/financial-express-hindi/media/post_banners/6j6txeK1vOQ4h6dHFx4R.jpg)
संपत्ति के जरिए फंड की व्यवस्था करने के लिए मार्केट में कई ऑप्शन हैं.
संपत्ति एक ऐसा एसेट है जो कई तरह से आपकी मदद कर सकता है. तमाम खासियतों में से एक इसकी विशेषता है कि ये वित्तीय संकट के दौरान आसान तरीके से फंड जुटाने के काम आता है. संपत्ति के जरिए फंड की व्यवस्था करने के लिए मार्केट में कई ऑप्शन हैं. इनमें से एक लोन भी है. फंड जुटाने के लिए वित्तीय संस्थान के पास अपनी संपत्ति को गिरवी रखकर लोन लिया जा सकता है. इसके जरिए जुटाए गए फंड को नई प्रापर्टी खरीदने, घर का पुनर्निर्माण या अन्य मकसद में इस्तेमाल किया जा सकता है. संपत्ति के बदले लिये गए लोन का अमाउंट प्रीपर्टी वैल्यू और उधार लेने वाले शख्स की योग्यता से तय होता है. संपत्ति पर लोन लेने के कई फायदे हैं आइए जानें.
सस्ता लोन
संपत्ति पर लिया गया कर्ज सिक्योर लोन की कैटेगरी में आता है. आमतौर पर ये लोन बाकी की तुलना में सस्ता होता है. दरअसल इस पर ब्याज दर कम होता है. सस्ता लोन लेने में कर्ज लेने वाले शख्स का क्रेडिट स्कोर भी मायने रखता है. क्रेडिट स्कोर अधिक हो तो कम ब्याज दर पर लोन मिल सकता है.
पेपरवर्क और लोन के अप्रूवल में आसानी
प्रापर्टी से जुड़े सभी कानूनी दस्तावेज सही होने और जिस भी शख्स के नाम प्रापर्टी होने का दावा किया जा रहा है उससे जुड़े सभी दस्तावेज दुरूस्त होने की स्थिति में संबंधित संपत्ति पर लोन लेने में आसानी होती है. साथ ही लोन अप्रूवल भी जल्द ही हो जाता है. लोन डिफॉल्ट होने की स्थिति में वित्तीय संस्थान द्वारा लोन के रुप में जारी किए गए अमाउंट की भरपाई करने में गिरवी प्रापर्टी सक्षम होता है. ऐसे में बैंक प्रीपर्टी वैल्यू और क्रेडिट स्कोर के हिसाब से फंड यान लोन अमाउंट जारी में तेजी दिखाते हैं. इसमें बैंको लोन की प्रासेसिंग में कम समय लेते हैं.
फ्लेक्सिबल रिपेमेंट
संपत्ति पर लोन आपको एक फ्लेक्सिबल रिपेमेंट का विकल्प देता है. इसमें आप अपनी इनकम और रिपेमेंट कैपेसिटी के हिसाब से आसान किस्तो में लोन की रकम को चुकाने के लिए अवधि यानी लोन टेन्योर चुन सकते हैं. संपत्ति पर लोन 15 से 20 साल तक के टेन्योर के हो सकते हैं. लोन लेने वाला शख्स चाहे तो कर्ज मुहैया कराने वाले वित्तीय संस्थान से रिक्वेस्ट करके अपनी सहूलियत के हिसाब से लोन टेन्योर को बढ़वा सकता है. हालांकि ये लोन लेने वाले शख्स की योग्यता और वित्तीय संस्थान पर निर्भर करता है कि लोन की अवधि बढ़ाई सकेगी या नहीं.
प्रापर्टी के मालिकाना हक में गड़बड़ी की गुंजाइश नहीं होती है.
प्रॉपर्टी पर लोन के कई खास फीचर में से एक ये है कि प्रापर्टी पर मालिकाना हक हर हाल में मालिक के पास ही रहता है. लोन लेने वाला शख्स जब तक लोन अमाउंट चुकता नहीं कर देता है, तब तक प्रापर्टी का मूल दस्तावेज कर्ज देने वाले वित्तीय संस्थान के पास रहता है. केवल लोन डिफ़ॉल्ट के मामले में उधार देने वाला वित्तीय संस्थान प्रापर्टी की नीलामी कर सकता है. लोन लेने वाला शख्स अगर लोन अमाउंट नहीं चुका पाता तो ऐसे में वित्तीय संस्थान के पास गिरवी प्रापर्टी बेचने की इजाजत होती है.
निश्चित टेन्योर से पहले लोन चुकता कर सकते हैं
यदि आपने फ्लोटिंग ब्याज दरों पर लोन लिया है, तो आप कर्ज देने वाले वित्तीय संस्थान को बिना जुर्माना दिए लोन अमाउंट को समय से पहले चुकाकर प्रा-क्लोज कर सकते हैं. हालांकि उधार लेने वाला शख्स ऐसा तभी कर सकता है जब उसके पास अतिरिक्त फंड हो या लोन अमाउंट पूरी तरह चुकता करने के लिए पर्याप्त पैसे की व्यवस्था हो. लोन टेन्योर से पहले लोन अकाउंट को बंद करने के लिए आंशिक पेमेंट भी किया जा सकता है.
इन सभी पहलुओं के अलावा लोन लेने से पहले उस पर लागू ब्याज दर और ईएमआई यानी मंथली किस्त की भी तुलना करनी चाहिए. साथ ही अपनी योग्यता और जरूरत के हिसाब से एक निश्चित अमाउंट का लोन लेने का फैसला करना चाहिए. लोन ब्याज दर को अच्छी तरह से समझने का प्रयास करें ताकि मंथली किस्त का अमाउंट ज्यादा न हो. कोशिश करें कि लोन का टेन्योर कम हो.
नीचे की लिस्ट में आपको 7 साल के टेन्योर वाले 15 लाख के लोन का ब्याज दर और ईएमआई दी गई है. इन डिटेल की आपस में तुलना करें. उम्मीद है ये लिस्ट आपको सस्ता और सही लोन का फैसला करने में मदद कर सकती है.
प्रापर्टी पर लोन ब्याज दर और EMI
/financial-express-hindi/media/post_attachments/yYjf5UEccoxQJNrxYVgf.jpg)
(नोट : उपरोक्त लिस्ट के सभी आकड़ें बैंक बाजार डॉट कॉम से लिये गए हैं. बैंक बाजार ने बताया कि ये सभी आकड़ें संबंधित वित्तीय संस्थान की वेबसाइट से 15 नवंबर 2022 तक के हैं. अधिक जानकारी और अपडेट के लिए आप इन संस्थानों की वेबसाइट का आप मदद ले सकते हैं.)
(Article : Sanjeev Sinha)