/financial-express-hindi/media/post_banners/vReppOse6Q9xsgvpFdql.jpg)
कुछ कपल सबसे आसानी से उपलब्ध टैक्स-सेविंग निवेश को चुन लेते हैं या किसी भी टैक्स प्लानिंग को पूरी तरह से नजरअंदाज कर देते हैं जोकि बाद में पछतावे का कारण बनता है. (Image- Pixabay)
Couple Mistakes in Investment: वैलेंटाइन डे के मौके पर आप आपने जीवनसाथी के साथ मिलकर कुछ ऐसी गलतियों पर विचार कर सकते हैं जो आमतौर पर जोड़े करते हैं. कुछ कपल सबसे आसानी से उपलब्ध टैक्स-सेविंग निवेश को चुन लेते हैं या किसी भी टैक्स प्लानिंग को पूरी तरह से नजरअंदाज कर देते हैं जोकि बाद में पछतावे का कारण बनता है. ऐसे में नीचे कुछ ऐसी आम गलतियों के बारे में जानकारी दी जा रही है जिसे कपल करते हैं जिनसे बचना चाहिए.
टैक्स सेविंग इंवेस्टमेंट में देरी या अनदेखी करना
कई लोगों को लगता है कि छोटी कर राशि को बचाने के लिए बड़ी पूंजी को फंसाना अच्छा आइडिया नहीं है. हालांकि ऐसे लोग यह महसूस नहीं करते हैं कि यही बचत एक समय के बाद बड़ी राशि हो जाएगी. इसके अलावा कुछ लोग टैक्स सेविंग को सालाना रिवाज के तौर पर मानते हैं और वित्त वर्ष के आखिरी कुछ महीनों में बहुत निवेश करते हैं. हालांकि महीने का बजट नियंत्रण से बाहर होने का डर रहता है. इससे बचने का तरीका ये है कि व्यवस्थित तरीके से टैक्स सेविंग फंड या पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (पीपीएफ) या नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) में निवेश करें.
बीमा योजनाओं में निवेश
अधिकतर लोग बीमा योजना को निवेश इंस्ट्रूमेंट मानकर निवेश करने की आम गलती करते हैं. इसकी एक बड़ी वजह ये है कि कुछ वित्तीय सलाहकार अपने ग्राहकों के रिटर्न से ऊपर अपने कमीशन के बारे में सोचते हैं और वे ऐसे सुझाव देते हैं जिसमें उन्हें अधिक कमीशन मिलता है. ऐसे इंस्ट्रूमेंट में निवेश इंफ्लेशन से लड़ने में कारगर नहीं है. इसकी बजाय व्यक्ति को अपना पैसा टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड या पीपीएफ में लगाना चाहिए.
मेच्योरिटी पर टैक्स वाले विकल्पों में निवेश करना
टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट में 5 साल के इंस्ट्रूमेंट या नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (एनएससी) में निवेश करने का आकर्षण होता है, जो तत्काल टैक्स बेनिफिट देता है लेकिन इनके मैच्योर होने पर रिटर्न पर टैक्स लगता है. इसमें सबसे बुरा ये है कि इन पर अर्जित ब्याज पर टैक्सपेयर्स के आयकर स्लैब के अनुसार कर लगाया जाता है. अधिकतर लोग इस तथ्य को नजरअंदाज कर देते हैं कि टैक्स सेविंग एफडी पर ब्याज दर सामान्य एफडी के ब्याज से कम है.
बेमेल वित्तीय लक्ष्य और कर योजना
लांग टर्म लक्ष्यों को ध्यान में रखे बिना टैक्स प्लानिंग बहुत कठिन काम है. टैक्स प्लानिंग से पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाई करने में मदद मिलती है. अगर आपके पोर्टफोलियो में बड़े पैमाने पर इक्विटी इंस्ट्रूमेंट्स हैं, तो टैक्स प्लानिंग का झुकाव फिक्स्ड इनकम कैपिटल प्रोटेक्शन इंस्ट्रूमेंट्स की ओर होना चाहिए. अगर पोर्टफोलियो में डेट इंस्ट्रूमेंट अधिक हैं तो टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड पर विचार किया जा सकता है.
छूट और कटौतियों का लाभ नहीं उठाना
इनकम टैक्स एक्ट के तहत सेविंग्स पर कई छूट और कटौती मिलती हैं. हालांकि जानकारी के अभाव में कई लोग इससे चूक जाते हैं. ज्यादातर लोग धारा 80सी के तहत बचत का लाभ उठाते हैं जिसकी सीमा 1.5 लाख रुपए और होम लोन, हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम, मेडिकल एक्सपेंसेज और दान पर ब्याज को कवर करती है. इसके अलावा भी धारा 80डी, 80ई और धारा 24 के तहत बेनेफिट्स मिलता है जिसे कुछ लोग नजरअंदाज कर देते हैं.
अतिरिक्त योजना
कुछ लोग टैक्स सेविंग इंस्ट्रूमेंट्स में बचत करने के लिए एक सीमा से अधिक निवेश कर देते हैं. हालांकि यहां यह समझने की जरूरत है कि टैक्स प्लानिंग इंस्ट्रूमेंट्स सबसे अच्छा रिटर्न देने वाला इंस्ट्रूमेंट नहीं हो सकता है. इस तरह के इंस्ट्रूमेंट में निर्धारित सीमा से अधिक निवेश करने से उन्हें कोई अतिरिक्त लाभ नहीं मिलने वाला है, बल्कि वे अपनी पूंजी फंसा रहे हैं जिसे अन्य विकल्पों में स्मार्ट तरीके से निवेश कर अधिक रिटर्न हासिल किया जा सकता है.
(लेख: विकास सिंघानिया, सीईओ, ट्रेडस्मार्ट और नेहा सिंघानिया, सीपीओ, ट्रेडस्मार्ट)