में सूचित करेगा. इसके बाद संबंधित बीमा कंपनी को क्लेम फाइल होता है. ग्राहक को बीमा कंपनी में सीधे क्लेम के लिए आवदेन करने या उससे संपर्क करने की जरूरत नहीं होती.

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ध्यान रखें ये बातें

  • एलपीजी हादसे में किसी की मौत होने की स्थिति में एलपीजी सिलेंडर की पेट्रोलियम कंपनी को मरने वाले के मृत्यु प्रमाण पत्र और पोस्टमार्टम रिपोर्ट की ओरिजिनल यानी मूल कॉपी जमा करनी होती है.
  • हादसे में किसी के घायल होने के मामले में मेडिकल बिल, डॉक्टर के प्रिसक्रिप्शन यानी पर्चे, दवा खरीद का बिल, डिस्चार्ज कार्ड और हॉस्पिटल में भर्ती होने से संबंधित कोई भी अन्य दस्तावेज की मूल प्रति सौंपनी होती है.
  • हादसे में प्रॉपर्टी/घर को नुकसान होने की स्थिति में बीमा कंपनी अपनी एक सर्वे टीम भेजती है ताकि नुकसान का आकलन किया जा सके.
  • बीमा कंपनी क्लेम के निपटारे से जुड़ा फैसला बीमा पॉलिसीज के प्रावधानों के अनुरूप करती है.
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