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आइए उन तरह की मौतों के बारे में जानते हैं, जो टर्म इंश्योरेंस द्वारा कवर नहीं होती हैं.
Life Insurance: व्यक्ति जीवन बीमा खासकर टर्म प्लान लेता है, जिससे असमय उसकी मृत्यु के बाद उसके परिवार को वित्तीय संकट का सामना नहीं करना पड़े. क्लेम का पैसा मिलने पर उन्हें कुछ हद तक राहत रहे. लेकिन जीवन बीमा लेने से पहले ये जान लें कि इसमें हर तरह की मृत्यु कवर नहीं होती. क्लेम का पैसा तभी मिलता है, जब पॉलिसीधारक की मृत्यु कवर होने वाली वजहों के चलते हुई हो. अगर उन वजहों के अलावा किसी वजह से पॉलिसीधारक की मृत्यु होती है, तो बीमा का क्लेम रिजेक्ट हो सकता है. आइए उन तरह की मौतों के बारे में जानते हैं, जो टर्म इंश्योरेंस द्वारा कवर नहीं होती हैं.
आत्महत्या से मौत
अगर व्यक्ति पॉलिसी के शुरू होने की तारीख से शुरुआती 12 महीनों के दौरान आत्महत्या कर लेता है, तो लाभार्थी को भुगतान किए गए प्रीमियम का 80 फीसदी मिलता है, (पॉलिसी नॉन-लिक्ड होने की स्थिति में). लिंक्ड प्लान्स की स्थिति में, अगर पॉलिसीधारक पॉलिसी शुरू होने की तारीख से 12 महीनों के दौरान आत्महत्या कर लेता है, तो लाभार्थी को कुल प्रीमियम भुगतान का 100 फीसदी मिलेगा. हालांकि, अगर पॉलिसीधारक पॉलिसी के एक साल पूरे होने के बाद आत्महत्या करता है, तो उनके बेनेफिट्स नहीं रहेंगे और पॉलिसी खत्म हो जाएगी. कुछ लाइफ इंश्योरेंस कंपनियां हैं, जो आत्महत्या से मौत पर कवरेज दे और दे नहीं सकती हैं. यह जरूरी है कि व्यक्ति पॉलिसी को खरीदने से पहले उसके नियम और शर्तों को पढ़ लें.
खुद कोई खतरनाक गतिविधि करने से मौत
अगर पॉलिसीधारक को खतरों से खेलने का शौक है और किसी खतरनाक गतिविधि को करते हुए उसकी मृत्यु हो जाती है तो बीमा कंपनी टर्म प्लान के क्लेम को रिजेक्ट कर देगी. जीवन को खतरा पैदा करने वाली कोई भी गतिविधि इस दायरे में आ सकती है. इसमें एडवेंचर स्पोर्ट्स शामिल हैं, जैसे- कार या बाइक रेस, स्काई डाइविंग, पैरा ग्लाइडिंग, बंजी जंपिंग आदि.
HIV/AIDS
इंश्योरेंस कंपनी क्लेम को मंजूर नहीं करेगी, अगर बीमाकृत व्यक्ति की मौत किसी भी तरह की सेक्शुली ट्रांसमिटिड बीमारी के कारण होती है, जैसे HIV या AIDS.
नशे की वजह से मौत
अगर टर्म पॉलिसी लेने वाला शराब के नशे में ड्राइव कर रहा हो या उसने ड्रग्स लिया हो, तो इस स्थिति में मृत्यु होने की स्थिति में बीमा कंपनी टर्म प्लान की क्लेम राशि देने से इनकार कर सकती है. ड्रग्स या शराब के ओवरडोज से मरने वाले पॉलिसीहोल्डर के मामले में भी क्लेम रिजेक्ट हो जाता है.
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हत्या
टर्म प्लान के क्लेम को बीमा कंपनी उस स्थिति में देने से मना कर सकती है, अगर पॉलिसीधारक की हत्या हो जाए और उसमें नॉमिनी का हाथ होने की भूमिका सामने आए या उस पर हत्या का आरोप हो. ऐसे में क्लेम रिक्वेस्ट तब तक होल्ड पर रहेगी, जब तक नॉमिनी को क्लीन चिट नहीं मिल जाती यानी वह निर्दोष साबित नहीं हो जाता. इसके अलावा पॉलिसीधारक के किसी आपराधिक गतिविधि में लिप्त रहने पर उसकी हत्या होने पर भी बीमा की रकम नहीं मिलेगी.
(Source: PolicyBazaar.com)