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एलआईसी के लिए मेडिक्लेम कारोबार में उतरना मुश्किल नहीं होगा क्योंकि यह पहले से ही कुछ स्वास्थ्य बीमा उत्पाद ऑफर कर रही है.
LIC in Mediclaim Segment: देश की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी एलआईसी (LIC) मेडीक्लेम सेग्मेंट में फिर से एंट्री कर सकती है. एलआईसी के चेयरमैन ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि रेगुलेटरी अप्रूवल मिलने के बाद इस पर आगे बढ़ा जाएगा. एलआईसी के चेयरमैन एमआर कुमार ने कहा कि एलआईसी पहले से ही लांग टर्म हेल्थ प्रोटेक्शन और गारंटेड हेल्थ प्रोडक्ट्स ऑफर कर रही है और अब बीमा नियामक इरडा (IRDA) के हाल ही में सुझावों की समीक्षा की जा रही है. कुमार के मुताबिक एलआईसी के लिए मेडिक्लेम कारोबार में उतरना मुश्किल नहीं होगा क्योंकि यह पहले से ही कुछ स्वास्थ्य बीमा उत्पाद ऑफर कर रही है.
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IRDA ने 2016 में लगा थी रोक
मेडिक्लेम पॉलिसी मुआवजे पर आधारित स्वास्थ्य बीमा योजनाएं हैं और हेल्थ इंश्योरेंस प्रोडक्ट के मामले में सबसे अधिक मांग इन्हीं की है. हालांकि भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDA) ने करीब छह साल पहले वर्ष 2016 में लाइफ इंश्योरेंस कारोबार में लगी कंपनियों को मेडिक्लेम पॉलिसी ऑफर करने से रोक दिया था. इसके बाद से जीवन बीमा कंपनियों को सिर्फ तय लाभ वाली हेल्थ प्लान ऑफर करने की इजाजत है.
मुआवजा आधारित हेल्थ इंश्योरेंस प्लान के तहत बीमा कंपनियां इलाज के दौरान खर्च हुए रकम की बीमित राशि तक भरपाई करती हैं. वहीं दूसरी तरफ फिक्स्ड बेनेफिट वाले हेल्थ इंश्योरेंस प्लान के तहत पॉलिसीहोल्डर्स को पहले से चिन्हित बीमारी या मेडिकल कंडीशंस के लिए एक तय राशि दी जाती है.
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हाल ही में बदला IRRA का रूझान
इरडा के चेयरमैन देवाशीष पांडा ने हाल में कहा था कि अब जीवन बीमा कंपनियों के फिर से मेडिक्लेम में प्रवेश करने का वक्त आ गया है क्योंकि वर्ष 2030 तक देश के हरेक नागरिक के पास स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी होने का लक्ष्य हासिल करना है. हालांकि बाद में उन्होंने स्पष्ट किया है कि नियामक सिर्फ बीमा कंपनियों को हेल्थ इंश्योंरेस पॉलिसी की बिक्री के लिए मंजूरी देने के फायदे-नुकसान का मूल्यांकन कर रही है और इससे जुड़ा कोई फैसला अभी तक नहीं लिया गया है.
वैश्विक स्तर पर अधिकांश देशों में जीवन बीमा कंपनियां स्वास्थ्य बीमा योजनाओं की भी बिक्री करती हैं. भारत की बात करें तो यहां 24.50 लाख लाइफ इंश्योरेंस एजेंट्स हैं और सिर्फ 3.60 लख जनरल व हेल्थ इंश्योरेंस कैटेगरी के एजेंट्स हैं. अगर बीमा कंपनियों को हेल्थ इंश्योरेंस सेक्टर में आने की मंजूरी मिलती है तो एजेंट्स की संख्या 6 गुना बढ़ जाएगी और देश में हेल्थ इंश्योरेंस लेने वालों की संख्या भी बढ़ेगी.
(इनपुट: पीटीआई)