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ITR Filing: आईटीआर फाइल करते समय इन पांच बातों का खुलासा जरूरी, चूके तो फंस सकते हैं कानूनी पचड़े में

ITR Filing: इनकम टैक्स के नियमों के मुताबिक कुछ जानकारियों का खुलासा आईटीआर में नहीं है तो टैक्सपेयर्स का रिटर्न सही नहीं माना जाएगा और उन्हें आयकर विभाग की तरफ से नोटिस मिल सकता है.

ITR Filing: इनकम टैक्स के नियमों के मुताबिक कुछ जानकारियों का खुलासा आईटीआर में नहीं है तो टैक्सपेयर्स का रिटर्न सही नहीं माना जाएगा और उन्हें आयकर विभाग की तरफ से नोटिस मिल सकता है.

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Jeevan Deep Vishawakarma
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know about mandatory disclosures in income tax return itr filing to avoid return being defective or it department notice

वित्त वर्ष 2020-21 के लिए रिटर्न फाइल करने की डेडलाइन 31 दिसंबर है.

ITR Filing: वित्त वर्ष 2020-21 के लिए रिटर्न फाइल करने की डेडलाइन 30 सितंबर से बढ़कर 31 दिसंबर हो चुकी है. इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स और जिनके खातों का ऑडिट नहीं होना है, ऐसे एसेसी को 31 दिसंबर तक रिटर्न फाइल करना है. रिटर्न फाइल करते समय कुछ जानकारियों का खुलासा करना जरूरी होता है. कुछ टैक्सपेयर्स गलती से कुछ जानकारियां नहीं दे पाते हैं. हालांकि इनकम टैक्स के नियमों के मुताबिक इनका खुलासा नहीं करने की स्थिति में टैक्सपेयर्स का रिटर्न सही नहीं माना जाएगा और उन्हें आयकर विभाग की तरफ से नोटिस मिल सकता है. ऐसे में आईटीआर को लेकर इस प्रकार के किसी भी नोटिस से बचने के लिए बैंक खातों से लेकर विदेशी में किसी भी प्रकार से संपत्ति या होल्डिंग्स जैसी ये पांच जानकारियां आईटीआर में जरूर दें.

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बैंक खातों की जानकारी

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टैक्सपेयर्स को सभी बैंक खातों की जानकारी आईटीआर में देनी होती है. इसमें वे भी खाते हैं जिसमें उनकी संयुक्त होल्डिंग है. टैक्सपेयर्स को बैंक का नाम, खाता संख्या और आईएफएससी कोड की जानकारी देनी होती है. अगर कई बैंक खाते हैं तो उस खाते का उल्लेख करना जरूरी होता है जिसमें रिफंड हासिल करना है. हालांकि अगर कोई बैंक खाता पिछले तीन साल से निष्क्रिय पड़ा है तो उसकी जानकारी देना अनिवार्य नहीं है.

अनलिस्टेड इक्विटी शेयरों की जानकारी

अगर किसी टैक्सपेयर्स ने ऐसे कंपनी के शेयर खरीदे हैं जो अभी मार्केट में लिस्ट नहीं हैं तो इसकी जानकारी आईटीआर में देनी होगी. इसके तहत जिस कंपनी में होल्डिंग्स है, उसका नाम, पैन, वर्ष भर कुल शेयरों की खरीद-बिक्री की जानकारी देनी होगी. अगर किसी विदेशी अनलिस्टेड कंपनी के शेयर खरीदे हैं और इसका खुलासा फॉरेन एसेट्स शेड्यूल के तहत किया गया है तो भी इसकी जानकारी अनलिस्टेड इक्विटी शेयरों के रूप में अलग से देनी होगा. टैक्स मामलों के जानकार बलवंत जैन के मुताबिक अगर टैक्सपेयर्स के पास अनलिस्टेड शेयर्स हैं तो आईटीआर-1 फॉर्म नहीं भर सकते हैं बल्कि आईटीआर-2 या आईटीआर-3 फॉर्म का इस्तेमाल करना होगा.

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50 लाख से अधिक टैक्सबेल आय पर एसेट्स-लाइबिलिटीज का खुलासा

जिन टैक्सपेयर्स की किसी वित्त वर्ष में टैक्सेबल आय 50 लाख रुपये से अधिक है, उन्हें जमीन, बिल्डिंग्स, चल संपत्ति, बैंक खाते, शेयर और बाॉन्ड्स इत्यादि की जानकारी देना जरूरी है. इसके अलावा ऐसे टैक्सपेयर्स को इन एसेट्स पर किसी भी प्रकार की देनदारियों का खुलासा भी करना होता है. इसका खुलासा शेड्यूल एसेट्स एंड लायबिलिटीज के तहत करना होता है.

देशी या विदेशी कंपनी में निदेशक होने की जानकारी

अगर टैक्सपेयर्स किसी भारतीय या विदेशी कंपनी में डायरेक्टर है तो इसकी जानकारी आईटीआर में देनी होगी. इसके तहत डायरेक्टर आइडेंटिफिकेशन नंबर (डीआईएन), नाम, प्रकार और कंपनी के पैन की जानकारी देनी होगी. इसके अलावा यह भी जानकारी देनी होगी कि कंपनी के शेयर किसी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट हैं या नहीं. अगर किसी कंपनी में डायरेक्टर के पद पर हैं तो आईटीआर के लिए आईटीआर-2 या आईटीआर-3 फॉर्म का इस्तेमाल करना होगा.

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विदेशी संपत्तियों का खुलासा

अगर टैक्सपेयर्स ने किसी विदेशी संपत्ति में एक दिन के लिए भी स्वामित्व या लाभार्थी के तौर पर हिस्सेदारी रखी हो, उन्हें आईटीआर में इसका उल्लेख करना अनिवार्य होगा. अगर ऐसा नहीं करते हैं तो अघोषित आय या संपत्ति पर करीब तीन गुना यानी 30 फीसदी की दर से टैक्स के साथ ही जुर्माना भी चुकाना पड़ सकता है. जैन के मुताबिक इसके तहत विदेशों में संपत्ति, किसी विदेशी कंपनी में होल्डिंग्स या विदेशी म्यूचुअल फंड में निवेश इत्यादि का खुलासा करना होता है.

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