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हेल्थ इंश्योरेंस प्लान के साथ-साथ टर्म प्लान और गंभीर बीमारियों से जुड़ा हुआ कोई प्लान जरूर लेना चाहिए.
Insurance Plan: बढ़ते स्वास्थ्य खर्चों के चलते हेल्थ इंश्योरेंस समय के साथ तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. मौजूदा दौर में कोरोना संक्रमितों के इलाज में जिस तरह से भारी-भरकम खर्च आ रहा है, उसके चलते भी हेल्थ इंश्योरेंस का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है. न सिर्फ मेट्रो शहरों बल्कि छोटे शहरों और कस्बों में भी हेल्थ इंश्योरेंस की बिक्री तेज हो रही है. हालांकि सिर्फ हेल्थ इंश्योंरेस ही काफी नहीं है बल्कि इसके अलावा भी कुछ ऐसे प्लान होते हैं जिसके जरिए खुद को और अपने परिवार को संकट के समय वित्तीय सहारा दे सकते हैं.
बदलती जीवनशैली और आनुवांशिक कारणों से अधिकतर लोगों को अब उम्र के किसी पड़ाव पर गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है. इनका इलाज बहुत महंगा होता है. इसके अलावा परिवार के इकलौते कमाने वाले शख्स के एकाएक किसी दुर्घटना के चलते अस्पताल में भर्ती होने या असमय गुजर जाने के चलते परिवार को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ सकता है. इन सब परिस्थितियों से अपने परिवार को बचाने के लिए पहले से ही तैयारी करनी जरूरी है. ऐसे में हेल्थ इंश्योरेंस प्लान के साथ-साथ टर्म प्लान और गंभीर बीमारियों से जुड़ा हुआ कोई प्लान जरूर लेना चाहिए.
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हेल्थ इंश्योरेंस प्लान
- इस प्लान के तहत बीमित राशि के बराबर स्वास्थ्य से जुड़े खर्चों को कवर किया जाता है.
- हेल्थ इंश्योंरेस प्लान के जरिए बीमा कंपनी के नेटवर्क में शामिल अस्पतालों में कैशलेस ट्रीटमेंट करा सकते हैं.
- अधिकतर बीमा कंपनियां 30 दिनों का प्री-हॉस्पिटलाइजेशन व 60 दिनों तक का पोस्ट-हॉस्पिटलाइजेशन खर्च कवर करती हैं.
- अधिकतर हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में नॉमिनल चार्ज देकर पर्सनल एक्सीडेंट कवर, क्रिटिकल इलनेस कवर इत्यादि भी हासिल किया जा सकता है.
- हेल्थ इंश्योरेंस प्लान के तहत अपने माता-पिता को भी कवर किया जा सकता है.
- कोरोना से जुड़े इलाज खर्च को भी अधिकतर स्वास्थ्य बीमा योजनाओं में शामिल किया जाता है.
- हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर इनकम टैक्स के सेक्शन 80डी के तहत 75 हजार रुपये तक का टैक्स एग्जेंप्शन हासिल किया जा सकता है.
- विभिन्न कंपनियों के हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसीज की तुलना करते समय सम इंश्योर्स अमाउंट, प्रीमियम, नेटवर्क हॉस्पिटल्स, क्लेम सेटलमेंट रेशियो, वेटिंग पीरियड और को-पेमेंट क्लॉज जरूर देखना चाहिए.
टर्म इंश्योरेंस प्लान
- यह लाईफ इंश्योरेंस का सबसे साधारण रूप है और इसके तहत कम प्रीमियम में अधिक कवरेज मिलता है. 500 रुपये से भी कम मासिक प्रीमियम में 1 करोड़ रुपये तक का कवरेज हासिल किया जा सकता है.
- टर्म इंश्योरेंस प्लान अन्य जीवन बीमा योजनाओं से इस तरह अलग हैं कि पारंपरिक जीवन बीमा योजनाएं प्रोटेक्शन व निवेश पॉलिसी दोनों हैं जबकि टर्म इंश्योरेंस प्लान सिर्फ प्रोटेक्शन प्लान है. इसका मतलब हुआ कि पॉलिसी अवधि के दौरान अगर बीमित शख्स की मौत होती है तो नॉमिनी को बेनेफिट अमाउंट दिया जाएगा.
- टर्म इंश्योरेंस प्लान चुनते समय बीमा कंपनी, क्लेम सेटलमेंट रेशियो जरूर देखना चाहिए. इसके अलावा क्रिटिकल इलनेस कवरेज जैसे एडीशनल बेनेफिट्स के बारे में भी पता कर लेना चाहिए.
- टर्म इंश्योरेंस प्लान के तहत कोई वेटिंग पीरियड नहीं होता है और पॉलिसी खरीदने के बाद ही कवर हासिल हो जाता है. हालांकि कुछ बीमा कंपनियां पॉलिसी खरीदने के पहले वर्ष में आत्महत्या के चलते नॉमिनी को बेनेफिट नहीं उपलब्ध कराती हैं.
- पॉलिसी खरीदने के बाद चाहे देश में रहें या विदेश में, अधिकतर बीमा कंपनियों कवरेज उपलब्ध कराती हैं.
- इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी और 10(10डी) के तहत चुकाए गए प्रीमियम और मिले बेनेफिट्स पर 54 हजार रुपये तक का टैक्स बचा सकते हैं.
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क्रिटिकल इलनेस प्लान
- इस प्लान के तहत गंभीर और लंबे समय तक चलने वाली कैंसर, हार्ट अटैक, ट्यूमर, किडनी फेल्योर जैसी गंभीर बीमारियों को कवर किया जाता है.
- अधिकतर स्वास्थ्य बीमा योजनाओं में अतिरिक्त शुल्क चुकाकर यह कवरेज हासिल किया जा सकता है.
- कवर्ड बीमारियों के इलाज के लिए बीमा कंपनियां एकमुश्त राशि उपलब्ध कराती हैं. इसका एक हिस्सा आय के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
- पॉलिसी बेनेफिट्स के लिए हॉस्पिटलाइजेशन जरूरी नहीं है बल्कि डाइग्नोसिस रिपोर्ट पर ही एकमुश्त राशि बीमा कंपनी से मिल जाएगी.
- इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80 डी के तहत 15 हजार रुपये तक का टैक्स एग्जेंप्शन हासिल किया जा सकता है. वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा 20 हजार रुपये है.
- प्लान खरीदते समय वेटिंग पीरियड, सर्वाइवल पीरियड, कवर्ड बीमारियों और रिन्यूअल ऐज की जानकारी जरूर हासिल कर लेनी चाहिए.