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जीरो कूपन बॉन्ड्स में निवेश के जरिए एक तय अवधि में गारंटीड रिटर्न का विकल्प सुरक्षित किया जाता है.
Zero Coupon Bonds: बाजार के उतार-चढ़ाव से दूर रहने वाले निवेशकों के सामने बॉन्ड में निवेश का शानदार विकल्प रहता है. सरकार और कंपनियां दोनों ही पैसे जुटाने के लिए बॉन्ड जारी करती हैं जिसमें निवेशकों को रिटर्न की लिखित गांरटी रहती है. इसी प्रकार का एक निवेश विकल्प जीरो कूपन बॉन्ड होता है जो भारी डिस्काउंट पर जारी होता है और मेच्योरिटी के समय बॉन्ड की फेस वैल्यू निवेशकों को मिलती है. इस प्रकार इन बॉन्डों में निवेश पर रिटर्न खरीद भाव और फेस वैल्यू का अंतर होता है यानी कि ब्याज नहीं मिलने के बावजूद इसमें निवेश पर शानदार एकमुश्त रिटर्न हासिल किया जा सकता है.
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Zero Coupon Bonds में निवेश के फायदे
- जीरो कूपन बॉन्ड्स में निवेश के जरिए लंबे समय के लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिलती है. उच्च शिक्षा और शादी-विवाह के मौके पर एकमुश्त राशि का इंतजाम किया जा सकता है.
- जीरो कूपन बॉन्डों में निवेश के जरिए एक तय अवधि में गारंटीड रिटर्न का विकल्प सुरक्षित किया जाता है.
- इसमें निवेश के लिए हमेशा निवेशकों को फेस वैल्यू से कम से कम पे करना होता है. मेच्योरिटी से पहले ये बांड डिस्काउंट पर ही ट्रेड होते हैं, प्रीमियम पर कभी नहीं.
- अधिकतर जीरो कूपन बॉन्ड्स में फिक्स्ड राशि मिलती है जो बॉन्ड्स की फेस वैल्यू के बराबर होती है लेकिन कुछ ऐसे भी बॉन्ड्स होते हैं जो इंफ्लेशन के आधार पर इंडेक्स किए जाते हैं यानी कि इंफ्लेशन के आधार पर जो राशि मिलेगी, वह वर्तमान फेस वैल्यू से अधिक हो सकती है.
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- इसमें निवेश पर कैपिटल गेन टैक्स लगता है जो मेच्योरिटी के समय कैलकुलेट की जाती है.
- सरकारी संस्थानों की बात करें तो नाबार्ड के अलावा कुछ ही सरकारी संस्थान (जैसे कि रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन-REC) ऐसे हैं जो वित्त मंत्रालय की मंजूरी के बाद इसे जारी कर सकती हैं.
(इनपुट: क्लियरटैक्स)