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क्रिटिकल इलनेस प्लान के तहत किसी गंभीर बीमारी के इलाज को लेकर पूरी सम इंश्योर्ड राशि मिल जाती है.
बदली जीवनशैली और आनुवांशिक कारणों से अधिकतर लोगों को कैंसर, हार्ट स्ट्रोक, हाइपरटेंशन और डायबिटीज जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ता है. यहां पर लोगों को गंभीर बीमारियों को लेकर अलग से इंश्योरेंस प्लान की जरूरत पड़ती है क्योंकि बेसिक Health Insurance Policy में सभी खर्च कवर होना मुश्किल होता है. गंभीर बीमारियों का लंबे समय तक चलता है जिससे वित्तीय बोझ बढ़ता है. ऐसे में बेसिक हेल्थ इंश्योरेंस प्लान के साथ-साथ Critical Illness Insurance Policy लेना बहुत जरूरी है. कम उम्र में ही गंभीर बीमारियों के लिए कवरेज लेने पर कम प्रीमियम चुकाना पड़ेगा, ऐसे में इसे कम उम्र में ही ले लेना चाहिए. चुकाए गए प्रीमियम पर सेक्शन 80डी के तहत टैक्स डिडक्शन का लाभ मिलता है.
Health Insurance Policy से इस तरह अलग है Critical Illness Plan
क्रिटिकल इलनेस प्लान (सीआई प्लान) बेसिक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी से बहुत अलग हैं. क्रिटिकल इलनेस प्लान के तहत किसी गंभीर बीमारी के इलाज को लेकर पूरी सम इंश्योर्ड राशि मिल जाती है जिसे ट्रीटमेंट और केयर कॉस्ट के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. यहां तक कि इससे अपने कर्ज को भी चुकता किया जा सकता है. हालांकि कुछ बीमा कंपनियां एंजियोप्लास्टी जैसे कुछ मामलों में सम इंश्योर्ड का 50 फीसदी देती हैं. इसके विपरीत हेल्थ इंश्योरेंस प्लान इन्डेम्निटी प्लान है जो सिर्फ ऐसे खर्चों को कवर करता है जो हुए हैं.
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Critical Illness Plan को लेकर अहम बातें
- अगर किसी बीमाधारक के पास बीमा कंपनियों से एक से अधिक क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी है तो सभी बीमा कंपनियां पूरा सम इंश्योर्ड देगी.
- इस प्लान के तहत 10-20 प्रमुख गंभीर बीमारियां कवर होती हैं. वहीं कुछ बीमा कंपनियां इस तरह के प्लान के तहत 40 गंभीर बीमारियों को लेकर कवर उपलब्ध कराती हैं.
- इन प्लान के तहत कैंसर, कोरोनरी अर्टरी बाईपास सर्जरी, हार्ट अटैक, स्ट्रोक, किडनी फेल्योर, आओर्टी सर्जरी, हार्ट वॉल्व रिप्लेसमेंट, प्रमुख ऑर्गन ट्रांसप्लांट और पैरालिलिस को कवर किया जाता है.
- इस प्रकार के प्लान को जीवन या स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के साथ राइडर के तौर पर भी भी खरीदा जा सकता है लेकिन अलग से सीआई प्लान लेने पर अधिक फ्लेक्सिबिलिटी मिलेगी यानी कि सम इंश्योर्ड और कवर को लेकर बेहतर फैसला ले सकेंगे. आमतौर पर राइडर के तहत महज उतना ही कवर मिलता है जितना बेस पॉलिसी का है.
- क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस प्लान को कम उम्र में ही ले लेना चाहिए ताकि प्रीमियम के रूप में कम राशि चुकानी पड़े. अधिक उम्र में इस प्रकार का प्लान खरीदने का एक और नुकसान यह है कि फिर कम बीमारियों को लेकर ही कवरेज मिल सकता है.
- विभिन्न बीमा कंपनियों ने गंभीर बीमारियों के इलाज के बाद या पॉलिसी खरीदने के बाद क्लेम के लिए कुछ निर्धारित अवधि तय किया है जैसे कि कुछ बीमा कंपनियां पॉलिसी खरीदने के 90 दिनों के बाद कवरेज राशि देती हैं और गंभीर बीमारियों का इलाज होने के 30 दिनों बाद तक जीवित रहने पर क्लेम का मौका देती है.
- कुछ बीमा कंपनियां विदेशों में भी इलाज को लेकर कवरेज का लाभ देती हैं.
(सोर्स- मैक्सलाइफइंश्योरेंस)